भिलाईनगर 29 अप्रैल 2022:- सेक्टर 2 गणेश पण्डाल में चल रहे विलक्षण दार्शनिक प्रवचन के सातवें दिन सुश्री भक्तिश्वरी देवी ने बताया कि वास्तविक शरणागति क्या है? जिस प्रकार से एक माँ के पास शिशु सरेंडर रहता है, मां उसका सब काम करती है,नहलाती है,धुलाती है,डॉक्टर के पास पेसेंट शरणागत होता हैं,जो डॉ ट्रीटमेंट बताता है,वो करता है, टीचर के पास स्टूडेंट शरणागत होता है ,इस प्रकार से हमको गुरु और भगवान के पास अपने को शरनापन्न करना है। अतः सब आश्रय को छोड़ना पड़ेगा। शरणागति के छह नियम पालन करना है। हरि गुरु की सदा अनुकूल चिंतन करना,प्रतिकूल आचरणों से बचना,उनकी कृपा का सदा सर्बत्र रियलाइज करना ,उनको अपना रक्षक मन लेना,धरोहर रूप में सब कुछ समर्पण कर देना। और सर्ब समर्पण होते हुए भी अपनी अंडर थोडा सा भी अहंकार न लाना । इसको ठीक ठीक पालन करना। शरणागति में अपने को पूर्ण सरेंडर करना होगा।फिर भगवान कृपा कर देंगे।
शरणागति का अर्थ यह है कि कुछ न करने की अबस्था पर पंहुचना होगा।कुछ न करने पर सब कुछ मिल जाता है। अतः भगवान की कृपा का कोई मूल्य नहीं हुआ। वह ब्यापारी कहाँरहे? क्योकि हमारे कुछ न करने के कारण वो सब कुछ दे देते है ,वो तो अकारण कृपा ही करते हैं।लेकिन कुछ न करने की अबस्था पर आने के लिये हम को बहुत कुछ करना है ।