सद् गुरू स्वामी कृष्णानंद महाराज का दो दिवसीय दिव्य महासत्संग, ऋषियों के सूत्रों को जीवन में उतार लें तो जीवन धन्य हो जायेगा

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अकलतरा। हमारे भारत में ऋषि यों ने जगह-जगह एक सूत्र दिया है वह सूत्र को हम लोग जीवन में उतार ले तो जीवन धन्य हो जाएगा हम लोग केवल उसे रट लेते हैं यदि उसे जीवन में उतार ले तो हमारा सहज ही कल्याण हो सकता है। इस पृथ्वी पर जितना भारत में अध्यात्म में शोध हुआ है उतना कहीं नहीं हुआ है जीवन के लिए धर्म की जरूरत होती है और मृत्यु के लिए मुक्ति के लिए आध्यात्मिक की जरूरत होती है। हम लोग धर्म को ही अध्यात्म समझ लेते हैं जीवन में जीने के लिए धर्म की जरूरत है बिना धर्म का जीवन नहीं।


यतो धार्यते सह: धर्मा
लेकिन मुक्ति और मृत्यु के लिए आध्यात्म दोनों का समन्वय है हमारा जीवन तो हमने कहा सत्यम शिवम सुंदरम
सत्यम शिवम सुंदरम ऋषियों ने एक सूत्र दिया लेकिन हम लोग इसे दीवार पर लिख लेते हैं सत्यम शिवम सुंदरम अपने किताब पर भी लिख लेते हैं लेकिन अपने जीवन में उतारते नहीं है इसे अपने जीवन में उतारना चाहिए पत्रकार को सत्य बोलना चाहिए और कथावाचक को साधु को महात्मा को शिव स्वरूप होना चाहिए और चित्रकार को सुंदर होना चाहिए तब यह समाज सुंदर होगा और शासन सुंदर हो जाएगा
फिर आप पूछेंगे यह चित्रकार किया ? तो जो शिक्षक है वह भी चित्रकार है अपने बच्चों को अच्छा बनाता है चित्र उतारता है शिक्षक प्रोफेसर न्यायमूर्ति यह लोग चित्र उतारते हैं जो कु चरित्र होता है उसको दंडित किया जाता है इसीलिए हमारे यहां गुरु लोग कभी रिटायर नहीं होते हैं गुरु रिटायर नहीं होता है बल्कि शिक्षक रिटायर होता है।


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