बीएसपी चिकित्सकों के रिसर्च पेपर का अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशन, डॉक्टरों ने अपने इनोवेटिव प्रयास से कोविड के हजारों मरीजों की बचाई जान

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भिलाईनगर। संयंत्र का सुप्रसिद्ध अस्पताल, जवाहर लाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र के डॉक्टरों ने अपने रिसर्च पेपर से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है। यह भिलाई के लिए गौरव की बात है कि बीएसपी चिकित्सकों के रिसर्च पेपर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पब्लिकेशन हाउस वोल्टर क्लूवर ने प्रकाशन हेतु स्वीकार किया है। यह अपनी तरह का वृहद और महत्वपूर्ण अध्ययन है जिसे इंडियन चेस्ट सोसाइटी के अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में जगह मिली है। बीएसपी बिरादरी के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। बीएसपी के डॉक्टरों के रिसर्च पेपर ने बीएसपी अस्पताल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी है। इस महत्वपूर्ण अध्ययन को प्रतिष्ठित इंडियन चेस्ट सोसाइटी ने ओरिजनल वर्क निरूपित करते हुए इस रिसर्च पेपर को स्वीकार किया है। इस महत्वपूर्ण रिसर्च पेपर को अंजाम दिया जेएलएन अस्पताल के संयुक्त निदेशक (रेस्पीरेटरी मेडिसीन) डॉ. त्रिनाथ दास और उनकी टीम ने।


रिसर्च पेपर को अंजाम देने वाली टीम
विशेष रूप से कोविड के दूसरी लहर के दौरान मध्यम से लेकर गंभीर श्रेणी के कोविड-19 निमोनिया रोगियों में उच्च सांद्रता वाले नॉन-रिब्रीदिंग ऑक्सीजन मास्क का उपयोग किया गया। इस ऑक्सीजन रिजर्ववॉयर मास्क में 70 से 100 प्रतिशत तक ऑक्सीजन होता है और यह बीमार रोगी के सांस लेने पर उसे निरन्तर ऑक्सीजन पहुंचाता रहता है। इस वृहद अध्ययन के तहत इन रोगियों के समूहों का डाटा संकलित कर निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए इसका समग्र विश्लेषण किया गया। इस महत्वपूर्ण अध्ययन को जेएलएन अस्पताल के संयुक्त निदेशक (रेस्पीरेटरी मेडिसीन) डॉ. त्रिनाथ दास के नेतृत्व में उनके पी जी स्टूडेंट्स डॉ कार्तिक टिप्पारापु, डॉ सर्वेंद्र विक्रम सिंह तथा डॉ कौस्तव रॉय ने पूर्ण किया।


रिसर्च पेपर को मिली अन्तर्राष्ट्रीय स्वीकृति
बीएसपी के चिकित्सकों ने कोविड-19 निमोनिया के गंभीर मरीजों को अपने अनुभव व नये प्रयोग से नई जिंदगी दी है। आज अपने प्रयासों को एक रिसर्च पेपर के रूप चिकित्सा जगत के सामने लाया है। उनके इस रिसर्च पेपर को इंडियन चेस्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित च्जर्नल ऑफ एडवांसड लंस हेल्थज् द्वारा ओरिजनल रिसर्च पेपर के रूप में प्रकाशित करने हेतु स्वीकृति दी गई। इस रिसर्च पेपर का विषय है मध्यम से गंभीर हाइपोक्सिमिक कोविड-19 निमोनिया मरीजों में नॉन-रिब्रीदिंग ऑक्सीजन मास्क की उपयोगिता का एक व्यापक अवलोकन व अध्ययन।


संयंत्र के निदेशक प्रभारी ने डॉक्टरों को दी बधाई
संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता ने इस रिसर्च पेपर के लेखक, संयुक्त निदेशक (रेस्पीरेटरी मेडिसीन) डॉ. त्रिनाथ दास तथा उनके टीम में शामिल डॉ कार्तिक टिप्पारापु, डॉ सर्वेंद्र विक्रम सिंह तथा डॉ कौस्तव रॉय सहित संपूर्ण मेडिकल टीम को बधाई दी।
मरीजों की जीवनरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका
यह उल्लेखनीय है कि बीएसपी के जेएलएन अस्पताल के चिकित्सकों ने कोविड-19 निमोनिया के मरीजों का ऑब्जर्वेशनल स्टडी किया गया। ज्ञात हो कि ऐसे कोविड-19 निमोनिया मरीजों को, जो मध्यम से गंभीर रूप से बीमार हैं उन्हें ऑक्सीजन की बेहद आवश्यकता होती है और इन मरीजों को प्राय: नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर्स या मेकेनिकल वेंटिलेटर्स की सख्त जरूरत पड़ती है। कोविड के लहर में वेंटिलेटर्स की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती को बीएसपी के जेएलएन अस्पताल के चिकित्सकों ने स्वीकार करते हुए अपने इनोवेटिव आइडिया व विशेषज्ञता से इन मरीजों को नई व्यवस्था प्रदान करते हुए ऑक्सीजन देने के लिए सामान्य ऑक्सीजन मास्क के स्थान पर ऑक्सीजन रिजर्ववॉयर मास्क अर्थात नॉन-रिब्रीदिंग ऑक्सीजन मास्क का प्रयोग किया गया। जिसने मरीजों के जीवनरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।


