भिलाईनगर 16 जनवरी 2022:– रेलवे प्रशासन की अपनी जमीन पर अवैध रूप से काबिज परिवार को हटाने की दी गई नोटिस ने पार्षदों का टेंशन बढ़ा दिया है. बेदखली नोटिस मिलने के बाद से रेलवे की जमीन पर काबिज परिवारों में खलबली सी मची हुई है. ऐसे परिवार अपने बरसों पुराने आशियाने को बचाने पार्षदों से गुहार लगा रहे हैं.
रेलवे के रायपुर डिवीजन से भिलाई – दुर्ग के ऐसे परिवारों को अपना आशियाना हटा लेने का नोटिस जारी किया गया है जो रेलवे की जमीन पर है. यह नोटिस इंजीनियरिंग विभाग की ओर से 3 जनवरी को जारी कर 21 दिनों के भीतर कब्जा खाली करने की चेतावनी दी गई है. इस नोटिस के मिलने के बाद से ही रेलवे की जमीन पर कच्चा – पक्का मकान बनाकर निवास कर रहे भिलाई – दुर्ग के लगभग दो हजार परिवारों की नींद उड़ गई है. भयभीत परिवारों की ओर से आशियाना बचाने के दबाव के चलते वार्ड पार्षदों के माथे पर बल आ गया है.
गौरतलब रहे कि दुर्ग नगर निगम के रायपुर नाका सहित भिलाई – चरोदा में राजीव नगर, प्रगति नगर, इंदिरा नगर, बीएमवाय उरला, देवबलोदा, जी. केबिन और रिसाली नगर निगम क्षेत्र के मरोदा और पुरैना में रेलवे की खाली जमीन पर लंबे समय से बस्ती आबाद है. इन बस्तियों में रहने वाले कुछ परिवार ऐसे है जिनकी तिसरी पीढ़ी वहां निवास कर रही है. ऐसे परिवार में ज्यादातर रेल कर्मचारियों के वारिसान हैं. इन परिवारों को पूर्व में भी बेदखली नोटिस मिलता रहा है. लेकिन इस बार रेलवे अधिकारियों के तेवर सख्त नजर आने से लोगों में खौफ पसर आया है.
रेलवे की जमीन पर काबिज परिवारों को मिले बेदखली नोटिस से वहां रहने वाले तो खौफज़दा हैं साथ ही साथ पार्षदों का भी टेंशन बढ़ गया है. ऐसे बस्ती से चुने गए पार्षदों के पास लोग अपने आशियाने को बचाने की गुहार लेकर पहुंच रहे हैं. पार्षदों के लिए लोगों की मंशा के अनुसार उनके आशियाने को बचाना चुनौती पूर्ण बना हुआ है. पार्षदों का अधिकार निगम और राज्य शासन के दायरे में सीमित है. जबकि रेलवे केन्द्र सरकार के अधीन होने से बेदखली का यह मसला पार्षदों के अधिकार से बाहर का है. लेकिन रेलवे की जमीन पर रहने वाले उनके मतदाता होने की वजह से पार्षदों का टेंशन बढ़ा हुआ है.पीएम आवास दे राज्य सरकार – पाण्डेय
भिलाई – चरोदा निगम के वार्ड 29 से पार्षद चन्द्रप्रकाश पाण्डेय ने बताया कि उनके वार्ड में रेलवे की जमीन पर राजीव नगर बस्ती है. बस्ती लगभग 50 साल पुरानी है. रेलवे से बेदखली नोटिस मिलने के बाद लोग परेशान हैं. ऐसे परिवारों को राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास प्रदान कर राहत दे सकता है.