इस्पात मंत्रालय ने इस्पात में भारत को आत्मनिर्भर बनाना-माध्यमिक इस्पात क्षेत्र की भूमिका पर राष्ट्रीय सम्मेलन का किया आयोजन, राम चंद्र प्रसाद सिंह ने कहा निर्बाध, पारदर्शी और लचीली प्रक्रिया भारत सरकार का घोषित उद्देश्य

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इस्पात मंत्री ने कहा- 2030 तक 300 मिलियन टन और 2047 तक 500 मिलियन टन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रणनीति बनाने की जरूरत है।
सम्मेलन का उद्देश्य माध्यमिक इस्पात के खिलाडिय़ों को इस्पात क्षेत्र की चुनौतियों पर अपने विचार साझा करने के लिए मंच प्रदान करना है।
नई दिल्ली। विज्ञान भवन के प्लेनरी हॉल में इस्पात में भारत को आत्म-निर्भर बनाना- माध्यमिक इस्पात क्षेत्र की भूमिका पर 27 मार्च 2022 को एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।


सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि उद्योग से मिले सुझावों पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि निर्बाध, पारदर्शी और लचीली प्रक्रिया भारत सरकार का घोषित उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि इस्पात उद्योग ने 1991 में 22 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 120 मिलियन टन तक उत्पादन में काफी प्रगति की है।


केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2030 तक 300 मिलियन टन और 2047 तक 500 मिलियन टन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लौह अयस्क उत्पादन और अन्य आवश्यक कच्चे माल में वृद्धि के लिए उपयुक्त नीतिगत समर्थन के साथ उचित रणनीतिक दिशा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हरित इस्पात के लिए काम करने की तत्काल आवश्यकता है और माननीय प्रधानमंत्री का हाइड्रोजन पर महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण है। सिंह ने कहा कि इससे लौह और इस्पात उद्योग को बड़ा लाभ होगा क्योंकि कोयले की जगह हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जा सकता है और इस प्रकार कोयले के आयात पर हमारी निर्भरता भी कम होगी।


इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने अपने संबोधन में उद्योग जगत से अपनी आवश्यकताओं के बारे में मुखर होने और उद्योग के विचारों को इस विश्वास के साथ आगे रखने का आग्रह किया कि उनकी बात सुनी जाएगी और सरकार अपने देश में उद्योग के अनुकूल वातावरण स्थापित करने की दिशा में काम करेगी। माध्यमिक इस्पात क्षेत्र अपने आप में एक विविध उद्योग है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के माध्यम से आए विचार सरकार के लिए नीति निर्देश निर्धारित करने में सहायक होंगे।


एमएसएमई राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने सरकार द्वारा एमएसएमई को दी जा रही विभिन्न सहायता की जानकारी दी। उन्होंने उद्योग को अपने सुझावों के साथ आगे आने का आह्वान किया जो सामान्य रूप से एमएसएमई क्षेत्र और विशेष रूप से इस्पात क्षेत्र को मजबूत कर सकते हैं।


सम्मेलन का आयोजन माध्यमिक इस्पात क्षेत्र के खिलाडिय़ों को इस्पात क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों और उन उपायों पर अपने विचार साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है जिनके आधार पर मंत्रालय एक ऐसा परितंत्र बनाए जिसमें इस्पात उद्योग फल-फूल सके। भारत सरकार इंडियाञ्च2047 के लिए एक विजन बनाने की दिशा में काम कर रही है। इस दिशा में, यह उम्मीद की जाती है कि कंपनियां अपने सहयोग (इनपुट) की पेशकश करेंगी जो विजन ञ्च2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में कार्य योजना के लिए आधार बन सकती हैं। उद्योग के प्रतिनिधि भी इस्पात क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे। इस सम्मेलन के दौरान इस्पात मंत्रालय सहित कोयला, खान, और एमएसएमई मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।


इस्पात में भारत को आत्म-निर्भर बनाना- माध्यमिक इस्पात क्षेत्र की भूमिका पर राष्ट्रीय सम्मेलन में दिन भर के विचार-विमर्श में विभिन्न विषयों पर चर्चा करने वाले दो तकनीकी सत्र हैं।
भारत में माध्यमिक इस्पात क्षेत्र के प्रमुख खिलाडिय़ों के प्रतिनिधि इस क्षेत्र से संबंधित मुद्दों और इस क्षेत्र के लक्ष्यों को प्राप्त करने की आगे की राह पर इस भव्य सभा के समक्ष अपनी बातें रख रहे हैं।


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