भिलाईनगर। 20 दिसंबर को सम्पन्न होने वाले निकाय चुनाव में भिलाई नगर निगम रिसाली नगर निगम व भिलाई-चरोदा नगर निगम में अनेक कद्दावर वार्ड नेताओं की किस्मत इस समय डावाडोल है। उम्मीदवार ने मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ा है किन्तु इस दफा मतदाताओं की खामोशी इस बात को इंगित करती है कि, वार्ड चुनाव में अनेक उम्मीदावारों कद्दावर नेताओं की नींद उड़ी हुई है। अनेक वार्डों में काँग्रेसी, काँग्रेसी को ही जहाँ निपटा रहे हैं वहीं अनेक वार्डों में भाजपा भी इसी राह पर चल रही है।
काँग्रेस से जहाँ अरूण सिंह सिसोदिया, संदीप निरंकारी, आदित्य सिंह, राजेन्द्र सिंह अरोरा, सुषमा उपाध्याय, केशव चौबे, अभिषेक मिश्रा, डॉ.दिवाकर भारती, मानवेन्द्र सिंह, तुलसी पटेल, अनिशा बघेल, नीरज पाल, एकांश बंछोर, लक्ष्मीपति राजू, सुभद्रा सिंह, सीजू एंथोनी व भाजपा से रमेश साहू दादर, जयप्रकाश यादव, रमेश कुमार श्रीवास्तव, अरविंद जैन, दया सिंह, विनोद सिंह, पीयूष मिश्रा, श्रीमती रश्मि सिंह, शिव प्रकाश शिबू, रिंकू साहू, लल्लन यादव, दिनेश कुमार यादव के अलावा निर्दलीय उम्मीदवारों में वशिष्ठ नारायण मिश्रा, जानकी देवी, रामानंद मौर्य के किस्मत का फैसला कल मतदाता लिखेंगेे। वही रिसाली नगर निगम मे कांग्रेस के राजेन्द्र रजक,राकेश मिश्रा, केशव बंछोर,अनूप डे,विलाश बोरकर, मुकुंद कुमार धैसे, अवधेश यादव, जहीर अब्बास, किसे जीत मिलेगी किसकी हार होगी इसका फैसला 23 को मतगणना के उपरांत स्पष्ट हो जायेगा। किन्तु बताया जाता है कि, इस बार की राजनीति फिजा काफी बदली-बदली रहेगी।
कई कद्दावर वार्ड नेताओं को जहाँ मतदाता अपने मन से उतार चुके हैं वहीं कइयों को फैसला अप्रत्याशित आयेगा। मतदान को लेकर पूरी तैयारी हो चुकी है। इस सूची में भाजपा और काँगे्रस के वार्डों के कई आधी रात को चुनावी शोर थम जाने के बाद आज सुबह नतीजे के लिहाज से कमजोर लग रहे वार्डों में कांग्रेस और भाजपा संगठन ने फिर से जोर लगा दिया है। प्रत्याशियों के साथ समर्थकों की टीम पुन: घर-घर दस्तक देकर डेमेज कंट्रोल में लग गई है। इस दौरान मतदान से पहले एक-दूसरे को पछाडऩे कूटनीति का सहारा लिया जा रहा है।
भिलाई, रिसाली और भिलाई-चरोदा नगर निगम सहित जामुल नगर पालिका चुनाव में कल मतदान होना है। इससे पहले आज कांग्रेस-भाजपा सहित चुनाव में निर्दलीय खड़े प्रत्याशियों ने डोर टू डोर जनसंपर्क कर नतीजे को अपने पक्ष में लाने अंतिम जोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। इस दौरान मतदाताओं की नाराजगी को भांपकर उसे दूर करने के लिए भी प्रयास चलता रहा। बिना किसी शोर गुल के राष्ट्रीय पार्टी के संगठन से जुड़े नेता भी अपने प्रत्याशियों के पक्ष में जनसमर्थन की कोशिश में लगे रहे।
निर्वाचन आयोग ने इस बार के चुनाव में 18 दिसम्बर की रात 12 बजे तक रैली निकालकर शोर गुल के साथ प्रचार करने की अनुमति दी थी। कांग्रेस और भाजपा सहित निर्दलियों ने इसका भरपूर फायदा उठाया। आधी रात को शोर गुल थमने के बाद चुनाव संचालकों की टीम ने अपने-अपने प्रत्याशियों और उनके साथ पूरे समय प्रचार में मौजूद रहे संगठन के पदाधिकारियों और समर्थकों से उनकी स्थिति की जानकारी लेकर समीक्षा की। इसके बाद जहां-जहां से मतदाताओं का रुझान नकारात्मक मिला है ऐसे वार्ड और मोहल्ले में नई रणनीति के साथ अंतिम जोर लगाने का निर्देश दिया गया।
पार्टी संगठन के पदाधिकारियों और चुनाव संचालकों से मिले फीड बैक को अमलीजामा पहनाने कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी डोर टू डोर जनसंपर्क कर कूटनीति का सहारा लेते हुए विरोधियों को साधने में लगे रहे। मोहल्लों में जाकर मतदाताओं की बैठक लेने का सिलसिला भी दोपहर बाद शुरू कर दिया गया। वार्ड में लोकप्रिय और सम्मानित नागरिकों को चिन्हित कर अपने पक्ष में मतदाताओं से मतदान कराने के लिए भी प्रत्याशियों की कोशिश जारी रही। वार्ड से बाहर रहने वाले मतदाताओं को चिन्हित कर प्रत्याशी और उनके समर्थक फोन लगाकर पक्ष में मतदान के लिए पहुंचने का आग्रह करते रहे।
कत्ल की रात से निपटने बनी रणनीति
मतदान से पहले की रात को चुनावी चर्चे में कत्ल की रात कही जाती है। इस रात को सभी प्रत्याशी अपने पक्ष में ज्यादा से ज्यादा मतदान कराने के लिए साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाते है। एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगाने मतदाताओं को शराब से लेकर साड़ी, कंबल, शाल और घरेलू उपयोग की सामग्री उपहार के रूप में देते हैं। इसके अलावा कूटनीति के जरिये प्रतिद्वंद्वी खेमे के विश्वसनीय समर्थकों को प्रलोभन देकर अपने साथ मिलाने की राजनीति भी जमकर होती हैण् कांग्रेस और भाजपा ने कत्ल की रात अपने मतदाता और करीबी समर्थकों को विपक्षी के दांवपेंच से बचाने रणनीति तैयार कर लिया है। भीतरघात रोकने सहित प्रतिद्वंदियों की साजिशों को नाकाम करने रात भर चौकसी की भी तैयारी राजनीतिक दल और प्रत्याशियों की ओर से कर ली गई है।