जंगल में काम करने वाला नियम खेतों पर भी लागू हो- राज्यपाल आचार्य देवव्रत…गुजरात के राज्यपाल का दुर्ग प्रवास

IMG-20211128-WA0759.jpg

भिलाई नगर 28 नवंबर 2021:- आज गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, जे. एस. फॉर्म धौराभाठा धमधा दुर्ग पहुंचे थे। जहां जे. एस. फॉर्म के संस्थापक वजीर सिंह लोहान द्वारा “जहर मुक्त खेती, जहर मुक्त रसोई” को लेकर किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। श्री आचार्य देवव्रत ने धौराभाठा पहुंचते ही 450 एकड़ जे एस फॉर्म और जे. एस. डेयरी का भ्रमण किया, उसके पश्चात उन्होंने किसान संगोष्ठी में अपनी उपस्थिति दर्ज की। वहां उपस्थित आम जनों और किसान भाइयों से उन्होंने इंटरएक्टिव लेवल पर चर्चा की।

उन्होंने खेती को लेकर अपने विगत वर्षों के अनुभव को किसानों के साथ साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र में 200 एकड़ खेत में 100 एकड़ में उनके द्वारा खेती की जाती थी और बचे 100 एकड़ उन्होंने अन्य को खेती के लिए दिए थे। 3 वर्षों के बाद अन्य पक्ष के द्वारा वहां खेती बंद कर दी गई और उन्हें उस भूमि को बंजर बना कर सौंपा गया। जब उन्होंने भूमि के मिट्टी का परीक्षण कराया तो ,उस मिट्टी का ऑर्गेनिक कार्बन 0.54 आया, जिसे बंजार धरती माना जाता है , कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी कि संतुलित रासायनिक खाद के द्वारा भूमि को 10-15 वर्षों में रिवर्स किया जा सकता है।परंतु श्री आचार्य देवव्रत द्वारा प्रकृति के सिद्धांत का पालन करते हुए जीवामृत खाद का प्रयोग कर खेती की गई, जिसमें 2 वर्ष के अंतराल में ही मिट्टी में सभी उर्वरक तत्व प्राप्त हुए और बहुत अच्छी फसल भी प्राप्त हुई।

परंपरागत खेती के साथ किसान आधुनिक खेती से कैसे तालमेल बैठाए और जैविक खेती को कैसे बढ़ावा दिया जा सके ,यही उनकी चर्चा का मुख्य विषय था। उन्होंने उपस्थित लोगों से अपील की कि कोई भी चीज अच्छी मिले तो उससे तत्काल जुड़े और अपनी विवेक का प्रयोग करें, इससे सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने किसान भाइयों से कहा कि लोकल गायों को घरों में स्थान दें, उनमें 300 से 500 करोड़ बैक्टीरिया बनाने की क्षमता होती है जो कि मिट्टी के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होती है।

उन्होंने खेती में केंचुए के महत्व को बताया लोगों से अपील की कि फसल विविधता द्वारा वह पर्यावरण में भी योगदान दे सकते हैं, फसल विविधता से आच्छादन की स्थिति निर्मित होती है,आच्छादन से धरती का तापमान नहीं बढ़ता है, जिससे हम ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ने से रोक सकते हैं। उन्होंने कहा हम प्राकृतिक खेती के माध्यम से धरती को जितना कम छेड़ेंगे हमारे लिए उठना बेहतर होगा। उन्होंने आगे कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए बंजर भूमि ना छोड़े इसके लिए आवश्यक है कि जो नियम जंगल में काम करता है, वही हमारे खेत में भी काम करें।

उन्होंने जैविक खेती के लाभ को समझाते हुए किसान भाइयों से अपील की कि वह अपना कदम इस ओर आगे बढ़ाएं- देश को आर्थिक मजबूती दे, वाटर रिचार्ज कर आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराएं, देसी गाय को बचाएं, अपने परिवार को जहर मुक्त खेती और रसोई उपलब्ध कराकर उन्हें अस्पतालों से बचाएं और ग्लोबल वार्मिंग जैसे समस्या पर भी अपना योगदान दें। इस अवसर पर श्री अनिल चौहान, प्रगतिशील किसान और आमजन उपस्थित थे।


scroll to top