रायपुर। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में इसके रोगियों की पहचान और उनके इलाज की नियमित मॉनिटरिंग के लिए व्यापक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। प्रदेश से इस रोग के उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर दस्तक देकर कुष्ठ रोगियों की पहचान कर रही है। कुष्ठ रोग अन्य रोगों के समान रोगाणुओं से होता है एवं साध्य है।
कुष्ठ रोग, रोगी के साथ खान-पान, साथ रहने या साथ कार्य करने से नहीं होता है। इसके लक्षण कई तरह से नजर आते हैं। चमड़ी पर तेलिया-तामिया चमक, चमड़ी पर खासकर चेहरे पर, भौंहों के ऊपर, ठोड़ी पर या कानों में गठानें, सूजन या मोटापन, चमड़ी पर दाग, चकते जिसमें सुन्नपन हो, तंत्रिकाओं में मोटापन या सूजन हो जिसे दबाने से दर्द होता हो, हाथ-पैरों में झुनझुनी और सुन्नपन कुष्ठ के प्रमुख लक्षण हैं। एम.डी.टी. की दवाई इसका शर्तिया इलाज है। यह सभी शासकीय अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है। प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालयों, सिविल अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इसकी नि:शुल्क जांच की जाती है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि एक्टिव केस डिटेक्शन एंड रेगुलर सर्विलेंस के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक प्रदेश के 28 जिलों में दो करोड़ 20 लाख 20 हजार 736 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। इनमें से 2110 लोगों में कुष्ठ रोग की पुष्टि हुई है। राज्य में मिले कुष्ठ के मरीजों का एन.एल.ई.पी. लेपट्रैक (मोबाइल बेस्ड एप्लीकेशन) के माध्यम से निगरानी और उनके इलाज का फॉलो-अप किया जा रहा है।
कुष्ठ के मामलों की जांच के लिए इस साल 28 जिलों में किए गए स्क्रीनिंग में 2110 लोगों में इसकी पुष्टि हुई है।
दुर्ग जिले में 324, बेमेतरा में 112, बालोद में 84, राजनांदगांव में 27, धमतरी में 75, जांजगीर-चांपा में 108, रायपुर में 216, बलौदाबाजार-भाटापारा में 165, गरियाबंद में 16, महासमुंद में 152, सरगुजा में 27, बिलासपुर में 37, मुंगेली में 95, कोरबा में 102, सूरजपुर में 21, बलरामपुर-रामानुजगंज में 10, जशपुर में 11, नारायणपुर में 6, कोरिया में 25, रायगढ में 288, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 21, कबीरधाम में 66, बस्तर में 23, बीजापुर में 44 , कोंडागांव में 6, सुकमा में 2, दंतेवाडा में 10 और कांकेर में 37 कुष्ठ रोगी पाए गए हैं।