विश्व मलेरिया दिवस – कीटाणुओं के बाहरी हमले से बचने के लिये, हमें अपना शरीर शुद्ध और जीवन-शक्ति ठीक रखनी चाहिये – योग गुरु महेश अग्रवाल

Screensh.jpg


भोपाल। आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि कीटाणु रोगों का कारण नहीं हैं, प्राकृतिक चिकित्सा कीटाणुओं को रोग का कारण नहीं मानती है, उदाहरण के लिये जहाँ कचरा होता है वहाँ मक्खियाँ आती हैं। जहाँ कीचड़ होता है, वहीं मच्छर भी होते हैं। मक्खियों अथवा मच्छरों को तो हानिकारक समझकर मारा जाता है लेकिन जिस कचरे में वे रहते हैं, उस कचरे को यदि नहीं हटाया जाता है तो फिर से मक्खियाँ अथवा मच्छर वहीं आ जाते हैं। मक्खियों अथवा मच्छरों से स्थाई छुटकारा प्राप्त करने के लिये, उस गन्दगी को हटाना अनिवार्य है। गन्दगी नहीं रहने से मच्छर अथवा मक्खियाँ भी नहीं रहेंगी।

योग गुरु अग्रवाल ने बताया सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता जरुरी है, हमारे गलत खान-पान से हमारे शरीर में कब्ज, खून की खराबी और गन्दगी बढ़ती है। इसी गन्दगी में अलग-अलग प्रकार के कीटाणु उत्पन्न होते हैं। यदि हमारा खान-पान ठीक रहे, कब्ज नहीं रहे, शरीर में गन्दगी जमा नहीं होने दें तो कीटाणुओं का होना सम्भव नहीं है। शरीर के अन्दर विकारी पदार्थ का जमा रहना कीटाणुओं के लिए बिस्तर का काम करता है। यदि हम अपना खान-पान शुद्ध रखें, विचार और व्यवहार ठीक रखें, कब्ज नहीं रहने दें तो शरीर विकार मुक्त रहेगा। ऐसी स्थिति में यदि बाहर से रोग के कीटाणु शरीर के भीतर जायेंगे तो भी टिक नहीं पाएंगे और हमारी जीवन-शक्ति उनको ढकेलकर बाहर फेंक देगी। प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धान्त के अनुसार शरीर के अन्दर गन्दगी के कीटाणुओं का विस्तार नहीं होने पर हमें कीटाणु भी कोई हानि नहीं पहुँचा सकते हैं। कीटाणुओं के बाहरी हमले से बचने के लिये, हमें अपना शरीर शुद्ध और जीवन-शक्ति ठीक रखनी चाहिये।

देश की बड़ी आबादी मच्छर के काटने से होने वाली बीमारियाँ जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकुनगुनिया, फाइलेरिया (हाथी पाँव), जापानीज बुखार (इनसिफेलाइटिस), जीका जैसे रोगों के खतरे में है और ये बीमारियाँ शहर-गाँव में मानवीय लापरवाहियों के कारण फैल रही हैं। मच्छर दिन व दिन बढ़ते जा रहे हैं एवं उनके काटने से होने वाले रोगों पर अब दवाईयाँ भी बेअसर हो रहीं हैं ऐसे में मच्छरों की पैदावार को शिशु अवस्था में रोकने और मच्छर को किसी भी हालत में अपने को काटने न देना ही इन बीमारियों से बचाव का एकमात्र उपाय है। आजकल सभी प्रकार के मच्छरों की आबादी बिना ढकी जाम नालियों में वर्ष भर सबसे ज्यादा पैदा होती है।
प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण विश्व में, 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता हैं। मनुष्य में मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के संचरण के लिए मादा मच्छर उत्तरदायी है। बारिश के दिनों में, मच्छरों के पनपने और कई बीमारियों के संचरण हेतु अनुकूल परिस्थितियां निर्मित हो जाती हैं।
आमतौर पर हम मच्छर का डंक/काटना शब्द का उपयोग करते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि मच्छर के दांत नहीं होते हैं, बल्कि मच्छर काटने के बजाए खून चूसता हैं।


अपने आसपास मच्छरों की प्रजनन भूमि वाले स्थानों में पानी इकठ्ठा न होने दें। मादा मच्छर बार-बार काट सकती है तथा इसके कारण होने वाला मलेरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित होता हैं । मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए तालाबों और पानी जमा होने वाली खुली जगहों पर केरोसिन के तेल का छिड़का किया जाना चाहिए। कूलर्स, फ्रिज के पीछे की ट्रे, फूलदान और टूटी पिचस में भरे पानी को तुरंत साफ़ किया जाना चाहिए। मच्छरों की रोकथाम हेतु मच्छरदानी और मच्छर भगाने वाले उत्पादों का उपयोग करना सस्ता, सरल, सुलभ और प्रभावी उपाय है। इन बीमारियों की रोकथाम, इनके बारें में, प्रत्येक व्यक्ति में जागरूकता विकसित करके और प्रभावी उपायों तथा सटीक रवैया अपनाकर की जा सकती है। हम सभी को मिलकर इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण क़दमों का समर्थन करना चाहिए।


scroll to top