बिग ब्रेकिंग :- CG शराब घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने सभी 13 याचिकाओं को किया ख़ारिज …..अनिल टुटेजा को मिली अंतरिम राहत भी खारिज,……अरुण पति त्रिपाठी ,अनवर ढेबर, समेत सभी आरोपियों की बढ़ी मुश्किलें…..

IMG_20240820_142756.jpg

बिलासपुर 20 अगस्त 2024:-   Liquor Scam Case Update: छत्तीसगढ़ का बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में आरोपियों के लिए हाईकोर्ट से बुरी खबर आई है। शराब घोटाले में आरोपियों की याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।

शराब घोटाला मामले में आरोपियों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस मामले में ईडी और ईओडब्लू/एसीबी के खिलाफ दायर सभी तेरह याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है। वहीं एक याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अनिल टुटेजा को अंतरिम राहत प्रदान की थी। लेकिन अब कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए टुटेजा को मिली अंतरिम राहत भी खारिज दी है।

दरअसल हाईकोर्ट में छः याचिकाएं ईडी के खिलाफ और सात याचिकाएं ईओडब्लू/एसीबी के खिलाफ दायर की गई थीं। शराब घोटाला मामले में ईडी की दोबारा की जा रही कार्यवाही और साथ ही ईओडब्लू / एसीबी की ओर से दर्ज एफ़आइआर को चुनौती देते हुए ख़ारिज करने की याचिका दायर की गई थी। इनमें से एक याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अनिल टुटेजा को अंतरिम राहत प्रदान की थी।

छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ पर उच्च न्यायालय की मोहर

शराब घोटाले के सभी आरोपियों की याचिका उच्च न्यायालय ने की खारिज, ईडी और एसीबी-ईओडब्ल्यू के एफआईआर को दी थी चुनौती

उच्च न्यायालय ने माना सबूतों के आधार पर हुई है एफआईआर, आरोपियों की सभी 13 याचिकाओं को किया खारिज

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सुशासन वाली सरकार के भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर आज उच्च न्यायालय ने मोहर लगा दी है। प्रदेश में बहुचर्चित शराब घोटाले के आरोपियों के विरूद्ध ईडी और एसीबी-ईओडब्ल्यू द्वारा केस दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है। मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों द्वारा बिलासपुर उच्च न्यायालय में इसके विरूद्ध याचिकाएं दायर की गई थीं, जिस पर आज फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने सभी 13 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। उच्च न्यायालय ने अंतरिम राहत का पूर्व आदेश भी रद्द कर दिया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने माना है कि सबूतों के आधार पर ही ईडी और एसीबी-ईओडब्ल्यू द्वारा एफआईआर दर्ज की गई है।

शराब घोटाले को लेकर एसीबी और ईओडब्ल्यू द्वारा पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, अनवर ढेबर, विधु गुप्ता, निदेश पुरोहित, निरंजन दास और एपी त्रिपाठी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। सभी आरोपियों ने अपने खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को निरस्त कराने उच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने विगत 10 जुलाई को सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज फैसला आया है।

उच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने इन याचिकाओं की सुनवाई की थी। राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने जिरह किया था। उच्च न्यायालय में छह याचिकाएं ईडी के खिलाफ और सात याचिकाएं ईओडब्ल्यू-एसीबी के खिलाफ दायर थीं। इन याचिकाओं में शराब घोटाले के मामले में ईडी द्वारा पुनः की जा रही कार्यवाही और ईओडब्ल्यू-एसीबी की ओर से दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए उन्हें खारिज करने की याचना की गई थी। इनमें से एक याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने अनिल टुटेजा को अंतरिम राहत प्रदान की थी जिसे अब रद्द कर दिया गया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा के मुताबिक कांग्रेस सरकार में अनवर ढेबर ने अपनी पहुंच का इस्तेमाल करते हुए एपी त्रिपाठी को सीएसएमसीएल (CSMCL) का एमडी नियुक्त कराया था। इसके बाद अधिकारी, कारोबारी और राजनीतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के जरिए 2161 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया।

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी ने एसीबी में एफआईआर दर्ज कराई है। दर्ज एफआईआर में दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ईडी ने अपनी जांच में पाया है कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। एसीबी के अनुसार साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई थी, जिससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है।

शराब घोटाले की जांच करते हुए ईडी ने सबसे पहले मई के शुरुआती सप्ताह में अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया। ईडी के मुताबिक अनवर ढेबर ने साल 2019 से 2022 तक दो हजार करोड़ रुपए का अवैध धन शराब के काम से पैदा किया। इसे दुबई में अपने साथी विकास अग्रवाल के जरिए खपाया। ईडी की ओर से यह बड़ी बात कही गई कि अनवर ने अपने साथ जुड़े लोगों को परसेंटेज के मुताबिक पैसे बांटे और बांकी की बड़ी रकम अपने राजनीतिक आकाओं को दी है। इसके बाद इस मामले में आबकारी विभाग के अधिकारी एपी त्रिपाठी, कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन, नितेश पुरोहित, अरविंद सिंह को भी पकड़ा गया था।

उत्तरप्रदेश एसटीएफ (STF) की पूछताछ में अनवर ढेबर और एपी त्रिपाठी ने बताया है कि इस घोटाले की सबसे बड़ी बेनिफिशियरी शराब निर्माता कंपनियां थीं। नोएडा स्थित विधु की कंपनी मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्युरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को होलोग्राम बनाने का टेंडर मिला था। उसी से डुप्लीकेट होलोग्राम बनाकर डिस्टिलरीज को भेजा जाता था। वहां से अवैध शराब पर इन होलोग्राम को लगाया जाता था। ईडी और ईओडब्ल्यू ने संलिप्त डिस्टिलरीज के संचालकों और उनसे संबंधित लोगों को भी आरोपी बनाया है। हालांकि अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। उच्च न्यायालय के आज के फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि नकली होलोग्राम मामले में अब शराब निर्माता कंपनियों पर भी जल्द कार्रवाई हो सकती है।

हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की बेंच के फैसले से पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और विधु गुप्ता समेत अन्य आरोपियों की मुश्किलें और बढ़ती जा रही हैं।

जानकारी मिली है कि शराब घोटाला (Liquor Scam Case Update) मामले में एसीबी और ईओडब्ल्यू ने अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, अनवर ढेबर, विधु गुप्ता, निरंजन दास और एपी त्रिपाठी के खिलाफ एफआइआर की है। इन आरोपियों ने एसीबी और ईओडब्ल्यू की एफआईआर को हाईकोर्ट में चुनौती देकर इसे रद्द करने की मांग की थी।

फैसला रखा था सुरक्षित

एसीबी और ईओडब्ल्यू की एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर आरोपियों ने हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) में याचिकाएं दायर की थी। इसको लेकर हाईकोर्ट में 10 जुलाई को सुनवाई की गई थी। सभी पक्षों की सुनवाई (Liquor Scam Case Update) के बाद हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) ने फैसला सुरक्षित रखा। जिसे मंगलवार को सार्वजनिक किया गया। इस फैसले में हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने याचिकाओं की सुनवाई की थी। 10 जुलाई को हुई सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रखा गया था, जिसे आज सार्वजनिक किया गया है। ये याचिकाएं विधु गुप्ता, अनवर ढेबर, निदेश पुरोहित, यश पुरोहित, अनिल टूटेजा, अरुण त्रिपाठी, निरंजन दास की ओर से दायर की गई थीं। इस मामले में राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने तर्क प्रस्तुत किए थे।


scroll to top