विश्व विरासत दिवस – विरासत, देश और लोगों की पहचान को परिलाक्षित करती है, वह अपने समृद्ध विरासत के बल पर गौरव प्राप्त करता है – योग गुरु महेश अग्रवाल

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भोपाल। आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरू महेश अग्रवाल ने बताया कि विश्व धरोहर दिवस प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह भी है कि पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाई जा सके। विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल,स्मारक, भवन,या शहर को कहा जाता है, विरासत, देश और लोगों की पहचान को परिलाक्षित करती है. किसी भी व्यक्ति के लिए विरासत उसकी पहचान होती है वह अपने समृद्ध विरासत के बल पर गौरव प्राप्त करता है. सांस्कृतिक विरासत जैसे रीति – रिवाज, धर्म, संस्कृति, भाषा, संगीत, नृत्य, भवन, अभिलेख, सिक्के, रहन सहन, खानपान आदि.

योग गुरु अग्रवाल ने कहा कि भारतीय ऋषि-मुनियों की देन योग भारत की एक अत्यंत प्राचीन विरासत है। आज योग को जीवन जीने की एक कला एवं विज्ञान के साथ-साथ औषधि रहित चिकित्सा पद्धति के रूप में लोकप्रियता मिल रही है। योगविद्या भारतवर्ष की सबसे प्राचीन संस्कृति और जीवन पद्धति है तथा इसी विद्या के बल पर भारतवासी प्राचीनकाल में सुखी, समृद्ध और स्वस्थ जीवन बिताते थे। पूजा-पाठ, धर्म-कर्म से शान्ति मिलती है और योगाभ्यास से धन धान्य, समृद्धि और स्वास्थ्य। भारत में सुख, समृद्धि, शक्ति और स्वास्थ्य के लिए हर व्यक्ति को योगाभ्यास करना चाहिए।

आधुनिक मनुष्य ने अनेक वैज्ञानिक अन्धविश्वास विकसित कर लिए हैं। उनसे हमें पीछा छुड़ाना है। कोई भी विचार बिना समझे-बूझे भी प्रचलित हो जाता है। योग को अपने जीवन में स्वीकार कीजिए। योग जीवन की एक पद्धति है और आने वाले कल की संस्कृति है। यह आवश्यक नहीं कि किसी मूर्ति पर ध्यान करने के लिए मन्दिर में जाएँ। जहाँ भी आप दृष्टि डालें, उत्कृष्ट समत्व के भाव से देखें।

सांसारिक उपलब्धियों के लिए भी आपको योग को अपनाना होगा। यह आपकी सांसारिक महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करेगा, और आपकी आध्यात्मिक प्यास भी मिटायेगा। चाहे आपको सुखद वैवाहिक जीवन, सुन्दर स्वास्थ्य, समृद्धि या आध्यात्मिक ज्ञान की कामना हो, योग आपकी सहायता करेगा। योग का प्रथम चरण है सन्तों का सत्संग और सद्ग्रन्थों का स्वाध्याय। इसकी चरम परिणति है समाधि। यदि आप योग का अभ्यास नहीं करेंगे तो आप सदा अशान्त रहेंगे। आपके आन्तरिक व्यक्तित्व में कुछ गड़बड़ी हो सकती है। भावनात्मक, पेशीय और मानसिक तनावों से मुक्ति का पहला और अन्तिम उपाय योगाभ्यास ही है। उसके बाद ही आपको सभी तनावों से मुक्ति मिलेगी और आप ऐसी स्थिति में पहुँच जायेंगे जहाँ आनन्द एवं हर्षातिरेक में कह उठेंगे- ‘मैं सुखी हूँ, मैं सुखी हूँ, मैं सुखी हूँ।


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