कोरबा-कटघोरा 27 जून 2034 :- कोरबा जिले के कटघोरा वनमंडल में स्टाप डेम निर्माण में की गई गड़बड़ी संबंधित लोगों के लिए गले की हड्डी बन गई है। न तो वे इसका भुगतान हासिल कर पा रहे हैं और न ही कम गहरी खोदी गई नींव की पड़ताल करा पा रहे हैं। घोटाले की नींव पर निर्मित स्टापडेम में बड़ा मटेरियल घोटाला हुआ है। इसके भुगतान की राह में विभागीय कर्मियों का अंतर्कलह और अपनी-अपनी कलम बचाने की समझदारी बड़ा रोड़ा बन गए हैं। स्टाप डेम निर्माण घोटाले की जांच की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है और जांच कराना भी काफी जरूरी है।
विभागीय सूत्र ने बताया कि प्रशिक्षु डीएफओ ऋषभ कुमार जैन को जटगा रेंज का प्रभार सौंपा गया है तो दूसरी तरफ विक्रांत दोहरे जटगा के रेंजर नियुक्त हैं। इनके आने के बाद पूर्व से स्ष्ठह्र संजय त्रिपाठी के इशारे पर प्रभार सम्भाल रहे रेंजर अशोक मन्नेवार ने 5 जगह का प्रभार संभालने संबंधी समाचार प्रकाशन के बाद इन्हें प्रभार सौंप कर रवानगी डालने में भलाई समझी।
दूसरी तरफ जटगा रेंज में स्टॉप डेम के नाम पर जो खेल किया गया है, डीएफओ की जानकारी में सारी बात है और प्रशिक्षु डीएफओ ने इस मामले में मोर्चा संभाल लिया है जिसमें रेंजर विक्रांत दोहरे भी अपनी कलम पुराने निर्माण के भुगतान में फंसाने से बच रहे हैं।
दरअसल कटघोरा वनमंडल अंतर्गत ईस्ट-वेस्ट रेल कॉरिडोर का निर्माण द्रुत गति से चल रहा है। कॉरिडोर से वन एवं जल संपदा के भारी नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई के लिए ज्यादा प्रभावित रेंज जटगा एवं पसान में 20 से अधिक छोटे-छोटे नालों में स्टॉप डेम की स्वीकृति कैम्पा मद से हुई है। 12 करोड़ से अधिक की राशि से बनने वाले स्टॉप डेम के निर्माण में भारी धांधली हुई है। जटगा रेंज हॉट स्पॉट बना हुआ है जहां इससे पहले भी बड़ी गड़बडिय़ां हुईं और राज्य की विधानसभा के पटल पर तत्कालीन डीएफओ शमा फारूखी के द्वारा गलत जानकारी प्रस्तुत करने का दुस्साहस किया गया। भाजपा के विधायक धरमलाल कौशिक ने यह मामला उठाया था जो बाद में ठण्डे बस्ते में चला गया। वर्तमान में जटगा रेंज के थानडबरा, कहुआ नाला, बजरंग नाला और ग्राम मुड़मिसनी तथा तिरकुट्टी पहाड़ के ऊपर स्टापडेम का काम सुर्खियों में है। एसडीओ त्रिपाठी की देखरेख में कराये गए कार्य में स्टाप डेम की नींव में गफलत हुई है।
0 सामाग्री कम लगा कर पूरे भुगतान का खेल
विभागीय सूत्र सहित एक सप्लायर सह ठेकेदार ने बताया कि स्टॉप डेम में 70 प्रतिशत राशि फाउंडेशन के नीचे ही खर्च होना है। जमीन से साढ़े 3 मीटर नीचे नीव खोदी जाती है और स्टॉप डेम बनने के बाद नींव को फिर से नहीं खोदा जाता। जटगा और पसान रेंज में मात्र 2 से ढाई फीट नींव खोदकर स्टाप डेम बनाया गया है। इस तरह मात्र 2 से ढाई फीट गहरी नींव में निर्माण सामाग्रियों छड़, सीमेंट, गिट्टी, बालू का इस्तेमाल किया गया जबकि साढ़े तीन मीटर गहराई में कार्य कर सामाग्रियां लगाया जाना था। अब बिल व्हाऊचर सामाग्री की पूरी मात्रा का बनाने की जुगत लगाई जा रही है।
0 बैक डेट में हस्ताक्षर कराने की कवायद
सूत्र बताते हैं कि जटगा रेंज में किए गए गड़बड़ी को छिपाने की कोशिशें हो रही हैं। कराये गए निर्माण के एवज में भुगतान के लिए व्हाऊचर में बैक डेट में हस्ताक्षर कराने की कवायद में जुटे हैं और फाइल एसडीओ के टेबल पर पेंडिंग पड़ी है। एकमात्र रेंजर के हस्ताक्षर से भुगतान नहीं होना है बल्कि अन्य जिम्मेदार कर्मियों के भी हस्ताक्षर की आवश्यकता है लेकिन कोई भी अपनी कलम अब नहीं फंसाना चाहता, जिसके कारण हस्ताक्षर को लेकर आपसी अंतर्कलह मचा हुआ है। एसडीओ की मंशा है कि येन-केन-प्रकारेण भुगतान करा लिया जाए जबकि दूसरी तरफ जटगा रेंज में हुए गड़बड़ी की बात पीसीसीएफ तक पहुंच चुकी है। प्रशिक्षु डीएफओ से लेकर जटगा रेंजर भी अब कोई रिस्क लेना नहीं चाहते वरना जांच शुरू हुई तो लपेटे में आ जाएंगे।