दुर्ग। आज छत्तीसगढ़ प्रवास पर पहुँचे कर्नाटक मैसूर के पीठाधिपती परम पूज्य श्री शंकर भारती जी महास्वामी महराज को विश्व हिंदू परिषद द्वारा दुर्ग बस स्टैण्ड में स्थित दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर को शासन प्रशासन द्वारा सड़क चौड़ीकरण के नाम पर हटाया जाने की जानकारी दी गई। इस मुद्दे की जानकारी देने पर स्वामी जी राजनांदगाँव जाते हुए कुछ देर हनुमान मंदिर में रुके और पूजा अर्चना की। आंदोलनकारी हिंदू संगठन के नेताओं का हौसला बढ़ाया तथा प्रशासन के लिए विकास के नाम केवल हिंदुओ का अहित न होने की नसीहत दिया।
जबकि डिवाइडर की दूसरी तरफ चर्च को बचाने टेढ़ा – मेढ़ा नाली बनाकर मुख्य सड़क को सकरा कर दिया गया है। इसी भेदभाव पूर्ण कार्य को लेकर भाजपा संगठन ने खुलकर खिलाफत किया था जिसके बाद सर्व हिंदू समाज, विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल व हिंदू युवा मंच अपने अपने तरीके से लगातार मुखर होकर आंदोलन कर रही है।
इसी क्रम मे आज छत्तीसगढ़ प्रवास में निकले कर्नाटक मैसूर से पधारे पीठाधिपती श्री श्री शंकर भारती जी महास्वामी जी ने राजनांदगांव जाते हुए कुछ देर रुककर प्राचीन हनुमान मंदिर में संकट मोचन हनुमान जी का दर्शन व पूजा अर्चना कर सभी आंदोलनकारी विश्व हिन्दू परिषद व अन्य संगठन के नेताओ को धर्म की रक्षा के लिए कार्य करने व विकास कार्यों में समानता पूर्वक निर्माण को लेकर प्रशासन के समक्ष मजबूती से बात रखने की नसीहत दिया।
इस अवसर पर विश्व परिषद नेताओ ने महास्वामी श्री श्री शंकर जी महराज जी को अब तक हुए आंदोलन व संघर्ष की जानकारी दिया। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद नेताओं ने महासवामी का स्वागत किया जिसमें जिला अध्यक्ष संजय उमक, सर्व हिंदू समाज के संयोजक अमर चंद सुराना, हिंदू जागरण मंच के जिला अध्यक्ष शिवेंद्र परिहार, पूर्व सभापति दिनेश देवांगन, गजेंद्र यादव, ज्योति शर्मा, दिनेश पाटिल प्रमोद बाघ सहित बड़ी संख्या में परिषद के कार्यकर्ता मौजूद थे। इस अवसर पर विश्व हिन्दू व सर्व हिंदू समाज के ठाकुर निहाल, पंडित देवव्रत गुरुजी, अपूर्व राजपूत, के के वर्मा, आर.के.श्रीवास्तव, आशीष तिवारी, रघुवीर सिंह साहू संतोष तिवारी, आर्श यादव, दिनेश वर्मा, विकास जैन, मनोज शर्मा, मुकेश तिवारी, दिनेश मिश्रा प्रमुख रूप उपस्थित थे। हिंदू समाज के नेताओं का कहना है कि, सड़क चौड़ीकरण में पक्षपात पूर्ण निर्माण कार्य के मुद्दे को लेकर भाजपा सहित विभिन्न हिंदू संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। निरंतर आंदोलन कर प्रशासन पर दबाव बनाया जा रहा है।