जिस जमीन पर मकान बनाने पैसों की लेनदेन का जि़क्र हो रहा वह नगर निगम या रेलवे किसके आधिपत्य की – आप
एफआईआर नही लिखी गई तब न्यायालय क्यों नही गए भाजपाई -आप
जगदलपुर। पिछले 2 सप्ताह से अधिक दिन गुजऱने को हैं नगर पालिक निगम जगदलपुर के संजय गांधी वार्ड की काँग्रेसी महिला पार्षद द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलवाकर मकान बनाने के लिए अवैध रूप से पैसे लेने का आरोप कुछ वार्ड वासियों व भाजपा संगठन द्वारा लगाया गया था। इस मामले में कई ऑडियो व वीडियो क्लिप जारी करके भाजपा संगठन से जुड़े लोगों के द्वारा अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की गई, जिससे आम नागरिकों का ध्यान मुद्दे पर लाया जा सकें। यही नही भाजपा संगठन से जुड़े लोगों द्वारा अन्य संगठन व लोगों को इस मुद्दे पर लाने की पूरी कोशिश की गई पर किसी ने इस तरफ़ ध्यान नही दिया। मज़बूरन भाजपा के लोगों ने एफआईआर नही लिखने व माहौल नही बनता देख मीडिया व जनता का ध्यानाकर्षण करने के लिए धरना देने का प्लान बनाया, लेकिन धरना का कोई असर नही होता देखकर महिला कार्यकर्ताओं द्वारा कुछ वार्ड में भी धरना दिया गया।
लेकिन भाजपा को यह प्रोपोगंडा उल्टा पड़ गया और इस धरना प्रदर्शन में बैठे नेताओं की कम संख्या व उनके बीच आपसी गुटबाज़ी खुलकर सामने आ गई, जिसे जनता ने स्वयं देखा है। जबकि पुलिस अगर एफआईआर नही दजऱ् कर रही थी तब आंदोलन का नेतृत्व करने वाले भाजपा सन्गठन को न्यायालय का दरवाजा खटखटाने में क्या परहेज़ थी, जबकि उनके संगठन में ही कई अधिवक्ता हैं इसके बावजूद पीडि़तों को किसी तरह की कानूनी सलाह भी वे लोग नही दे रहे हैं। इससे साफ होता हैकि जनता को न्याय मिले उन्हें कोई मतलब नहीं मुद्दा विहीन भाजपा को सुर्खियों में बने रहने का अवसर मिल गया जिसे वे हर एक परिस्थिति में भुनाना चाहते हैं।
आम जनता को न्याय ना मिले इस कारण विपक्ष की आवाज़ कुचलने का प्रयास कर रही कांग्रेस -तरुणा
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की सदस्य व जिला अध्यक्ष तरुणा साबे बेदरकर ने सत्ता पक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी पर हमला बोलते कहा हैकि अगर आम जनता अपने साथ कांग्रेस पार्टी के पार्षद द्वारा ठगी की शिकायत कर रही है तब पुलिस पर दबाव बनाकर एफआईआर नही लिखने दिया जाना उनकी तानाशाही को दर्शाती हैं। जबकि स्वयं कांग्रेस जब सत्ता में नही थी तब वहीं भाजपा के दबाव में पुलिस द्वारा एफआईआर नही लिखने की शिकायत स्वयं करती थी। आम आदमी पार्टी ने सवाल किया है जैसी भाजपा की नीति थी वैसा ही आज कांग्रेस की नीति है अगर पैसे लेने की शिकायत सही है तब आम जनता के साथ न्याय नही होना दु:खद बात है। ठीक इसीतरह बस्तर मेम सक्रिय विभिन्न संगठनों द्वारा भी लग़ातार हो रहे निर्माण कार्यों व अन्य योजनाओं में गड़बड़ी की शिकायत लेकर आवाज़ उठाते हैं जांच की मांग करते हैं तब उन्हें भी किसी प्रकार की कोई जवाबी कार्यवाही नही हो रही है। जिससे यही प्रतीत होता हैकि जो पार्टी या सन्गठन सत्ता में है अपने हिसाब से अपने हित में अपनी मरमजऱ्ी चलाते है व आम आदमी से उन्हें कोई सरोकार नही है।
पुलिस द्वारा एफआईआर नही लिखना संविधान व लोकतंत्र पर हमला – तरुणा
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की सदस्य व बस्तर जिला अध्यक्ष तरुणा साबे ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर किसी वार्ड की 40 परिवार स्वयं पर ठगी का आरोप लगाते हुए शिक़ायत दजऱ् कराने आ रहे हैं तब पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज कर लेनी चाहिए। एफआईआर दर्ज होने के बाद किसी तरह की जांच या गवाही इत्यादि की प्रक्रिया की जाती है उसके पहले ऐसा कोई प्रावधान ही नही है। लेकिन पुलिस द्वारा एफआईआर तक दजऱ् ना करने से पूरी तरह सत्ता पक्ष के दबाव में काम करती हुई नजर आ रही है, ऐसा ही जब भाजपा का शासन था तब उनके दबाव में भी एफआईआर दर्ज नही किये जाते थे और इस तरह भविष्य में न्याय की आस लेकर पुलिस के पास आने वाले लोगों में आम नागरिकों का विश्वास कम हो जाएगा। पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों के द्वारा इस तरह सत्ता के दबाव में कार्य नही करना चाहिए।
कांग्रेस द्वारा अवैध क़ब्ज़ा कर कार्यालय विस्तार करने के मामले में क्यों चुप रही भाजपा -आप
आम आदमी पार्टी की जिला अध्यक्ष तरुणा साबे बेदरकर ने भाजपा के इस तरह के दिखावटी प्रदर्शन पर तंज कसते हुए सवाल किया हैकि यही मुद्दा विहीन भाजपा व उससे जुड़े लोग जो लगभग 2 सप्ताह से उक्त मामले को लेकर धरना व अन्य तरीकों से स्वयं को आम नागरिकों की नजऱों में बनाये की रखने की कोशिश कर रहे हैं जिन्होंने आज नगर बंद तक का ऐलान किया वे लोग तब कहां थे जब उनकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी व सत्ता में काबिज कांग्रेस पार्टी द्वारा शासकीय पार्क की भूमि पर खुलेआम अवैध कब्जा करके अपने कार्यालय का विस्तार कर भव्यता के साथ उसका उद्घाटन किया। इस तरह साफ साबित होता हैकि की भाजपा व उससे जुड़े लोगों को जनता से सीधे तौर पर जुड़े मामलों में दिलचस्पी नही होती बल्कि केवल वही उनकी सक्रियता दिखती है जहां लेन देन का मामला हो।