सतना। मध्यप्रदेश के सतना जिले के वीर सपूत शंकर प्रसाद पटेल का आज उनके गृह ग्राम नोगवां में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ ग्रह ग्राम में उनके पुश्तैनी बगीचे में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। राज्य शासन के प्रतिनिधि के तौर पर राज्य मंत्री राम खेलावन पटेल और सांसद गणेश सिंह ने गांव पहुंचे और पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। मंत्री पटेल ने शहीद परिवार को सरकार की तरफ से एक करोड़ की सहायता राशि, परिवार के सदस्य को शासकीय नौकरी, शहीद के नाम पर शासकीय भवन का नामकरण किये जाने की घोषणा की। शहीद के पार्थिव शरीर के साथ भिलाई से सीआईएसएफ के आई जी संजय प्रकाश, डीआईजी हुमांशु पाण्डेय, होशंगाबाद से सीनियर कमांडेड वैभव प्रकाश दुबे, भोपाल से कमांडेड हरीश कुमार साहू नोगवां पहुंचे थे। उनके साथ थर्ड रिजर्व बटालियन के 40 जवान भी पहुंचे थे। सतना की माटी के सपूत की अंतिम यात्रा में शामिल होने राष्ट्रवादी सामाजिक कार्यकर्ता मनिंदर जीत सिंह बिट्टा भी पहुंचे। शहीद के गांव नोगवां पहुंचकर उन्होंने अपनी श्रद्धांजलि दी।
बता दें कि जम्मू के सजवान इलाके में 22 अप्रैल की सुबह आतंकी एक आतंकी मुठभेड़ में 10 जवान घायल हुए थे। जिसमें सीआईएसफ के सहायक उपनिरीक्षक शंकर प्रसाद पटेल शहीद हो गए थे। शनिवार को शहीद का पार्थिव देह विशेष विमान से 3 बजे जबलपुर लाया गया। जहां सीआईएसएफ की थर्ड रिजर्व बटालियन ने सलामी दी और फिर पूरे राजकीय सम्मान के साथ सड़क मार्ग से शाम 6 बजे उनके ग्रह ग्राम नोगवां ले जाया गया। जहां झुकेही बायपास, सभागंज बायपास एवं अमदरा बायपास और अमदरा बस्ती में सैकड़ों लोगों ने वीर सपूत को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। पूरे रास्ते बाइक पर सवार युवाओं की टोली देश भक्ति के नारे के साथ चल रहे थे। सड़क किनारे जगह जगह ग्रामीण शहीद के अंतिम दर्शन के लिए खड़े थे।
गौरतलब है कि सीआईएसएफ की थर्ड रिजर्व बटालियन की 757 वीं कंपनी के एएसआई शंकर प्रसाद पटेल को उनकी कम्पनी के साथ 10 अप्रैल को भिलाई छत्तीसगढ़ से लॉ एंड ऑर्डर ड्यूटी के लिए जम्मू भेजा गया था। उन्हें प्लाटून कमांडर की जिम्मेदारी दी गयी थी। जहां 22 तारीख की सुबह तकरीबन साढ़े 4 बजे शिफ्ट बदलने के दौरान आतंकियों ने हमला किया जिसमें बहादुरी से मुकाबला करते हुए वे शहीद हो गये। शहादत की खबर लगते ही उनकी मां सहित दोनों बेटे संजय और सुरेंद्र शोकाकुल हो गए। अपने आंसू रोक नहीं पाए।