ढाबा के किसान लालाराम वर्मा का कमाल, मन में संकल्प लिया, आधुनिक तरीके से करेंगे मुर्गीपालन, अंडे सेकने खुद तैयार कर लिया इनक्यूबेटर, रेफ्रिजरेटर को एग इनक्यूबेटर बना लिया, गाँव के ऊर्वर मस्तिष्क कर रहे अद्भुत प्रयोग

IMG-20211214-WA0761.jpg


भिलाईनगर। ग्रामीण आजीविका को उभारने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नरवा, गरुवा, घुरूवा, बाड़ी योजना से दुर्ग जिले में भी नई पीढ़ी के उद्यमी भी तैयार हो रहे हैं। अपने ऊर्वर विचारों और शासन की तकनीकी सहायता से किसान ऐसे रचनात्मक कार्य कर रहे हैं जिनके बारे में सोचना भी मुश्किल है। ग्राम ढाबा के किसान लालाराम वर्मा ने इनक्यूबेटर मशीन तैयार की है जिससे अंडों को सेंका जा सकता है। पशुधन विकास विभाग के अधिकारी डॉ. संदीप मढ़रिया से उन्होंने तकनीकी जानकारी ली कि आदर्श इनक्यूबेटर में किस तरह की स्थिति होती हैं। उसके बाद यूट्यूब चैनल देखे कि किस प्रकार इनक्यूबेटर मशीन बनाये जा सकते हैं। फिर इसे अनूठे तरीके से तैयार कर लिया।

बाजार से एक कबाड़ रेफ्रिजरेटर लाये, इसमें लाइट लगाई। बाहर टेम्प्रेचर डिस्प्ले का यूनिट लगाया और इनक्यूबेटर तैयार हो गया। बाजार में खरीदते तो पचास हजार रुपए का आता। वर्मा ने पोल्ट्री यूनिट की शुरूआत दो साल पहले शासन की बैकयार्ड पोल्ट्री डेवलपमेंट योजना से एक यूनिट लेकर की थी। अब इनके पास लगभग 250 चिक्स हैं। जिला पंचायत सीईओ श्री अश्विनी देवांगन ने बताया कि कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में पोल्ट्री यूनिट्स को गौठानों में बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।


एक यूनिट से की शुरूआत, सफलता मिली तो बढ़ा लिया काम- वर्मा ने बताया कि पशुधन विकास विभाग के अधिकारी डॉ. संदीप मढ़रिया ने उनसे संपर्क किया और कहा कि पोल्ट्री यूनिट शुरू करने से कृषि के अलावा अतिरिक्त आय भी हो सकती है। उन्होंने एक यूनिट से शुरुआत की। एक यूनिट में उन्होंने 6 सौ रुपए लगाये और शेष राशि योजना से आई। इसमें अच्छा रिस्पांस रहा। फिर उन्होंने इस कार्य को बढ़ाने का निश्चय किया। 100 नगर अंजोरा से कड़कनाथ लेकर आये और इतने ही नग वनराज।


फिर विचार आया इनक्यूबेटर का- इनक्यूबेटर पूरी तरह से तकनीकी रूप से दक्ष हो तो अंडों की फर्टिलिटी रेट 80 फीसदी तक होती है। इसलिए वर्मा ने इसके लिए विचार किया। मार्केट में इनक्यूबेटर 50 हजार रुपए का आता है और इसमें 800 अंडों को सेंकने की क्षमता होती है। उन्हें लगा कि अभी तो उनकी यूनिट छोटी है तो इतना निवेश ठीक नहीं होगा। उनके मन में विचार आया कि खुद भी इनक्यूबेटर क्यों न बना लें। उन्हें लगा कि खराब फ्रीज के भीतर बंद वातावरण में यह सही होगा।

उन्होंने तापमान और आद्र्रता के लिए तकनीकी मार्गदर्शन डॉ. मढ़रिया से लिया और इसे बनाने का तकनीकी मार्गदर्शन यूट्यूब से। वर्मा ने बताया कि उनका इनक्यूबेटर अच्छा काम कर रहा है। अभी आद्र्रता के लिए एक सेटअप करना है। खुशी की बात यह है कि विज्ञान के स्टूडेंट नहीं होने के बावजूद वर्मा ने तकनीकी रूप से इतना दक्ष काम किया है। फिलहाल वर्मा मुर्गी के साथ ही बटेर उत्पादन का काम भी कर रहे हैं।


scroll to top