भिलाई नगर 04 दिसंबर 2021:– नगरीय निकाय चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख खत्म होने के साथ ही मान मनौव्वल का दौर शुरू हो गया है. मजबूत निर्दलियों के चुनाव मैदान में बने रहने से कांग्रेस और भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों को दिक्कत आ सकती है. इस बात का अहसास दोनों ही राष्ट्रीय पार्टी को है. इसके लिए अपनी पार्टी के बागियों को संगठन के नेता समझाइश देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
जिले के तीन नगर निगम और एक नगर पालिका में चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 3 दिसम्बर को पूरी हो चुकी है. चारों निकाय में पार्टी अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ बागी प्रत्याशियों की भरमार है. इससे चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकता है. अभी नाम वापसी की तारीख 6 दिसम्बर तक शेष है. इससे पहले कांग्रेस और भाजपा के संगठन से जुड़े नेता अपने अपने बागियों को नामांकन वापस लेने की समझाइश देने में लग गए हैं. अधिकृत प्रत्याशियों की ओर से भी जीत के राह को आसान बनाने रूठे हुए अपनों को मनाने की कोशिश चल रही है. गौरतलब रहे कि दुर्ग जिले के भिलाई, चरोदा, रिसाली नगर निगम व जामुल नगर पालिका में चुनाव हो रहा है. भिलाई का महापौर पद और जामुल पालिका अध्यक्ष का पद अनारक्षित रहने से इन दोनों निकाय में पार्षद चुनाव के लिए घमासान मची हुई है. इससे अनेक वार्ड में कांग्रेस व भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों को अपनी ही पार्टी से बागी होकर नामांकन दाखिल करने वालों से अच्छी चुनौती मिलने की संभावना है. भिलाई – चरोदा नगर निगम के महापौर पद अनुसूचित जाति महिला – पुरुष मुक्त है. वहीं रिसाली की पहली महापौर अन्य पिछड़ा वर्ग महिला बनेगी. लिहाजा इन वर्गों के लिए आरक्षित दोनों निकाय के वार्डों में राष्ट्रीय पार्टी से अधिकृत प्रत्याशियों के माथे पर बागियों के चलते सिकन साफ पड़ रहा है. यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि इस बार महापौर व पालिका अध्यक्ष का चयन पार्षदों के बहुमत से होगा. इस पद्धति के लागू होने के बाद इन चारों निकाय में यह पहला चुनाव है. महापौर व पालिका अध्यक्ष बनाने में एक एक पार्षद की भूमिका अहम रहेगी. जरुरत पड़ने पर निर्दलीय पार्षद निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. इस वजह से भिलाई नगर निगम के प्रायः सभी वार्ड में नामांकन दाखिल हुए हैं. भिलाई- चरोदा, रिसाली और जामुल में भी निर्दलियों के चलते राष्ट्रीय पार्टियों के चुनावी समीकरण बिगड़ सकती है. इसलिए बागियों को मनाने की कवायद दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों की ओर से की जा रही है.