छत्तीसगढ़ कोल लेवी मामला, जेल में बंद निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित,…..

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रायपुर 6 दिसंबर 2023 :- छत्तीसगढ़ कोल लेवी मामले में गिरफ्तार सौम्या चौसरिया की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में है। आज सौम्या चौरसिया की इस याचिका पर सुनवाई हुई है, जिसमें बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया है। आज की सुनवाई जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच में ही हुई है। फैसला सामने आने के बाद ही ये सुनिश्चित होगा कि निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया को कोर्ट राहत मिलती है या उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित

30 नवंबर 2022 को छत्तीसगढ़ में कोल लेवी मामले में गिरफ्तार सौम्या चौरसिया की बेल याचिका पर सुनवाई टल गई थी। इसके बाद ये सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में आज हुई है। मिली जानकारी के मुताबिक पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में ईडी की ओर से जमानत याचिका के विरोध में तर्क किए जाने थे, लेकिन ईडी के अधिवक्ता स्वास्थ्यगत कारणों के चलते उपस्थित नहीं हो पाए। सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है।

क्या है पूरा मामला :

सौम्या चौरसिया को ईडी ने 500 करोड़ से ज्यादा के कोयला घोटाला मामले में गिरफ्तार किया है। सौम्या चौरसिया को लेकर ईडी का आरोप है कि कोयला ट्रांसपोर्ट में 25 रुपए टन की लेवी ली जाती थी। ईडी ने इस इस मामले का किंगपिन सूर्यकांत तिवारी को बताया गया है। ईडी ने कोर्ट को बताया है कि लेवी वसूलने के लिए नियमों को बदलकर उसे मैनुअल कर दिया गया। ईडी के अनुसार सूर्यकान्त तिवारी बेहद प्रभावशाली था, सूर्यकांत को असीमित शक्ति और प्रभाव (निलंबित) उप सचिव सौम्या चौरसिया से मिलती थी। ईडी का आरोप है कि सौम्या चौरसिया को कोयला घोटाला और लेवी वसूली से रकम मिलती थी जिससे संपत्ति अर्जित की।

कोल लेवी मामले में सौम्या चौरसिया को बीते साल यानी 30 नवंबर 2022 को ईडी ने गिरफ्तार किया था, उसके बाद से सौम्या चौरसिया लगातार केंद्रीय जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच इस याचिका की सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में बचाव पक्ष की ओर बेल याचिका दायर करते हुए कहा गया है कि सौम्या चौरसिया के खिलाफ मामला नहीं बनता, साथ ही जबकि हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की, उसके पहले कर्नाटक की बैंगलोर कोर्ट से शेड्यूल अफेंस हट गए थे, लेकिन इस महत्वपूर्ण तथ्य पर विचार नहीं हुआ। इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से जमानत दिए जाने के पक्ष में तर्क दिए जा चुके हैं।


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