पढ़ाई छोड़ चुके 6 बच्चों को जिला विधिक सेवा, प्राधिकरण दुर्ग के द्वारा शिक्षा का महत्व बताते हुए पढाई पुन: शुरू करवाया गया

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दुर्ग। राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र. न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में ”हमर अंगना योजना” के तहत् घरेलू हिंसा से पीडित महिलाओं को विधिक सलाह एवं सहायता प्रदान किये जाने हेतु सर्वे कार्य किया जा रहा है। हमर अंगना योजना के तहत् किये जाने वालें सर्वे कार्य के साथ साथ एक नवीन अभियान की शुरूआत की गई थी जिसके अंतर्गत जो बालक/बालिका पढ़ाई छोड चुके है उनको फिर से शिक्षा का महत्व बताते हुए पढाई पुन: शुरू करवाये जाने की पहल की गई थी। जिसके अंतर्गत ग्राम पुराई एवं बोरीकर का सर्वे के उपरांत पैरा लीगल वालंटियर लता राजपूत के द्वारा यह पाया गया था कि ऐसे 6 बच्चे हैं जिन्होंने अपनी पढ़ाई किसी कारण छोड़ छोड़ दी है ऐसे बच्चों को शिक्षा का महत्व बताते हुए उनके मां-बाप को बच्चों को पढ़ाने हेतु प्रेरित किया क्या जिस पर उनके मां-बाप के द्वारा अपने बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने हेतु अनुमति प्रदान की गई ।


राहूल शर्मा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने बताया कि शिक्षा सफलता की पहली कुंजी है किसी भी समाज, राज्य एवं देश का विकास उसके युवा पीढी पर बहोत ज्यादा निर्भर रहती है ऐसे में अगर यह पीढि शिक्षित है तो इसका महत्व और भी बढ जाता हैै। बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है परंतु प्राय: यह देखा गया है कि कुछ माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने में कोई रूचि नही रखते है। यह भी देखा गया है कि बच्चों को व्यवसाय हेतु पढाई को महत्व नही देते। यह भी पाया जा रहा है कि ग्रामीा/स्लम एरिया में लडकियो को शिक्षा से दूर रखा जाता है। वर्तमान समय में लडका एवं लडकी दोनों बराबर है आज लडकिया लड़कों से कदम से कदम मिलाकर चल रही है ऐसे में लडका लडकी में भेदभाव करना एक बिमारी मानसिकता को दर्शाता है।


शिक्षा कभी किसी के लिए अभिशाप नही हो सकती । शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अतर्गत शिक्षा प्रदान किये जाने हेतु एक किलोमीटर के दायरे में बच्चों को शिक्षा प्रदान किये जाने हेतु स्कूल खोले गये है एवम् 06 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों के लिए शिक्षा को नि:शुल्क किया गया जिसमें पुस्तक, कापी, यूनिफार्म का खर्चा भी सरकार के द्वारा वहन किया जाता है ।


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