जालसाजी करने वालों पर न्यायालय ने दिया नेवई पुलिस को अपराध कायम करने का आदेश, फर्जी कागजात से दूसरे के लिए कराये थे वाहन फायनेन्स, दुर्घटना में मौत के बाद हुआ मामले को खुलासा, शिकायतकर्ता को झेलनी पड़ी पुलिस का प्रताडऩा
भिलाईनगर। कूटरचित दस्तावेज तैयार कर स्वयं को लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से षडय़ंत्रपूर्वक कोरे दस्तावेजों में फर्जी हस्ताक्षर कर कावासाकी वाहन फायनेन्स के मामले में प्रथम श्रेणी दंडाधिकारी श्रीमती अंकिता गुप्ता ने तत्कालीन अतिरिक्त क्षेत्रिय परिवहन अधिकारी ए.जी.गनी खान वंदना ऑटो के संचालक विवेक अग्रवाल, परिवहन विभाग के अधीक्षक ललित पांडेय, आरटीओ एजेन्ट वैंकटेश उर्फ चिन्ना सहित 7 लोगों के खिलाफ नेवई पुलिस को आदेशित किया है कि, धारा 420, 467, 468, 471, 120बी के तहत अपराध पंजीबद्ध कर अन्वेषण पश्चात अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में पेश करने का आदेश जारी किया है।
अधिवक्ता संजय अग्रवाल ने बताया कि, 2002 मे परसवाड़ा जिला बालाघाट में सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत के बाद इस फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ था तब से आवेदक पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, गृहमंत्री एवं थाना सुपेला एवं थाना नेवई को इस जालसाजी की शिकायत कर जाँच कर दोषी लोगों के खिलाफ कार्यवाही की माँग की है। किन्तु कहीं से भी न्याय न मिलने पर न्यायालय में धारा 156(3) के तहत परिवाद प्रस्तुत किया जिस पर से प्रथम श्रेणी दण्डाधिकारी श्रीमती अंकिता गुप्ता ने नेवई पुलिस को अपराध पंजीबद्ध करने का आदेश जारी किया। अधिवक्ता संजय अग्रवाल ने पीडि़त प्रगति नगर निवासी वरिष्ठ नागरिक अमर सिंह ठाकुर की उपस्थिति में आयोजित पत्रकार वार्ता में मामले की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि, अमर सिंह ठाकुर ने 1996 में अपनी पुत्री को कॉलेज आने-जाने के नाम पर बजाज फायनेन्स कम्पनी जो सुपेला में स्थित थी से एक सफेद बजाज प्राईड फायनेन्स कराया इस दौरान प्रार्थी से 20-25 हस्ताक्षर करवाये गये, फॉर्म 28, 29 और 30 के साथ-साथ कोरे दस्तावेजों में भी हस्ताक्षर करवाये गये। जिसकी सारी किश्तें बजाज फायनेन्स को अदा कर दी गई। इसी दौरान आवेदक के बजाज फायनेन्स को दिये गये दस्तावेजों के आधार पर बजाज फायनेन्स कम्पनी ने किसी अन्य व्यक्ति को बजाज एस. चैम्पियन मोटरसायकल फायनेन्स कर दी गई। उक्त व्यक्ति द्वारा किश्त भी अदा कर दी गई थी। आरटीओ दुर्ग में वाहन का पंजीयन एम पी 24 ई सी 9959 तथा वर्ष 2002 में सीजी 07 जेड एम 1983 परिवर्तित किया गया था।
