बर्बाद हो रहे एमएसएमई उद्योगों को सीएम भूपेश बघेल ही बचाएंगे, हमें पूर्ण भरोसा: के. के. झा…..उद्योगों के समझ संकट, एक बार फिर मुख्यमंत्री की पहल की जरूरत

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भिलाई नगर 27 अप्रैल 2022:- एमएसएमई जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष के.के. झा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष एमएसएमई उद्योगों के समक्ष आ रही समस्याओं को प्रमुखता से रखा है। श्री झा ने उम्मीद जताई कि बर्बाद हो रहे एमएसएमई उद्योगों को यदि कोई बचा सकता है तो वह स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं। हमें उन पर पूरा भरोसा है। श्री झा ने मुख्यमंत्री से यह आग्रह भी किया कि प्रदेश के औद्योगिक विकास का मामला है तो आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर इस समस्या से अवगत कराएं ताकि इस समस्या का सार्थक हल निकल सके। ज्ञातव्य है कि श्री झा ने हाल ही में जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के नए कार्यालय भवन उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से एमएसएमई उद्योग के संबंध में सीधे बातचीत की थी। श्री झा ने कहा कि जिस तरह कोरोना काल में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने उद्योगों को ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति करवाई। साथ ही किसानों को पैसा देकर इन डायरेक्ट रूप से उद्योग व्यापार को प्रभावित नहीं होने दिया। उसी तरह से अब जब एमएसएमई उद्योगों की हालत गंभीर है तो हमें पूर्ण आशा है कि इस समस्या का हल केवल मुख्यमंत्री ही निकाल सकते हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल को चाहे केंद्र से लड़ना पड़े या कहीं और, इस समस्या का हल निकाल कर एक बार फिर वे श्रेष्ठ मुख्यमंत्री साबित होंगे। श्री झा ने कहा कि प्रदेश के विकास में एमएसएमई उद्योग, रीढ की हड्डी है। कोरोना काल में इन उद्योगों की स्थिति पहले ही बद से बदतर हो चुकी है। अब महंगाई की मार ने सब कुछ चौपट कर दिया है। कोरोना काल के दौरान जिस प्रकार उद्योगों के समक्ष ऑक्सीजन का संकट पैदा हुआ था और मुख्यमंत्री ने अपनी दूरदर्शिता से उद्योग हित में सेंट्रल गवर्नमेंट पर दबाव बनाकर यहां के उद्योगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कराई थी, ठीक उसी तरह एक बार फिर से उद्योगों के समझ संकट आ खड़ा हुआ है और एक बार फिर मुख्यमंत्री की पहल की जरूरत है।

श्री झा ने उद्योगों की समस्याओं को विस्तृत रूप से बताते हुए कहा कि रा मटेरियल में बेतहाशा वृद्धि ने उद्योगों की कमर तोड़ दी है। यहां पर जो भी औद्योगिक इकाइयां हैं वह या तो सीएसआईडीसी या फिर सार्वजनिक संस्थानों के साथ कार्यरत हैं। लेकिन यह संस्थान रेट के बदले में रेट तो बढा नहीं रहे, ना ही कोई अतिरिक्त समय दे रहे हैं।

श्री झा ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वे केंद्र सरकार से बातचीत करके मूल्य वृद्धि के लिए एक पॉलिसी बनवाएं। क्योंकि टेंडर लेते समय जो रेट डाला गया था वह काफी कम था। या फिर पिछले दो-तीन माह में रेट वृद्धि के समय जो ऑर्डर हुआ है ऐसे ऑर्डर में शिथिलीकरण करके उन्हें आगे बढ़ाया जाए। प्रदेश में एमएसएमई की जितनी भी इकाईयां हैं उन्हें पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के तहत 20 से 25% आर्डर देना निर्धारित करें ताकि प्रदेश के उद्योगों का क्रय बढ सके।

श्री झा ने कहा कि रा मटेरियल में हुई वृद्धि का असर बैंकों पर भी पड़ रहा है। उदाहरण यदि किसी का लिमिट एक लाख का है तो अब मूल्य वृद्धि के कारण रा मटेरियल ही एक लाख का हो जा रहा है। आपसे आग्रह है कि जो लिमिट जिस उद्योग का है उसको बिना कोई फॉर्मेलिटी किए लिमिट को दोगुना कर दिया जाए।

श्री झा ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के बाहर दूसरे राज्यों में हमारे एमएसएमई उद्योगों ने माल सप्लाई किया है और यदि उनका पेमेंट रुका है तो उनके विरुद्ध इंडस्ट्रियल फेंसिलेशन काउंसिल द्वारा सख्त कार्रवाई की जाए। यदि वे समय पर पैसा नहीं देते हैं तो उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। एफआईआर करने की जरूरत हो तो उसकी भी अनुमति दी जाए। श्री झा ने बताया कि एमएसएमई उद्योगों की वर्तमान स्थिति के बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन को भी पत्र लिखकर अवगत कराया है।


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