भिलाईनगर। धरसीवां के चरौदा में 80 साल पुरानी मस्जिद अब अपने नए स्वरूप में सामने आएगी। इस मस्जिद के पुनर्निर्माण में इस्पात नगरी भिलाई के स्थापत्य कला के प्रसिद्ध कलाकार हाजी एमएच सिद्दीकी अहम भूमिका निभा रहे हैं। हाजी सिद्दीकी की ड्राइंग-डिजाइन पर उनके ही मार्गदर्शन में बनने जा रही यह मस्जिद दो मंजिला होगी और वर्तमान दौर के अनुरूप तमाम सहूलियतें नमाजियों के लिए यहां होंगी।
शुक्रवार 10 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद मस्जिद की तामीर के लिए नेशनल प्रेसिडेंट ऑल इंडिया उलेमाए मशाएख बोर्ड और वल्र्ड सूफी फोरम के चेयरमैन हुजूरे अशरफ ए मिल्लत सैयद अशरफ मियां किछौछा शरीफ के मुबारक हाथों फातिहा ख्वानी व दुआओं के बीच इस मस्जिद की संगे बुनियाद रखी गई। इस दौरान सैयद मोहम्मद अशरफ मियां, हजरत अल्लामा मौलाना हाफिज गुलाम फरीद इमाम खतीब जामा मस्जिद तखतपुर, जामा मस्जिद चरोदा के इमाम मुश्ताक अहमद रब्बानी, हाफिज बरकत अली इमाम खतीब मस्जिद कुरा, मोहम्मद शकील इमाम मस्जिद धरसीवां, नातख्वां में कुरां के मोहम्मद इरफान और बैरन बाजार रायपुर के तौहीद अशरफी सहित तमाम लोग बड़ी तादाद में मौजूद थे।
इस मौके पर मुल्क में अमन व सलामती की दुआएं की गईं। संगे बुनियाद रखने के बाद हजरत मोहम्मद अशरफ मियां ने नई तामीर होने वाली मस्जिद के बारे में आर्किटेक्ट हाजी एमएच सिद्दीकी से जानकारी ली और उम्मीद जताई कि यह आलीशान मस्जिद आसपास के इलाके में एक नायाब इमारत होगी। इस मुबारक मौके पर रात में बाद नमाज इशा तकरीर प्रोग्राम का एहतमाम भी किया गया। आखिर में शिरकत करने वाले तमाम मेहमानों का मुस्लिम जमात चरोदा और मस्जिद कमेटी की ओर से तमाम हाजरीने महफिल का शुक्रिया अदा किया गया।
गौरतलब है कि हाउसिंग बोर्ड भिलाई निवासी हाजी एमएच सिद्दीकी स्थापत्यकला के क्षेत्र में जाना-माना नाम है। उनके बनाए नक्शे पर तैयार आलीशान इमारतें हिंदुस्तान के कई शहरों की शोभा बढ़ा रही हैं। हाजी सिद्दीकी की कला में मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा व चर्च शॉपिग मॉल, बुलंद शहर दरवाजा और तोपगन क़ाबिले दीद हैं। मस्जिद की संगे बुनियाद के मौके पर हाजी अजमल, हाजी कलीम, हाजी अनवर, मिर्जा निसार बेग, यूनुस खान, मिर्जा असलम बेग और शरीफ खान सहित मस्जिद कमेटी के तमाम लोगों का खास तौर पर योगदान रहा।
परदादा ने रखी थी 80 साल पहले इस मस्जिद की बुनियाद
धरसीवा चरोदा की इस मस्जिद को अब नए स्वरूप में दो मंजिला आलीशान बनाया जा रहा है। खास बात यह है कि 80 साल पहले इस मस्जिद की संगे बुनियाद आला हजरत अशरफी मियां रदिअल्लाहू अन्हो ने रखी थी। अब उस पुरानी मस्जिद को शहीद कर इस नए स्वरूप में बनाया जाएगा, ऐसे में नए दौर में इस मस्जिद की संगे बुनियाद हजरत अशरफी मियां के पड़पोते हुजूरे अशरफ ए मिल्लत सैयद मोहम्मद अशरफ किछौछावी ने रखी है। उन्होंने यहां नमाजे जुमा की इमामत भी की।