भिलाईनगर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा सेक्टर 7 स्तिथ पीस ऑडिटोरियम में विश्व के 140 से भी अधिक देशों में फैले नारी शक्ति द्वारा संचालित अंतराष्ट्रीय संस्था का प्रतिनिधित्व करने वाली पूर्व मुख्य प्रशासिका महातपस्वी राजयोगिनी दादी जानकी जी का द्वितीय पुण्य स्मृति दिवस मना कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
भिलाई सेवाकेन्द्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने दादी जानकी के संस्मरणों को सुनाते हुए कहा कि दादी जी अथक विश्व सेवाधारी की उदाहरण रही। बाल्यकाल से ही आप संस्था से जुड़कर 104 वर्ष की उम्र एवं अंतिम श्वांस तक आपने विश्व सेवा की। आपका विशेष भिलाई वासियों के लिए वरदान था कि भिलाई माना सदा भलाई करने वाले है।
दादी जी छोटे बड़े सभी को समांन्न देती थी। अकेले दादीजी ने ही 100 देशों में आध्यात्मिकता का प्रकाश फैलाया। विश्व की सबसे स्थिर प्रज्ञ बुद्धि की महिला रही दादीजी। भिलाई सेवाकेन्द्रों की सिल्वर जुबली एवं मेगा प्रोग्राम में 5 जनवरी 2006 को दादीजी के चरण कमल भिलाई धरणी पर पड़े। दादीजी कहती थी कि हमारी मन बुद्धि क्लीन और क्लीयर हो जो परमात्म शक्तियों को कैच कर सभी को निस्वार्थ प्रेम की अंचलि दे सके।इसलिये मन बुद्धि को व्यर्थ बातों में भटकाओ नही।
दादी जी समय का सदुपयोग करती थी। सफर के दौरान ही विश्व के सभी सेवाकेन्द्रों के जवाब ई मेल के माध्यम से दे देती थी। 50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनों की अलौकिक माँ बनकर आपने पालना की। भिलाई की वरिष्ठ ब्रह्माकुमारी बहनों ने दादीजी के दिव्य पालना के अनुभव सुनाए। दादीजी ने शांति के महामन्त्र को समूचे विश्व में राजयोग मेडिटेशन द्वारा प्रकशित किया। भिलाई, दुर्ग, रायपुर सहित पूरे विश्व में दादीजी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। प्रात: अमृतवेले ब्रह्ममुहूर्त से ही सभी ब्रह्मावत्स अंतर्मुखी हो साइलेन्स की शक्ति से संगठित रूप से राजयोग का अभ्यास किये। दादी जी के निमित परमात्मा को भोग स्वीकार कराया गया।