उक्त वाहन से परसवाड़ा बालाघाट मध्यप्रदेश मे दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत होने के उपरांत वाहन भिलाई निवासी अमर सिंह ठाकुर के नाम पर पंजीबद्ध होने की वजह से बैहर के न्यायालय में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। जबकि दुर्घटनाग्रस्त् वाहन के फायनेन्स एवं पंजीयन के संबंध में अमर सिंह ठाकुर को किसी प्रकार की जानकारी नहीं थी और ना ही उन्होंने फायनेन्स करायी थी, 8 साल 6 माह तक कानूनी लड़ाई लडऩे के उपरांत बैहर के अपर न्यायालय ने अमर सिंह ठाकुर को दोषमुक्त कर दिया। उसके उपरांत अमर सिंह ठाकुर ने पुलिस अधीक्षक दुर्ग, क्राईम ब्रांच में इस फर्जीनामा के संबंध में लिखित शिकायत की। उपरोक्त वाहन के फायनेन्स में 278ए, रिसाली सेक्टर निवासी किसी संतोष वर्मा का उल्लेख था जो भी फर्जी निकला। बजाज फायनेन्स रायपुर द्वारा 30 अप्रैल 1998 को एग्रीमेन्ट होना बताया गया और बताया गया कि, 2388 रूपये लगातार 9 महीने तक उनके खाते से कटौती हुई है।
जबकि, अमर सिंह के ठाकुर के खाते से किसी प्रकार की कोई कटौती नहीं की गई थी। अधिवक्ता का आरोप है कि, आरटीओ में पंजीयन के दौरान फर्जी बीमा पॉलिसी नंबर डालकर वाहन का पंजीयन किया गया एवं आरटीओ एजेन्ट वैंकटेश उर्फ चिन्ना द्वारा हूबहू फर्जी हस्ताक्षर किया गया जिसकी जाँच हस्तलेख विशेषज्ञ द्वारा की गई। बताया जाता है कि, वंदना ऑटो मोबाईल्स रायपुर द्वारा महेन्द्र बिसेन को वाहन बेची गई थी इसकी भी जानकारी माँगने पर वंदना ऑटो मोबाईल्स द्वारा नहीं दी गई। इसी बीच पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेन्ज को भी लिखित शिकायत से अवगत कराया गया। इस दौरान सुपेला पुलिस ने न्यायालय में झूठा प्रतिवेदन पेश किया कि, वंदना ऑटो मोबाईल्स रायपुर बंद है। इसी दौरान 12 जनवरी 2017 को एसआईटी के सब इंस्पेक्टर सुभाष सिंह ने इस मामले में पुलिस अधीक्षक को गलत जानकारी दी। 09 अगस्त 2018 को नेवई के सब इंस्पेक्टर के.एल.गौर ने न्यायालय को गलत जानकारी देकर गुमराह किया । इससे यह उल्लेखित होता है कि, जाँच के नाम पर पुलिस आरोपियों को बचा रही थी।
13 अक्टूबर 2020 को थाना नेवई एवं 16 नवंबर 2020 को पुलिस अधीक्षक दुर्ग को इस फर्जी वाड़ा मामले में अपराध दर्ज करने के लिए आवेदन दिया गया जिस पर से भी कोई कार्यवाही नह होने पर अमर सिंह ठाकुर ने अधिवक्ता संजय अग्रवाल के मार्फत प्रथम श्रेणी दण्डाधिकारी श्रीमती अंकिता गुप्ता के न्यायालय में तत्कालीन अतिरिक्त क्षेत्रिय परिवहन अधिकारी गनी खान, परिवहन विभाग के अधीक्षक ललित पाण्डेय, वंदना ऑटो मोबाईल्स के मालिक विवेक अग्रवाल, मैनेजर अनिल शर्मा, बजाज ऑटो फायनेन्स लिमिटेड के तत्कालीन मैनेजर जितेन्द्र मालवीय, वंदना ऑटो मोबाईल्स के तत्कालीन सेल्समैन महेन्द्र बिसेन, आरटीओ एजेन्ट वैंकटेश उर्फ चिन्ना ने एक राय होकर साजिशपूर्वक कूटरचित दस्तावेज के आधार पर वाहन फायनेन्स कर परिवहन विभाग में उसका पंजीयन कराया है, के खिलाफ परिवाद दायर किया गया। 11 फरवरी को न्यायाधीश अंकिता गुप्ता ने सभी पक्षों को सुनने के उपरांत धारा 420, 467, 468, 471, 120बी भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर अन्वेषण पश्चात अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय के समक्ष पेश करने का आदेश जारी किया।