दुर्ग 02 फरवरी 2022:- बाल कल्याण समिति की सदस्य प्रीति अजय बेहरा ने कहा कि, केन्द्र की कही सरकार की नजरे किचन की ओर तो गई ही है। ही नहीं। उन्होंने कहा हैं ज्वेलरी में कस्टम सोनों डयूटी कम करने के बजाय अगर सरकार किया रोजमर्रा की चीजों के दाम कम करती तो नाईड महिलाओं को न सिर्फ राहत मिलती, किया बल्कि महंगाई के बीच खाद्य सामानों में ही है। आय का सत्तर फीसदी हिस्सा खर्च हो जा रहा है। ऐसे में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे खर्चों को आम आदमी नही उठा पा रहा नहीं है। उन्होंने कहा हैं कि केन्द्रीय बजट जमीनी स्तर पर कम ही सफल साबित होती है। उन्होंने कहा है कि मध्यम वर्ग से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए महंगाई की मार किस कदर झेलनी पड़ती है, ये सभी जानते हैं। और एक जहां पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं, तो वहीं रोजमर्रा की जरूरत के सामानों के दाम बढ़ने से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों वजह है।गरीब महिलाएं रसोई पर भी महंगाई की मार न पड़े और रोजमर्रा की नानों महिलाओं के लिए तीन योजनाएं लांच की गई हैं, जरूरतों के सामान सस्ते होने की उम्मीद में थी, जबकि ऐसा देखा गया हैं कि सरकारी योजनाएं लेकिन उनके उम्मीदों पर पानी फिर गया है। ज्वेलरी में कस्टम ड्यूटी, महंगे खाद्य सामानों पर बिफरी के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। घरेलू गैस से राहत नहीं
बेहरा ने कहा कि गैस का दाम एक हजार रुपए हो गया है। इसके अलावा तेल का दाम 190 रुपए हो गया है। चीनी 42 की हो गई है। पढ़ने वाले बच्चे पढ़ नहीं पा रहे है। जो दो पैसा मिल रहा है, वो किचन में खर्च हो जा रहा है। यही वजह है कि बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू गैस के दाम आज एक हजार हो गए है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बजट के नाम पर महिलाओं को सरकार ने क्या राहत दी है।