भिलाईनगर। शहर के खुले मैदानों में होने वाली शराबखोरी पर अंकुश लगाने आबकारी विभाग की नाकामी खतरनाक साबित हो रही है। खुर्सीपार में आईटीआई ग्राउंड पर हुई युवक की नृशंस हत्या इसका ताजा उदाहरण है। आबकारी विभाग के जिम्मेदारों की उदासीनता से खेल मैदान सहित अन्य खुली जगह देर रात तक मयखाने में तब्दील रहते हैं।
रविवार-सोमवार की दरम्यानी रात शासकीय आईटीआई ग्राउंड में जोन-3 खुर्सीपार निवासी मोनू कुमार पिता दीनबंधु कुमार (27 वर्ष) की हत्या ने आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है। मौका, वारदात पर शराब की खाली बोतल, डिस्पोजल गिलास और चखने के रैपर मिला है। ऐसे में वारदात से पहले वहां पर शराबखोरी होने को लेकर कोई संदेह नहीं रह गया है। शराब पीने के दौरान ही विवाद होने या फिर किसी पुरानी रंजिश के चलते हत्या की संभावना साफ दिख रही है।
यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि खुले में शराबखोरी रोकना आबकारी विभाग का काम है। लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस दिशा में महज औपचारिकता निभाते दिखते हैं। समय रहते खुले में होने वाली शराबखोरी पर विभाग के जिम्मेदार सख्ती बरतते तो आईटीआई ग्राउंड में हुई हत्या को रोका जा सकता था। ऐसा नहीं कि पहली बार इस तरह की वारदात हुई है। इससे पहले भी खुले मैदान में शराब पीने के दौरान ऊपजे विवाद पर मारपीट और हत्या जैसे मामले सामने आ चुके हैं।
जानकारी के अनुसा्रर भिलाई शहर सहित भिलाई-3 और चरोदा में कईं ऐसे मैदान हैं, जहां देर रात तक शराबियों की महफिल सजती है। भिलाई टाउनशिप के स्कूल मैदान भी इससे अछूता नहीं है। सिविक सेन्टर, जयंती मैदान, नेहरू नगर और वैशाली नगर जैसे पॉश कॉलोनी के खेल मैदान भी देर रात तक मयखाने में तब्दील रहते हैं। ऐसे में केम्प और खुर्सीपार जैसे स्लम एरिया के मैदानों में रात गहराने के साथ शराबखोरी के चलते बनने वाली स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। भिलाई-3 और चरोदा के मैदानों पर भी रात के वक्त बेखौफ अंदाज में शराबखोरी घटना-दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।
खुले में शराबखोरी को लेकर खुर्सीपार इलाका हमेशा से संवेदनशील रहा है।
इस इलाके में शराब के अलावा दूसरे नशा करने वालों की संख्या भी ज्यादा मानी जाती है। गांजा की अवैध खरीदी-बिक्री के मामले भी खुर्सीपार क्षेत्र में थोड़े-थोड़े समयांतराल में उजागर होते रहता है। रात घिरने के साथ ही खुर्सीपार आईटीआई ग्राउंड सहित जितने भी स्कूल मैदान हैं वहां शराब, गांजा सहित अन्य नशा के आदी युवाओं की महफिल सज जाती है। इस दौरान आपस की छोटी सी विवाद के बड़ी वारदात में तब्दील हो जाने के अनेक मामले सामने आ चुके हैं। महाकोशल ने समय-समय पर खुले में शराबखोरी से बनी विपरीत स्थिति की ओर आबकारी और पुलिस विभाग का ध्यानाकर्षण कराया है। बावजूद इसके जिम्मेदारों की उदासीनता बरकरार रहने से वारदातों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।