अंतिम दिन तबला, गायन और सितार वादन ने बटोरी वाहवाही, त्रिदिवसीय केबीआर बिमलार्पण संगीत महोत्सव का समापन

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भिलाईनगर। दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ के साथ व सहयोग से आयोजित त्रिदिवसीय केबीआर बिमलार्पण संगीत महोत्सव में अंतिम दिन कई प्रमुख कलाकारों ने शास्त्रीय संगीत की अपनी प्रस्तुति दी। भिलाई स्टील प्लांट के जीएम माइंस और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के दो बार कुलपति रहे प्रख्यात संगीतज्ञ दिवंगत आचार्य पं बिमलेंदु मुखर्जी के सांगीतिक प्रचार प्रसार एवम योगदान को याद करते हुए उनकी स्मृति में इस महोत्सव के अंतिम दिन की शुरुवात मां सरस्वती वंदना से हुई। जिसे बहुत ही खूबसूरती और मधुरता से अमित व्यास ने गाया। इस वंदना की रचना प्रो सुष्मिता बसु मजूमदार ने तथा स्वर रचना अनोल चटर्जी ने की थी।


इस खुबसूरत वंदना के पश्चात पहली प्रस्तुति में भावना चौहान का तबला वादन छाया रहा। टीम भिलाई एंथम एंड वेलफेयर सोसाइटी की प्रतियोगिता ”संयोगिता 2021” की विजेता रही भावना ने अपने तबला वादन ताल तीन ताल बजाकर वाहवाही बटोरी। जिसमें उठान, पेशकार,कायदा, रेला, गत और टुकड़ा आदि का खूबसूरत समावेश था। उनके वादन में तालीम और रियाज का गहरा असर दिखाई पड़ रहा था।
महोत्सव की दूसरी प्रस्तुति में प्रसेनजीत चक्रवर्ती ने अपने गायन की शुरुवात राग नायकी कनाडा से की और श्रोताओं का मोह लिया। प्रसेनजीत चक्रवर्ती के साथ तबले पर अर्णव मुखर्जी और हारमोनियम पर कमलक्ष मुखर्जी ने संगत की।

समारोह के अंतिम सत्र का समापन आचार्य पं बिमलेंदु मुखर्जी के सुयोग्य शिष्य पं अशिम चौधरी के सितार वादन से हुआ। उन्होंने सितार वादन की शुरुवात राग तिलक कमोद से की जिसमें संक्षिप्त आलाप व दो बंदिशें प्रस्तुत की जो क्रमश: विलंबित एवम द्रुत तीनताल में निबद्ध थी। तत्पश्चात अशिम ने राग मालकौंस में आलाप,जोड़ और तीन बंदिशे प्रस्तुत की जो क्रमश: विलंबित तीन ताल,मध्यलय एकताल और द्रुत तीन ताल में निबद्ध थी। अपने सितार वादन का समापन अशिम ने राग भैरवी से किया। उनके वादन में रागदारी,लयकारी,खूबसूरत मींड का काम,खटके, मुरकिया, तैयारी, गांभीर्य, चिंतन और सौंदर्य सभी का संतुलन था। इनके साथ उतनी ही पूरक संगत देबजित पतितुंडी ने की। कार्यक्रम का संचालन श्रद्धा भारद्वाज ने किया।


स्वर्णाली और शौनक छा गए अपनी प्रस्तुतियों से
इस तीन दिवसीय प्रतियोगिताय में दो कलाकारों ने खास तौर पर दर्शकों और संगीत रसिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। टीम भिलाई एंथम की प्रतिष्ठित प्रतियोगिता ”संयोगिता 2021” में स्वर्णाली रॉय चौधुरी सेमी क्लासिलक श्रेणी में प्रथम रही थीं। उनकी ठुमरी, दादरा, भजन एवं गजल की प्रस्तुति को दर्शकों की सर्वाधिक सराहना मिली। उनके गुरू अनोल चटर्जी हैं। स्वर्णाली की सधी हुई प्रस्तुतियों को लेकर पं. अशीम चौधुरी ने बधाई देते हुए उम्मीद जताई है कि बिमलार्पण की खोज यह कलाकार भविष्य में भी देश को अपना सर्वश्रेष्ठ देते रहेगी। इसी तरह शौनक राय का सरोद वादन ने दर्शकों को अपनी ओर खींचने में कामयाब रहा। महज 14 वर्षीय शौनक ने अपने वादन से किसी सिद्ध वादक का नमूना पेश किया। ”संयोगिता 2021” में शौनक ने अपनी उम्र से कहीं बड़े लोगों को पीछे छोड़ दिया। उनके भाई 18 वर्षीय अरको रॉय भारतीय शास्त्रीय वादन श्रेणी में द्वितीय स्थान पर रहे। शौनक और अरको दोनों शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में शारोदीय भाई के नाम से विख्यात हो रहे हैं।


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