बस्तर में शिक्षा गुणवत्ता सुधारने के लिए व्यापम के माध्यम से शिक्षकों की सीधी भर्ती होनी चाहिए – तरुणा साबे बेदरकर

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शिक्षण सेवक के रूप में काम करवा कर खाना पूर्ति ना करें जिला शिक्षा अधिकारी-तरुणा साबे बेदरकर
बस्तर। आम आदमी पार्टी बस्तर की जिला अध्यक्ष तरुणा साबे बेदरकर ने शिक्षा विभाग के द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने हेतु शिक्षक सेवकों की भर्ती पर सवालिया निशाना लगाते हुए विरोध दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि आज बस्तर में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने हेतु व्यापम के माध्यम से सीधे भर्ती निकालने की जरूरत है शिक्षा विभाग के डाटा के अनुसार आज बस्तर जिले में 500 से भी अधिक स्कूल ऐसे हैं जो एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हैं और लगभग 200 स्कूल ऐसे हैं जो शिक्षक विहीन हैं।

बाकी और जो बस्तर जिले में स्कूल है वहां भी पर्याप्त शिक्षक की कमी है कही विषय वार शिक्षक भी नही है। ऐसे में शिक्षा व्यवस्था को सही करने के लिए व्यापम के द्वारा सीधी भर्ती करके स्कूल में रिक्त पद पर नियुक्ति करने की जरूरत है। शिक्षा विभाग जिस प्रकार से शिक्षक सेवको की भर्ती कर खाना पूर्ति करने का काम कर रही है इससे यही साबित होता हैकि शिक्षा के स्तर को सुधारने के बजाय सिर्फ और सिर्फ अपने उत्तर दायित्व से पल्ला झाडऩे का काम जिम्मेदार अधिकारी कर हैं।


अस्थाई नौकरी से अधर में लटक जाती है युवाओं का भविष्य –
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा शिक्षकों की कमी को तात्कालिक रुप से दूर करने का प्रयास केवल बस्तर के युवाओं के साथ छलावा ही होगा। क्योंकि जिन युवाओं को डीएमएफटी मद से शिक्षक सेवकों के रुप में पदस्थ किया जावेगा वे पूर्णत: अनियमित व अस्थाई होंगे। उनकी सेवा अवधि भी कम समय के लिए होंगी, इस प्रकार ऐसे युवा ना ही स्थाई रूप से शिक्षक के रूप में सेवा देते रहेंगे न ही वे किसी अन्य कार्य में ही अपने भविष्य की तैयारी कर पाएंगे। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा शैक्षणिक व्यवस्था को सही करने के नाम पर इस तरह खाना पूर्ति वाली प्रक्रिया युवाओं के साथ मज़ाक करने जैसा है। शिक्षा विभाग द्वारा अति आवश्यक शालाओं में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत खनिज न्यास निधि से शिक्षक सेवको की चयन की बात कही गई है।

शिक्षा अधिकारी और प्रशासन से इस प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से तरुणा साबे बेदरकर सवाल किया है कि जब प्रशासन एक तरफ़ स्वास्थ्य विभाग में डीएमएफटी मद के तहत कार्य कर रहे कर्मचारियों की पैसों की तंगी बताकर सेवा समाप्त करने पर तुली है तब वही प्रशासन शिक्षा विभाग में किस प्रकार फंड की व्यवस्था कर पायेगी। इस तरह उनकी तैयारियों पर स्वत: ही सवालिया निशान उठ जाता है। जिला शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी निभाते हुये बस्तर जिले में विषय वार और समस्त शालाओं में कुल रिक्तियों पर सीधी भर्ती हेतु मुख्यमंत्री और तमाम जनप्रतिनिधियों को पत्र द्वारा सूचित कर अपनी जिम्मेदारी निभाये ना कि अंश कालीन चयन कर खाना पूर्ति करने का काम करे।


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