ई0 व जेई के मुद्दे पर डिप्लोमा इंजिनियर्स के प्रतिनिधिमंडल ने आईआर विभाग प्रमुख से की मुलाकात, ई0 परीक्षा का किया स्वागत, प्रमोशन पालिसी की खामियों को दूर करने आईआर विभाग को दिए गए सुझाव

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भिलाईनगर। ई0 प्रमोशन पालिसी व जेई पदनाम में हो हो रहे विलम्ब के मुद्दे पर डिप्लोमा इंजिनियर्स के प्रतिनिधिमंडल ने आई विभाग प्रमुख से मिलकर अपनी बात रखी व पदनाम में हो रहे विलम्ब पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।
अध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा कि 1 मई 2017 को इस्पात मंत्रालय द्वारा पदनाम का आदेश दिए छह साल होने को है पर लगातार इस मुद्दे पर एक उदासीनता यूनियन व प्रबन्धन दोनों के द्वारा बरती जा रही है, पदनाम जैसे आधारभूत, ग़ैरवित्तीय व डिप्लोमा इंजिनियर्स में नई ऊर्जा को संचार कर सकने वाले ऐसे मुद्दे लम्बित होना कही न कही कई प्रश्नों को जन्म देता है। प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रूप से उषाकर चौधरी, शिवशंकर तिवारी, सुदर्शन ठाकुर, सौरभ सुमन ,धर्मेंद्र दलाल, मोहम्मद रफी, नविन मिश्रा, के गणेश आदि उपस्थित थे।


एसोसिएशन उपाध्यक्ष शिवशंकर तिवारी व उषाकर चौधरी ने कहा कि ई0 की शर्तो से डिप्लोमा इंजिनियर्स लाभन्वित होने की जगह अपने आपको वो ठगा महसूस कर रहे है , उनका कहना है कि जब जूनियर इंजीनियर पदनाम लागू करने की बात की जाती है तो प्रबन्धन व यूनियनों द्वारा सभी को जूनियर इंजीनयर देने की वकालत की जाती है।
हाल ही में आए ई0 प्रमोशन में सिलेबस का निर्माण क्वालिफिकेशन के आधार पर किया गया है जिसमे त्रीवर्षीय डिप्लोमा इंजिनियर्स एवं इंजीनियरिंग डिग्री के लिए एक समान सिलेबस व आईटीआई/ मैट्रिक पास के लिए अपेक्षाकृत सरल व अलग सिलेबस रखा जा रहा है। पूरे देश में ऐसा कहीं नहीं होता है कि एक ही पद के लिए दो प्रकार का अलग अलग पेपर, और जब पदनाम देने की बात आती है तो क्वालिफिकेशन छोड़ ग्रेडवाईस सबको समान पद देना पर बात की जा रही है


संगठन सचिव पवन साहू व कोषाध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा कि वरिष्ठ डिप्लोमा इंजीनियर्स जो वर्ष 2008 से ही एक दोषपूर्ण नीति के शिकार हो अपने पदोन्नति के इन्तजार में बैठे हुए हैं, उनकी कोई सुध नहीं ली जा रही है। भीषण मंदी व कोरोना में भी सेल में सभी प्रकार के प्रमोशन प्रत्येक वर्ष किये गए पर ई0 को परीक्षा 2008 एवं 2010 के बाद सीधे बिना पिछली पोलिसी अनुसार रिक्त पदों को भरे सीधे 2018 में ली गई, फिर 2020 छोड़कर सीधे 2022 में
पिछले वर्षो में जब एक बड़े पद पर एक वर्ष पदोन्नति नहीं हुई थी लेकिन जब अगले वर्ष उक्त पदोन्नति दी गई तब आधे लोगों को पदोन्नत करते समय लाभ पिछले वर्ष से ही दे दिया गया। इस प्रकार का भेदभावपूर्ण व्यवहार कम्पनी हित में नहीं है, और अब ई0 के नए प्रावधान में उक्त पदोन्नति कब होगी,वह मैनेजमेंट की कृपा पर निर्भर है, जब मैनेजमेंट चाहेगा लेगा।


डेब उपाध्यक्ष मोहम्मद रफी ने कहा कि ऐसे ही ट्रेनिंग पीरियड को सेवाकाल में जोडऩे के समय भी बिना क्वालिफिकेशन को महत्व दिए सभी ट्रेनीज को फायदा दिया गया, पर जब 2008 में डीग्रेडेशन हुआ तब सबसे ज्यादा 3 ग्रेड (12 साल) केवल डिप्लोमा इंजिनियर्स को ही पीछे किया गया। व अन्य क्वालिफिकेशन वालो को 2 ग्रेड (8साल )नीचे किया गया पालिसी मेकर्स के डिप्लोमा इंजिनियर्स के साथ इस व्यवहार की चर्चा तो खूब हुई पर सुधार के लिए कुछ नही किया गया।
महासचिव अभिषेक सिंह ने कहा कि डिप्लोमा इंजिनियर्स जो मार्च 2008 या उसके बाद जॉइन हुए है वे इस पालिसी के हिसाब से एलिजिबल नहीं है। फिर आप किसको लाभ देने के लिए एस6 से सीनियरटी देख रहे हैं, वरिष्ठ कर्मचारी जो 2008 से सबको पदोन्नत होते देख अपनी भी वारी के लिए बाट जोह रहे हैं, उनकी मैनेजमेंट को कोई सुध नहीं है न ही उन्हें सभी की तरह तीन प्रतिशत वार्षिक इन्क्रीमेंट मिल रहा न ही प्रमोशन उनका साफ कहना है, जिन डिप्लोमा इंजीनियर्स को आपने एस6 से एस3 कर नुक्सान किया है उनकी भरपाई करने के लिए सोच समझकर नीति बनाई जानी चाहिए एवं जूनियर इंजीनियर पद नाम दिया जाना चाहिए, साथ ही जो वरिष्ठ डिप्लोमा इंजिनियर्स सालों से एस11 ग्रेड में फंसे हुए हैं जिन्हें न ही प्रोमोशन मिल पा रहा है ना ही पूरा इन्क्रीमेंट उन्हें वन टाइम प्रमोशन देकर अधिकारी वर्ग में प्रोमोट करना चाहिए।

इसके अलावा पिछला बैकलॉग भी भरना आवश्यक है, साथ ही वरिष्ठता की गणना जून2020 से ही हो। आगे इस प्रमोशन को अन्य प्रमोशन की तरह प्रत्येक वर्ष होना चाहिए, यदि वरिष्ठ लोगों को जो इतने वर्षों से एक ही ग्रेड में रुके हुए हैं, पदोन्नत नहीं करना चाहते हैं तो अन्य केन्द्रीय और राज्य सरकारों की तरह ई1/ई2 का स्केल दिया जाना चाहिए (इतने अधिक वर्षों से एक ही ग्रेड में रुके हुए हैं) साथ ही सुपरवाइजर कैडर बनाया जाए,जब आप काम सुपरवाइजर का ले रहे हैं तो नाम भी दीजिए। यहां, सेल में सुपरवाइजर कैडर न होने से इसका सीधा नुक्सान तीन वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक कर्मचारियों का हो रहा है, अन्य महारत्न कम्पनी की तरह डिप्लोमा इंजीनियर्स का पदनाम एवं ग्रोथ पर बहानेबाजी कर अपने महत्वपूर्ण वर्ग के साथ अन्याय कर अप्रत्यक्ष रूप से कम्पनी एवं देश का नुक़सान किया जा रहा है।


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