निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता को कैट से मिली बड़ी राहत, सरकार के फैसले को दी थी चुनौती, कैट जबलपुर ने शासन को दिया आदेश, 6 महीने में करें पालन अन्यथा देना होगा जुर्माना

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जबलपुर। निलंबित डीजीपी आईपीएस मुकेश गुप्ता की ओर से प्रस्तुत अपील पर कैट जबलपुर बेंच ने आदेश पारित करते हुए उन्हें बड़ी राहत प्रदान की है। जानकारी के अनुसार माननीय न्यायमूर्ति आर.एस. ठाकुर और माननीय श्री. बी.वी. सुधाकरी की बेंच ने 12 अपै्रल 2022 को खुले न्यायालय में फैसला सुनाते हुए तत्कालीन राज्य सरकार के दिनांक 06.10.2018 के उस आदेश को बरकरार रखा है जिसके द्वारा मुकेश गुप्ता को पदोन्नत कर डीजी बनाया गया था और वर्तमान शासन के कैबिनेट बैठक दिनांक 24.09.2019 के अनुसार प्रत्यावर्तन की कार्रवाई को रद्द कर दिया है, साथ ही राज्य सरकार को 6 महीने के भीतर आदेशों का पालन करने का निर्देश दिया है, जिसमें विफल होने पर राज्य सरकार पर जुर्माना लगाया जाएगा।


माननीय जबलपुर कैट बेंच ने 2020 के ओए नंबर 564 में मुकेश गुप्ता बनाम गृह मंत्रालय और अन्य के मामले में खुली अदालत में 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता को बड़ी राहत देते हुए फैसला सुनाया है। इस याचिका में चुनौती का मुख्य विषय मुकेश गुप्ता के प्रत्यावर्तन से संबंधित था जो कथित तौर पर दिनांकित कैबिनेट बैठक के माध्यम से किया गया था।


कैबिनेट के निर्णय दिनांक 24.09.2019 के अनुसरण में छत्तीसगढ़ की तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा पारित पदोन्नति आदेश दिनांक 06.10.2018 को वापस लेते हुए किया गया था। गुप्ता की ओर से याचिका में कहा गया है कि वर्तमान राज्य सरकार ने दिसंबर 2018 में सत्ता में आने के बाद से उनके खिलाफ विभिन्न हमले किए हैं, जिसमें उनके और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ विभिन्न तुच्छ प्राथमिकी दर्ज करना शामिल है। एफआईआर के आधार पर मुकेश गुप्ता के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई और उन्हें निलंबित कर दिया गया। इन कार्रवाइयों को गुप्ता द्वारा अपेक्षित अधिकारिता के विभिन्न न्यायिक मंचों में चुनौती दी गई थी जिनमें माननीय उच्चतम न्यायायल शामिल हैं।


वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार ने दिसंबर 2018 में सत्ता में आने के बाद से उनके और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ विभिन्न प्राथमिकी दर्ज करायी थी। एफआईआर के आधार पर श्री गुप्ता के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई और उन्हें निलंबित कर दिया गया। इन कार्रवाइयों को गुप्ता द्वारा सर्वोच्च न्यायालय सहित अपेक्षित अधिकार क्षेत्र के विभिन्न न्यायिक मंचों में चुनौती दी गई थी और श्री गुप्ता और उनके परिवार के सदस्यों को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए प्राथमिकी पर रोक लगा दी गई थी।


हालांकि, मुकेश गुप्ता को सताने के अपने अवैध योजना को आगे बढ़ाने के लिए, राज्य सरकार ने उनके सेवा कैरियर को नुकसान पहुंचाया। सरकार द्वारा पदोन्नति आदेश दिनांक 06.10.2018 का उचित निर्वचन नहीं किया गया, जिसके तहत श्री गुप्ता और 3 अन्य को डीजी पुलिस के पद पर पदोन्नत किया गया था। इसके बाद, वर्तमान राज्य सरकार दिनांक 24.09.2019 को एक कैबिनेट बैठक बुलाई जहां पदोन्नति के मुद्दे को एजेंडा के रूप में लिया गया और इसे वापस लेने का निर्णय लिया गया था। परन्तु श्री गुप्ता को शासन द्वारा कोई परिणामी आदेश नहीं दिया गया।
मुकेश गुप्ता की ओर से दायर अपील में छत्तीसगढ़ शासन, गृहमंत्रालय भारत शासन और छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेश को पक्षबार बनाया गया था जिनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री नमन नागरथ एवं अजय ओझा ने पैरवी की। मुकेश गुप्ता की ओर से अधिवक्ता ए.के.बेहरा एंव एस.के.गौतम ने पैरवी की है।


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