निलंबित एडीजीपी जी.पी.सिंह अंतत: जेल गये, भारी पुलिस व्यवस्था के बीच विशेष न्यायाधीश लीना अग्रवाल के न्यायालय में हुई पेशी, जमानत याचिका खारिज, अदालत परिसर पुलिस छावनी में तब्दील

GP.jpg


रायपुर। निलंबित एडीजी जी.पी.सिंह को न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया है। संध्या 7:30 बजे उन्हें रायपुर केन्द्रीय जेल में दाखिल कराया गया। इसके पूर्व उनकी ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई और दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत न्यायाधीश श्रीमती लीना अग्रवाल ने जमानत याचिका खारिज करते हुए। उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखने के लिए जेल अधीक्षक को कोर्ट ने निर्देशित किया। जी.पी.सिंह 7 दिन तक जेल में क्वारेन्टाईन रहेंगे। न्यायालय ने 2 फरवरी तक जी.पी.सिंह को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने का आदेश दिया। आज सुबह रायपुर न्यायालय परिसर में काफी गहमा गहमी का माहौल था। ईओडब्लु की टीम ने आज जिला कोर्ट में पेश किया गया इस दौरान न्यायालय परिसर में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। शहर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तारकेश्वर पटेल, तीन सीएसपी और 6 से अधिक थाना प्रभारी भारी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे। स्पेशल कोर्ट के डायस से जी.पी.सिंह के जमानत को खारिज करने का आदेश नीचे आया। न्यायालय ने केन्द्रीय जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि, अभियुक्त जी.पी.सिंह संवेदनशील पद और जगहों पर पदस्थ रहे हैं इसलिए उनको शारीरिक व स्वास्थ्य सुरक्षा दी जाये। छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास में जी.पी.सिंह पहले भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं जिन्हें जेल जाना पड़ा है। इसके पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल जेल की हवा खा चुके हैं।


बता दें कि, निलंबित आईपीएस जी.पी.सिंह को कोर्ट में हार्डकोर अपराधियों की तरह लाया गया. कई घंटों पहले से पुलिस बल की तैनाती कर दी गई थी, जिसके चलते कोर्ट में आने जाने वाले लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा। भीड़ को देखकर आम लोग पूछने लगे किस अपराधी को लाया जा रहा है। जी.पी.सिंह की जमानत याचिका पर आज सुनवाई होनी थी। जी.पी.सिंह के वकीलों ने विशेष न्यायाधीश लीना अग्रवाल की कोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। निलंबित आईपीएस जी.पी.सिंह को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम श्रीमती लीना अग्रवाल के यहाँ पेश करने के बाद करीब घंटे भर तक जी.पी.सिंह की जमानत को लेकर बहस चलती रही। जी.पी.सिंह के वकीलों ने पूरे मामले को फर्जी करार देते हुए दलील दी कि, कोई आरोप नहीं बनता इसलिए जमानत दी जाये। जबकि, सरकार की ओर से विशेष तौर पर उपस्थित अतिरिक्त महाअधिवक्ता अमृतो दास ने आरोपों को सही बताया और जमानत याचिका का विरोध किया। एक घंटे से कुछ ज्यादा समय तक चली बहस के दौरान निलंबित जी.पी.सिंह एकदम शांत मुद्रा मेें थे।

बहस के दौरान जी.पी.सिंह के वकील आशुतोष पाण्डेय और श्रीधर ने अदालत से आग्रह किया कि, जी.पी.सिंह के स्वास्थगत परेशानी हैं उन्हें हृदय और बीपी की परेशानी है। बहस के उपरांत जी.पी.सिंह को कोर्ट परिसर से बाहर लाकर लॉबी में लाया गया। 5वीं मंजिल पर जज लीना अग्रवाल के चैम्बर के सामने मौजूद लॉबी को सुरक्षाकर्मियों से रस्सी से घेरे में ले लिया था इस दौरान आईपीएस जी.पी.सिंह उस घेरे के भीतर जेल या फिर बेल के मसले पर अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे थे। अदालत में 5वीं मंजिल जाने की राह भी आसान नहीं थी जिन्हें जाना है उनके लिए सीढ़ी थी पर हर मंजिल की सीढ़ी की शुरूआत में सिपाहियों के सवाल मौजूद थे। लिफ्ट में प्रवेश रोक दिया गया था। पूरा अदालत परिसर पुलिस छावनी में तब्दील था।

शहर पुलिस कप्तान तारकेश्वर पटेल के नेतृत्व में 3 सीएसपी, 8 टीआई, 14 सब इंस्पेक्टर, 16 एएसआई सहित भारी भरकम अमला के अलावा ईओडब्लु की ओर से एडिशनल एसपी महेश्वर नाग के नेतृत्व में तीन उप पुलिस अधीक्षक एवं आधा दर्जन निरीक्षक एवं अन्य स्तर के अधिकारी जी.पी.सिंह के साथ साये के तरह चिपके हुए थे। आज न्यायालय परिसर में जी.पी.सिंह के इर्द-गिर्द उनके वकील और रिश्तेदारों के अलावा और कोई नहीं था। न्यायालय परिसर के बाहर मीडिया की मौजूदगी को रोक दिया गया था। पिछले बार दो पेशियों में जिस अंदाज में जी.पी.सिंह की तस्वीर आयी और मीडिया से संवाद हुआ उसका दोहराव ना हो इसके लिए सतर्कता बरती गई।


जुलाई 2021 में ईओडब्लु-एसीबी ने मारा था छापा
गौरतलब है कि 1 जुलाई 2021 की सुबह 6 बजे ईओडब्लु-एसीबी की टीमों ने रायपुर, राजनांदगाँव और ओडिशा में उनके सहयोगियों समेत उनके सभी ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था, जिसमें 5 करोड़ की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ था। 10 करोड़ की संपत्ति मिलने और इसके बढऩे की आधिकारिक जानकारी दी गई थी।


इसके अलावा छापे के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज भी मिले थे, जिसके आधार पर रायपुर कोतवाली में निलंबित एडीजी जीपी सिंह पर राज्य सरकार राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ था। जिसका चालान कोतवाली पुलिस पहले ही कोर्ट में पेश कर चुकी है, जो कोर्ट में विचाराधीन है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर में अनुपातहीन संपत्ति और भष्टाचार निवारण अधिनियम और धारा 201, 467, 471 के आरोप में निलंबित आईपीएस जी.पी.सिंह का प्रकरण दर्ज है।


scroll to top