भिलाईनगर। रेलवे के लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर इन दिनों उच्चाधिकारियों के निर्णय से बेहद खफा हैं। लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर के ड्यूटी का दायरा बढ़ाने का यह निर्णय नाराजगी का कारण है। इसके चलते लोको पायलट व ट्रेन मैनेजर को तीन से चार दिन तक घर के बाहर रहना पड़ेगा। इसके विरोध में रविवार की शाम को चरोदा लॉबी में ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन की एक बैठक में आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
बीएमवाय चरोदा में लोको पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर की लॉबी है। यहां पर पदस्थ इन रनिंग स्टाफ की ड्यूटी का दायरा बढ़ाया जा रहा है। इससे स्वाभाविक तौर पर ड्यूटी अवधि बढ़ेगी और पायलट व ट्रेन मैनेजर को तीन से चार दिन के लिए घर परिवार से दूर रहना पड़ेगा। लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर को अपने अधिकारियों का यह निर्देश मंजूर नहीं है। इनका कहना है कि वर्तमान में ज्यादा से ज्यादा एक रात मूल स्टेशन से दूर रनिंग रूम में बिताकर अगले दिन घर वापसी हो जाती है। लेकिन नए फरमान से उन्हें तीन से चार दिन के बाद घर लौटने को मिलेगा। जिससे उनका पारिवारिक दायित्व प्रभावित होने के साथ ही मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है।
गौरतलब रहे कि चरोदा में पदस्थ लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर की ड्यूटी का दायरा अभी हावड़ा की ओर बिलासपुर और मुंबई की तरफ डोंगरगढ़ तक निर्धारित है। लेकिन नए फरमान में बिलासपुर पहुंचने के बाद निश्चित समयावधि का आराम देकर लोको पायलट व ट्रेन मैनेजर को रायगढ़ या फिर कोरबा भेजा जाएगा। ऐसे में वहां निश्चित समयावधि तक विश्राम के बाद जब भिलाई के लिए उनकी वापसी होगी तो तीन से चार दिन लगने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है। नए फरमान में भिलाई से बिलासपुर पहुंचने के बाद वापसी के दौरान सीधे डोंगरगढ़ तक ट्रेन चलाने और वहां से भिलाई वापस आकर ड्यूटी खत्म करने की शर्त रखी जा रही है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन के इस निर्णय से चरोदा लॉबी में आक्रोश साफ नजर आ रहा है। बीते शाम को आयोजित लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर की बैठक में यह साफ नजर आया है। बैठक में एक से अधिक रनिंग रूम की वर्किंग के दुष्प्रभाव पर जोरदार चर्चा की गई। एक से अधिक रनिंग रूम वर्किंग का टी ओ दिया जाता है तो उसे स्वीकार नहीं करने की अपील की गई है। इसके अलावा सभी रनिंग स्टाफ की ड्यूटी के 7 घंटे पूर्ण होने पर मेमो देने और 9 घंटे में रिलीफ डिमांड करने के बाद 10 घंटे में ट्रेन खड़ी करने की चेतावनी दी गई है।
रायगढ़ व कोरबा तक ट्रेन ले जाने का फरमान
लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर अभी चरोदा से बिलासपुर या फिर डोंगरगढ़ तक ड्यूटी करते हुए ट्रेन लेकर आते जाते हैं। लेकिन नए फरमान में उन्हें बिलासपुर में रुकने के बाद रायगढ़ अथवा कोरबा जाना पड़ेगा। इस तरह उन्हें एक से अधिक रनिंग रूम में ठहरना पड़ेगा। जबकि अभी वे बिलासपुर या डोंगरगढ़ जाने के बाद एक रनिंग रूम में ठहर कर भिलाई वापस आ जाते हैं। बिलासपुर से वापसी में अब तक चरोदा में ड्यूटी खत्म करने की सुविधा मिल रही थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। बल्कि उन्हें बिलासपुर से डोंगरगढ़ जाने के बाद ही चरोदा वापसी करने का मौका मिलेगा। ऐसे में तीन से चार दिन का समय उन्हें घर से बाहर रहना पड़ेगा।