रायपुर। नवीन जिंदल ने जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) के लिए, अगले 8-10 महीने में अपने हालिया अधिग्रहित थर्मल कोल माइंस में से चार को खोलने की योजना बनाई है।
नई खदानों से होने वाली आपूर्ति-
जिन चार खदानों को शुरू किये जाने की योजना है उनमें से एक छत्तीसगढ़ में और तीन ओडिशा में स्थित हैं, जिनके संचालन से प्रति वर्ष 15.1 मिलियन टन की संयुक्त क्षमता के साथ, थर्मल कोयला खरीद पर औसतन 4,000-5,000 रु प्रति टन की बचत होने की उम्मीद है। कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान ई-नीलामी और आयात के रूप में कीमत प्रति टन 7,000 रुपये से 9,000 रुपये तक है।
डीआरआई संयंत्रों को चलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में थर्मल कोल का आयात करने की आवश्यकता है, जबकि नए संयंत्रों के चालू होने से ऐसा नहीं होगा। जेएसपीएल ने ओडिशा में उत्कल C, उत्कल B1 और उत्कल B2 में कोयला ब्लॉक तथा छत्तीसगढ़ में गारे पाल्मा IV/6 खदान को अपने नाम किया है। वहीं कच्चे स्टील के उत्पादन के 9.6 एमटीपीए पर कंपनी की वर्तमान थर्मल कोयले की आवश्यकता 10.8 एमटीपीए है। इसके आलावा क्षमता विस्तार (लगभग 20,000 करोड़ रु कैपेक्स प्रोग्राम) के बाद, कंपनी को 15.9 एमटीपीए कच्चे इस्पात उत्पादन पर 18.7 एमटीपीए थर्मल कोयले की आवश्यकता होगी।
एक विशिष्ठ अधिकारी ने बिजऩेसलाइन को बताया कि, इन नए ब्लॉकों से निर्यात कारोबार दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पडऩे की उम्मीद है, जिससे हमारे कुल उत्पादन का 40 प्रतिशत तक बढऩे की संभावना है। ओडिसा का अंगुल संयंत्र देश के लिए एक प्रमुख विदेशी मुद्रा अर्जक बन जाएगा।
पिछले कुछ समय में जेएसपीएल ने यूरोप में भी कुछ कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त किये हैं, जो यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए अंतर को भरने का काम करेगी। अधिकारी ने उम्मीद जताई कि क्षमता विस्तार से लंबी अवधि में हाई एक्सपोर्ट वॉल्यूम्स में वृद्धि होगी, जिससे उच्च लाभ होने की सम्भावना भी है। इक्विरस कैपिटल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि जेएसपीएल को इन नई खानों के विकास के लिए 1,500 करोड़ रुपये से 2,000 करोड़ रुपये का कैपेक्स खर्च करने की संभावना है।
इस एनालिस्ट फर्म ने आगे कहा और वर्तमान खनन क्षमता के आधार पर वित्त वर्ष 24E में अनुमानित लागत बचत 1,480 करोड़ रु तथा वित्त वर्ष 26E में 590 करोड़ रु की वृद्धिशील बचत होने की उम्मीद है। यदि कंपनी खनन क्षमता को मौजूदा 15.1 एमटीपीए से बढ़ाकर 19-20 एमटीपीए करने में सक्षम है, तो कंपनी 510 करोड़ रुपये की लागत बचत देख सकती है।
जल्द चालू होगी हॉट स्ट्रिप मिल
जेएसपीएल मार्च 2023 तक अंगुल में अपनी हॉट स्ट्रिप मिल का संचालन भी करेगी। हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) के निर्माण के लिए इस्तेमाल आने वाले, मिल की क्षमता 5 मिलियन टन प्रति वर्ष होगी और यह कंपनी के मल्टी-करोड़ विस्तार योजना का हिस्सा है। गौरतलब है कि एचआरसी सबसे अधिक मांग वाली निर्यात वस्तुओं में से एक है।
कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि पेलेट प्लांट इस साल अगस्त-सितंबर तक और हॉट स्ट्रिप मिल अगले साल मार्च तक आने की उम्मीद है। इसमें कोई देरी नहीं है और दोनों परियोजनाएं पटरी पर हैं। दिलचस्प बात यह है कि जेएसपीएल कोकिंग कोल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जो इस्पात निर्माण में प्रमुख कच्चे माल में से एक है, उसे अपनी खदानों से ही प्राप्त करता है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने मार्च की रिपोर्ट में कुछ विश्लेषकों ने माना कि, मौजूदा कोकिंग कोयले की कीमतों के वर्तमान परिदृश्य के अंदर, जेएसपीएल अपनी वोलोंगोंग खदानों से शिपमेंट शुरू करने में सक्षम है, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2023 में 200 मिलियन डॉलर तक की बचत हो सकती है। (यह मानते हुए कि कोयले की कीमतें मौजूदा बाजार मूल्य पर बनी हुई हैं)