बाडिय़ों में ब्रोकली भी, एनजीजीबी के माध्यम से ग्लोबलाइजेशन की देन फसलें पहुंची गांवों में भी, पहली बार समूह की महिलाओं ने बोया ब्रोकली, अच्छा उत्पादन हुआ, रायपुर और भिलाई के बाजार में बिक गई पूरी सब्जी

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दुर्ग। सेहत के प्रति सजग लोगों को सलाह दी जाती है कि ब्रोकली की सब्जी खायें लेकिन सुपरमार्केट तक जाने की जो जहमत नहीं उठा पाते, उनके लिए अब भी ब्रोकली की सब्जी थाली तक नहीं पहुंची है क्योंकि मार्केट में इसकी उपलब्धता कम है। माँग और पूर्ति के इस समीकरण को देखते हुए पाटन के गांवों में ग्लोबलाइजेशन की इन नई फसलों के उत्पादन का नवाचार भी शुरू हो चुका है। अरसनारा की भगवती स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने पहली बार ब्रोकली बोया। ब्रोकली का अच्छा उत्पादन हुआ और इसे रायपुर और भिलाई के बाजारों में महिलाओं ने स्वयं बेचा। समूह की अध्यक्ष श्रीमती पूर्णिमा पेंडरिया ने कहा कि हमें बिहान के अधिकारियों ने बताया कि मार्केट में इंग्लिश सब्जी की बहुत माँग है। यह काफी महँगे में बिकती हैं और शहर के लोग इन्हें हाथों-हाथ लेते हैं।

उन्होंने हमें ब्रोकली के बीज उपलब्ध कराये और हमने इसकी पहली फसल ले ली। बेहद सहजता से इसे हमने बेच भी दिया। पूर्णिमा ने बताया कि हमने जैविक खाद का उत्पादन भी किया है और जैविक खाद के माध्यम से इसकी खेती की है। जिला पंचायत सीईओ श्री अश्विनी देवांगन ने बताया कि कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में ऐसे नवाचारी फसलों पर विशेष रूप से जोर दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर बाडिय़ों के विकास के लिए विशेष रूप से तकनीकी मार्गदर्शन इन समूहों को दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ब्रोकली में स्वास्थ्यगत गुण तो हैं ही, इसे जैविक खाद के माध्यम से उपजाया जाये तो यह सोने में सुहागा जैसी स्थिति होती है। इस प्रकार से सेहत के लिए सजग लोग ऐसे उत्पाद हाथों-हाथ लेते हैं। इसलिए इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। उपसंचालक उद्यानिकी श्री सुरेश ठाकुर ने बताया कि प्रगतिशील कृषक कुछ साल से ब्रोकली का उत्पादन जिले में कर रहे थे, पहली बार समूह की महिलाओं ने भी ब्रोकली बोया है। नये दौर की फसलों को लेने और उससे जुडऩे यह बहुत शुभ संकेत है।


सबसे बढिय़ा मार्केट ब्रोकली का– हेल्थ के जितने भी लेख लिखे जाते हैं उनमें फाइबर, प्रोटीन और विटामिन की उपलब्धता के दृष्टिकोण से ब्रोकली की सलाह दी जाती है। एक दशक के भीतर महानगरों में तो यह सब्जी पोषण के दृष्टिकोण से सबसे अग्रणी सब्जी में शामिल हो गई है। दुनिया भर में ग्लोबलाइजेशन की वजह से इसकी माँग बढ़ी है और यद्यपि भारत में इसका उत्पादन खाड़ी युद्ध के बाद ही शुरू हुआ तो भी भारत इसके निर्यात में चीन के बाद दूसरे स्थान में है।


पांच गुना रेट मिलने की संभावना– ब्रोकली की खेती का बड़ा लाभ यह है कि डिमांड-सप्लाई का समीकरण इसके उत्पादनकर्ताओं के पक्ष में है। मार्केट में इसकी माँग ज्यादा है इसकी तुलना में पूर्ति कम ही है। इसलिए इसका रेट अच्छा आता है। सेहत के लिए इसे विशेष उपयोगी बताया जाता है। लो कैलोरी कंटेट और हाई प्रोटीन होने की वजह से इसे सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है।


यहां से आई ब्रोकली– ब्रोकली के उत्पादन की पहली जानकारी ईसा से छह शताब्दी पहले रोम में मिलती है। उन्नीसवीं सदी में यह यूरोप के दूसरे हिस्सों में पहुंचा। इसके उत्पादन को तब और बढ़ावा मिला जब हास्पिटैलिटी इंडस्ट्री ग्लोबलाइजेशन के बाद बहुत सशक्त हुई और ब्रोकली अपने पौष्टिक गुणों के कारण फाइवस्टार होटल्स के मेनू में शामिल हुआ। भारत में पहली बार खाड़ी युद्ध के बाद ब्रोकली की खेती आरंभ हुई।


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