भिलाईनगर। स्वैच्छिक सेवानिवृत्त एचएससीएल कर्मचारी संगठन ने मकान किराए में प्रबंधन द्वारा किए गए मनमानी वृद्धि के विरोध को सतत जारी रखने का निर्णय लिया है। रविवार को आयोजित संगठन की बैठक में संयोजक एच. एस. मिश्रा ने एचएससीएल प्रंबधन से किराया वृद्धि को वापस लेने की मांग पर सदस्यों के समक्ष अडिग रहने का ऐलान किया।
स्वैच्छिक सेवानिवृत्त एचएससीएल कर्मचारी संगठन की एक महत्वपूर्ण बैठक रविवार को स्टील क्लब गार्डन सेक्टर 8 में हुई। बैठक में एचएससीएल प्रंबधन द्वारा आबंटित मकानों में रहने वाले सेवानिवृत्त और स्वैच्छिक सेवानिवृत्त कर्मचारी सहित थर्ड पार्टी अलाटी उपस्थित थे। बैठक की अध्यक्षता करते हुए संगठन के संयोजक एच. एस. मिश्रा ने सदस्यों को जानकारी दी कि मामले पर हाईकोर्ट में प्रबंधन के खिलाफ कानूनी लड़ाई के लिए प्रत्येक सदस्य से सहयोग स्वरूप एक हजार रुपए लिए गए हैं।
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इसमें लगभग 470 सदस्यों ने अपना अंशदान दिया है। उन्होंने सभी सदस्यों को विश्वास दिलाया कि उनके द्वारा संगठन को दी गई राशि का किसी भी शर्त में दुरुपयोग होने नहीं दिया जाएगा। बैठक आबंटित आवास के किराया में दोगुना वृद्धि किए जाने का विरोध किया गया। संगठन के संयोजक एच. एस. मिश्रा ने कहा कि एचएससीएल प्रंबधन ने मकान किराए में जिस तरह से वृद्धि किया है वह मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ है। इसे तुरंत वापस लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जब यह मामला हाइकोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित है तब मकान किराए में वृद्धि का कोई औचित्य ही नहीं है।
मिश्रा ने कहा कि 35 से 40 वर्षों तक एचएससीएल की सेवा करने वाले सेवानिवृत्त कर्मियों को आबंटित आवास के किराया में दोगुना वृद्धि कर दी गई है। एक नवंबर 2019 को एचएससीएल मुख्यालय से किराया दोगुना करने का आदेश आया था जिसे स्थानीय प्रबंधन ने संगठन से चर्चा किए बिना लागू कर दिया गया। जबकि 2015 में कलकत्ता स्थित मुख्यालय में एमडी, निदेशक वित्त, महाप्रबंधक कर्मिक प्रशासनिक की उपस्थिति में संगठन के पदाधिकारियों की उपस्थित में हुई बैठक में 10 वर्ष तक किराया वृद्धि नहीं करने का निर्णय लिया गया था।
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एचएससीएल प्रबंधन द्वारा अपने ही निर्णय के विरूद्ध किराया में वृद्धि कर दी गई जिसका संगठन पुरजोर विरोध करता है। उन्होंने आगे कहा कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्त कर्मचारी संगठन ने जबतक हाईकोर्ट का फैसला नहीं हो जाता तब तक पानी बिजली का शुल्क पटाने का निर्णय लिया है। लेकिन प्रबंधन यह कहते हुए पानी और बिजली का शुल्क लेने से मना करता है कि बढ़ाये गए मकान किराए के साथ ही उस शुल्क को लिया जाएगा। जबकि किराया वृद्धि का मामला हाईकोर्ट में लंबित होने की स्थिति में प्रबंधन को पानी और बिजली का शुल्क लेने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।
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