टोकन एमाउंट लेकर वेट के पुराने मामले समाप्त किए जाएं, एमएसएमई जिला उद्योग संघ, दुर्ग के अध्यक्ष के.के. झा ने की मांग, वाणिज्य मंत्री को पत्र लिखकर मामले का हल निकालने किया आग्रह

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भिलाईनगर। काँग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं एमएसएमई जिला उद्योग संघ,दुर्ग के अध्यक्ष के. के. झा ने कहा है कि सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट वेट के पुराने मामले को लेकर एमएसएमई उद्योगों के खाते अटैच कर रहा है और उद्योगों को परेशान किया जा रहा है. कोविड के चलते उद्योग पहले ही पिछले 2 वर्षों से परेशान हैं. श्री झा ने इस संबंध में वाणिज्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि टोकन एमाउंट लेकर वेट के पुराने मामले समाप्त किए जाएं.साथ ही वसूली पर 31 मार्च तक पूर्ण रूप से रोक लगाएं.


झा ने बताया कि 1 जुलाई 2017 से वेट की जगह जीएसटी लागू हो गया है. उससे पहले का जो भी वेट बचा था लोगों ने जमा कर दिया. किसी किसी की मामूली राशि को लेकर डिस्पुट है. श्री झा ने कहा कि 80त्न उद्योगों को अटैच कर हलकान कर दिया गया है. पिछले 2 वर्षों से कोरोना क चलते कोई उबरा नहीं है और इस तरह की बात करके उद्योगों को जोखिम में डाला जा रहा है.यह पूरे प्रदेश की हालत है. खासकर दुर्ग डिविजन में भिलाई की.उन्होंने कहा कि कोविड का टाइम है. उद्योग धंधा सब चौपट है. इस दौरान कितने उद्योग मालिक, अकाउंटेंट, एम्पलाई अकाल मौत के मुंह में चले गए और इधर अधिकारी प्रताडि़त कर रहे हैं. बैंक अलग परेशान कर रहे हैं. उद्योगों में काम नहीं है कोई आर्डर नहीं है. बिजली बिल पटाने के लिए पैसे नहीं है. पूरा एमएसएमई उद्योग ठप पड़ा हुआ है.


झा ने वाणिज्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव को पत्र लिखते हुए उनसे आग्रह किया है कि औद्योगिक संगठनों की आपके साथ इस संबंध में बैठक हो चुकी है. औद्योगिक संगठनों की मांग थी कि जिस तरह से सेंट्रल एक्साइज और इंकम टैक्स विभाग ने एक स्कीम स्रुङ्कष्ठक्रस् निकाला था जिसमें इंटरेस्ट और पेनल्टी को पूरी तरह माफ कर दिया गया था. साथ में मामूली टोकन अमाउंट लेकर सारे पुराने मामले को खत्म कर दिया गया था. उसी तरह का फार्मूला निकालकर उसमें जितने भी पुराने मामले हैं उसको समाप्त किया जाए. आपसे कई बार चर्चा भी हुई है जिस पर आपने कहा था कि विचार करेंगे. अत: आपसे आग्रह है कि जो भी जीएसटी के पहले वेट बाकी है जो कि बहुत मामूली है कोविड और उद्योगों की हालत को देखते हुए तत्काल समाप्त किया जाए. अधिकारियों को भी निर्देशित किया जाए कि अभी उद्योग संकट से उबर नहीं पाए हैं इसलिए इस पर 31 मार्च तक रोक लगाई जाए.


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