भिलाई महापौर का पद अनारक्षित होने से सभी की उम्मीदों को लगे पर, सामान्य वर्ग के साथ ही अन्य वर्ग और महिलायें भी दौड़ में, जिस पर लगेगी मुख्यमंत्री के पसंद की मुहर उसी की होगी जातपोशी

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भिलाईनगर। भिलाई नगर निगम का महापौर पद अनारक्षित होने से सामान्य वर्ग के साथ महिलाओं सहित सभी वर्गों के काँगे्रस पार्षदों की उम्मीदों को पर लग गये हैं। हालांकि, यह भी तय समझा जा रहा है कि, मुख्यमंत्री के पसंद की मुहर जिस नाम पर लगेगी उसी की ताजपोशी होनी है। राजनीति के गलियारों में नए महापौर के नाम को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। समर्थक अपने पार्षद के नाम को लेकर तरह-तरह के दावे करने से नहीं चूक रहे हंैं। महापौर कौन बनेगा इस बात की चर्चा मतगणना के बाद से ही लगातार चल रही है। परन्तु रहस्य है कि, खुलने का नाम नहीं लेता।


भिलाई नगर निगम में काँग्रेस का महापौर बनना तो 23 दिसम्बर को मतगणना के पश्चात मिले स्पष्ट जनादेश से तय हो चुका है बस सबकी नजरें नाम के ऐलान पर टिकी हैं परन्तु इंतजार की घडिय़ाँ कुछ ज्यादा ही लम्बी होती दिख रही हंै। फिलहाल नए महापौर के लिए एकांश बंछोर, नीरज पाल, सुभद्रा सिंह, संदीप निरंकारी और आदित्य सिंह का नाम प्रमुखता से भिलाई के राजनीतिक गलियारे में सुर्खियों पर बना हुआ है। राजनीति में कईं बार पूर्वानुमान ध्वस्त भी होते रहे हैं। इसलिए चर्चे में आ चुके इन नामों के अलावा निर्णायक समय में चौकानें वाला नया नाम भी सामने आ सकता है।


भिलाई महापौर के पद को सामान्य बताकर सामान्य वर्ग से महापौर बनाने की बात को लेकर भी इन दिनों सरगर्मी बनी हुई है। जबकि यहां पर सामान्य का आशय जाति वर्ग के बजाय अनारक्षित है। इसका साफ मतलब है भिलाई महापौर बनने के लिए जाति, धर्म, वर्ग और महिला-पुरूष कोई बंधन नहीं है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी अपने पार्षदों में से किसी पर भी महापौर पद का दांव खेल सकती है। अभी जो पांच नाम चर्चे में हैं। उनमें एकांश बंछोर और नीरज पाल ओबीसी वर्ग से आते हैं। जबकि सुभद्रा सिंह, संदीप निरंकारी व आदित्य सिंह का ताल्लुक सामान्य वर्ग से है।


महापौर पद की दौड़ में शामिल जिन पार्षदों के नाम चर्चा में हैं और वे भी जिनकी कोई चर्चा नहीं है, उम्मीदें सभी को हैं और जब तक घोषणा न हो जाये तब तक ऐसा होना स्वभाविक भी है। मुख्यमंत्री को सभी के कार्यकलापों की पूरी जानकारी है। महापौर तय करने में संगठन और विधायक देवेन्द्र यादव की भूमिका खास रहेगी इसमें किसी तरह का संदेह नहीं है। हालंाकि, पूरा दारोमदार मुख्यमंत्री की पसंद पर निर्भर है।


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