भिलाईनगर 06 फरवरी 2022:- बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर क्राइम ब्रांच का नए सिरे से गठन करने का गृह विभाग ने आदेश जारी किया है। अब क्राइम ब्रांच को एंटी क्राइम एंड सायबर यूनिट (एसीसीयू) के नाम से जाना जाएगा। सायबर अपराध पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी भी अब क्राइम ब्रांच के जिम्मे होगी। स्थानीय थानों की बल को मिलाकर एसीसीयू का गठन किया जाएगा।बता दें, चार वर्ष पूर्व 2018 में तत्कालीन पुलिस महानिदेशक डी.एम.अवस्थी ने राज्य के अलग-अलग जिलों में गठित क्राइम ब्रांच को भंग करने के आदेश जारी किए थे। उस समय क्राइम ब्रांच में वसूली रंगदारी की शिकायत आ रही थी। उसे भंग करने के बाद से थाना लेबल पर क्राइम ब्रांच का संचालन किया जा रहा था।भिलाई – दुर्ग में बढ़ते अपराधिक मामलों पर अब पुलिस की क्राइम एवं सायबर यूनिट अंकुश लगाएगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर इसके गठन का आदेश जारी कर दिया गया है। प्रदेश के तीन जिलों में इस यूनिट के गठन में दुर्ग पुलिस को भी शामिल किया गया है। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद क्राइम ब्रांच को भंग कर दिए जाने से थानों की पुलिस का अपराधियों पर खौफ नहीं बन पा रहा था। भिलाई – दुर्ग पुलिस में एक बार फिर क्राइम ब्रांच का गठन होने जा रहा है। अबकी बार अपराधियों पर शिकंजा कसने के उद्देश्य से गठित किए जा रहे पुलिस की इस इकाई का नाम क्राइम एवं सायबर यूनिट रखा जा रहा है। अनुसार है कि इस इकाई के अस्तित्व में आ जाने के बाद अपराधी तत्वों में खौफ पैदा होगा। जिससे अपराधिक मामलों में गिरावट आ सकती है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के कुछ दिन बाद राज्य सरकार के निर्देश पर प्रत्येक जिले में काम कर रही पुलिस के क्राइम ब्रांच को भंग कर दिया गया था। इसके साथ ही क्राइम ब्रांच में पदस्थ रहे अधिकारी और जवानों को अलग – अलग थानों में संलग्न कर दिया गया था। यह कहना गलत नहीं होगा कि क्राइम ब्रांच को भंग करने के साथ ही अपराधियों में पुलिस का खौफ कम हो गया था। इस दौरान भिलाई – दुर्ग शहरी क्षेत्र में लगातार होने वाली बड़ी वारदातों से यह साबित भी हो गया। क्राइम ब्रांच को भंग करने के बाद सभी तरह के मामलों पर जांच और कार्रवाई की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के थानों की पुलिस को दी गई थी। लेकिन पेशेवर अपराधियों पर थानों की पुलिस न तो अंकुश लगा पा रही थी और न ही अपराधी तत्वों में किसी तरह का खौफ दिख रहा था। लिहाजा हत्या, चोरी, लूट और मारपीट जैसे अपराध लगातार पेश आ रहे थे।ऋ
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि दुर्ग जिला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का गृह जिला है। इस जिले में हाल के दिनों में हत्या के मामलों में खासी बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसके चलते सरकार की छवि पर विपरीत असर पड़ रहा है। व्हीआईपी जिला होने से पुलिस को अतिरिक्त जिम्मेदारी का निर्वहन करना पड़ता है। पहले जब क्राइम ब्रांच हुआ करती थी तब किसी भी थाना क्षेत्र में घटित बड़े और अनसुलझे वारदात में उसकी प्रत्यक्ष भूमिका रहती थी। इससे थानों की पुलिस को राहत थी। लेकिन क्राइम ब्रांच भंग होने के बाद थानों की पुलिस पर एक तरह से अतिरिक्त बोझ आ गया था। इसका फायदा अपराधियों को मिलने से लगातार अपराध घटित हो रहा था।सिविल टीम से नहीं बन पाई अपराधियों में खौफ
क्राइम ब्रांच भंग करने के बाद एक व्यवस्था के तहत अनसुलझे मामलों में आरोपियों को दबोचने के लिए पुलिस की सिविल टीम का गठन अघोषित रूप से किया गया था। सिविल टीम में उन अधिकारियों और जवानों को रखा गया था जिन्हें पूर्व में क्राइम ब्रांच में काम करने का अनुभव है। सिविल टीम ने अमरेश्वर थाना क्षेत्र के एक परिवार की बहुचर्चित सामूहिक हत्या और हाल ही में पुलगांव थाना क्षेत्र में हुई कृषक परिवार के इंजीनियर युवक के अंधे कत्ल का खुलासा किया है। लेकिन अपराधियों पर जिस तरीके का खौफ क्राइम ब्रांच के नाम से था वैसा खौफ पैदा कर पाने में पुलिस की अघोषित सिविल टीम को सफलता नहीं मिल पा रही थी। दुर्ग पुलिस से हुई थी क्राइम ब्रांच की शुरुआत
अविभाजित मध्यप्रदेश के समय पहली दफे क्राइम ब्रांच गठन दुर्ग जिला पुलिस में ही हुआ था। वर्ष 1996 में तात्कालीन एसपी मुकेश गुप्ता ने क्राइम स्क्वाड के नाम से जिला पुलिस की एक अलग इकाई का गठन कर बड़े अपराधिक मामलों को सुलझाने की व्यवस्था सुनिश्चित की थी। इससे पहले वर्ष 1994 में तात्कालीन एडिशनल एसपी शहर आर. सी. पटेल ने भी जिला स्क्वाड गठित किया था। बड़े अपराधों के लिए गठित अलग स्क्वाड से सफलता मिलता देख छत्तीसगढ़ गठन के बाद दुर्ग सहित रायपुर और बिलासपुर जैसे जिलों में पुलिस मुख्यालय से क्राइम ब्रांच गठन की हरी झंडी मिल गई थी।