भिलाईनगर। चैत्र नवरात्रि के महाष्टमी पर आज देवी मंदिरों में हवन किया गया। हवन कुंड में आहुति देने भक्तों में होड़ सी मची रही। हवन के पश्चात महा आरती कर भोग भंडारा का आयोजन किया गया। कन्या भोजन का विधान भी मंदिर से लेकर घर घर में संपन्न हुआ।
महाष्टमी के चलते आज सुबह से भिलाई दुर्ग में देवी भक्ति की बयार बहती रही। देवी मंदिरों के साथ ही सार्वजनिक स्थान और घरों में हवन पूजन संपन्न कराया गया। महाष्टमी पर आयोजित हवन में आहुतियां देने देवी भक्तों में होड़ मची रही। शहर भर में स्वाहा का उच्चारण गुंजायमान होता रहा। इससे पहले सुबह से ही भक्तों की भीड़ मंदिरों में होने वाले विशेष पूजा अर्चना के दौरान उमड़ पड़ी।
महाष्टमी पर आज देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा अर्चना की गई। सेक्टर 6 बम्लेश्वरी मंदिर, सेक्टर 7 महाराणा प्रताप भवन के आदिशक्ति माँ जगदम्बा मंदिर, सेक्टर 9 हनुमान मंदिर, रामनगर के बघवा मंदिर, सुपेला के शीतला मंदिर, पावरहाउस चौक स्थित राज राजेश्वरी मंदिर, खुर्सीपार के दुर्गा मंदिर सहित भिलाई-3 के शीतला, महामाया मंदिर, चरोदा के दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर, मशानकाली मंदिर और कुम्हारी के महामाया मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों में श्रृद्धा के साथ हवन पूजन किया गया।
मंदिरों में हवन के उपरांत महा आरती हुई। इसके पश्चात कन्या भोजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इससे पहले देवी माता को सोलह श्रृंगार चढ़ाकर विशेष पूजा अर्चना किया गया। इस अवसर पर मंदिरों में आयोजित भोग भंडारा में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। अपने देवी भक्तों ने अपने घर पर नौ कन्याओं को आमंत्रित कर देवी स्वरूप में पूजा अर्चना कर खीर पुड़ी का भोजन कराया और उपहार भेंट किया।
सांसद बघेल ने किया परम्परा का निर्वहन
सांसद विजय बघेल ने आज अपनी धर्मपत्नी श्रीमती रजनी बघेल के साथ दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर चरोदा में आयोजित भवन पूजन में भाग लिया। इस मंदिर में दोनों नवरात्रि पर महाष्टमी का हवन अलसुबह आयोजित होता है। सांसद विजय बघेल यहां दोनों नवरात्रि में भोर होने से पहले ही हवन में शामिल होने पहुंच जाते हैं। बघेल और उनकी धर्मपत्नी के लिए यहां पर आयोजित हवन में शामिल होना एक परम्परा सा बन गया है। जब बघेल दो दशक पहले भिलाई-चरोदा नगर पालिका के अध्यक्ष बने तभी से दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर चरोदा में महाष्टमी पर होने हवन पूजन में प्रत्यक्ष सहभागिता देते आएं हैं। इस बार भी उन्होंने इस परम्परा का निर्वहन किया।