ऑक्सीजन रिजर्ववॉयर मास्क से वेंटिलेटर्स की निर्भरता हुई कम
इस रिसर्च कार्य को कार्यपालक निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डॉ एस के इस्सर, सीएमओ द्वय डॉ एम रविन्द्रनाथन व डॉ प्रमोद बिनायके ने सराहा है।
संयुक्त निदेशक (रेस्पीरेटरी मेडिसीन) डॉ. त्रिनाथ दास के नेतृत्व में जेएलएन अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा कोविड-19 निमोनिया के मरीजों का अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में वे कोविड रोगी शामिल थे, जो मध्यम से गंभीर निमोनिया के शिकार थे, जिन्हें उच्च ऑक्सीजन की आवश्यकता होती थी। विदित हो कि इस प्रकार के मरीजों को सांस लेने में बेहद तकलीफ होती है और इनकी श्वसन प्रक्रिया, कभी भी फेल होने की सम्भावना होती है। आगे चलकर इन गंभीर मरीजों को नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर या मैकेनिकल वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है। सर्वविदित है कि कोविड रोगी के वेंटिलेटर में जाने से उनके बचने की उम्मीद कम हो जाती है। इसलिए यह बेहद आवश्यक हो जाता है कि उन्हें वेंटिलेटर्स में जाने से बचाया जाये।


इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया कि जिन मरीजों को 10 से 15 लीटर प्रति मिनट तक उच्च सांद्रता वाले ऑक्सीजन रिजर्ववॉयर मास्क के माध्यम से ऑक्सीजन दी गई जिसके उत्कृष्ट व उत्साहवर्धक परिणाम सामने आये। इन रोगियों में उच्च सांद्रता वाले ऑक्सीजन रिजर्ववॉयर मास्क के प्रयोग से उन्हें यांत्रिक वेंटिलेटर या नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर पर जाने से बचाया जा सका। बीएसपी डॉक्टरों का यह अध्ययन मध्य भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा अध्ययन है।
इस अध्ययन से चिकित्सा जगत को होगा लाभ
यह अवलोकन इस क्षेत्र में अपनी तरह का एक बड़ा अध्ययन है। सामान्य ऑक्सीजन मास्क के स्थान पर ऑक्सीजन रिजर्ववॉयर मास्क का प्रयोग कोविड-19 निमोनिया मरीजों पर बेहद कारगार साबित हुआ है। ऑक्सीजन रिजर्ववॉयर मास्क बहुत सस्ता, किफायती मास्क है, परन्तु इसके प्रयोग से कोविड रोगियों में उल्लेखनीय परिणाम देखने को मिला। कोविड रोगियों को वेंटीलेटर्स में जाने से बचाया जा सका। इस रिसर्च पेपर से चिकित्सा जगत को भी समग्र लाभ होने की सम्भावना है।


उच्च प्रबंधन ने किया सपोर्ट
कोविड के संकटमय दौर में ऑक्सीजन रिजर्ववॉयर मास्क की उपलब्धता को सुनिश्चित कराने हेतु संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता के निर्देशन तथा कार्यपालक निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डॉ एस के इस्सर के मार्गदर्शन, सीएमओ द्वय डॉ एम रविन्द्रनाथन व डॉ प्रमोद बिनायके के सहयोग तथा संयंत्र के सामग्री प्रबंधन विभाग के ईडी (एमएम), सीजीएम एवं वरिष्ठ अधिकारीगणों के अथक प्रयासों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। संयंत्र के उच्च प्रबंधन के सहयोग के फलस्वरूप बीएसपी के चिकित्सकों ने कोविड के मरीजों के जीवनरक्षा में बड़ी कामयाबी हासिल की।
उल्लेखनीय है कि, कोरोना लहर में मरीजों के जीवन बचाने में बीएसपी के इस अस्पताल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बीएसपी के इस अस्पताल ने बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। इस महामारी के दौरान सीएमओ तथा मेडिसीन विभाग के एचओडी डॉ प्रमोद बिनायके ने अहम रोल अदा किया है। इसके अतिरिक्त कोरोना के इलाज में डॉ ए बी बनर्जी, डॉ त्रिनाथ दास, डॉ सोनाली त्रिवेदी तथा डॉ रौनक दास एवं पी जी स्टूडेंट्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।


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