महीने भर के रोजे हुए पूरे, चांद रात की रौनक के बाद 3 मई को मनाएंगे ईद

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भिलाईनगर। माहे रमजान में कड़ी धूप और गर्मी के बीच 30 रोजे पूरे करने के बाद शहर के मुस्लिम समुदाय के लोग 3 मई मंगलवार को ईदुल फित्र का त्यौहार मनाएंगे। 29 वें रोजे पर 1 मई की शाम टकटकी लगाकर लोग आसमान की ओर देख रहे थे लेकिन चांद के दीदार नहीं हुए। शहर के अलावा आसपास से भी चांद देखे जाने की तस्दीक नहीं हुई। ऐसे में 30 रोजे पूरे हुए और अब 3 मई को ईदुल फित्र की तैयारियां जोरों पर है।
ईद के ठीक एक दिन पहले चांद रात को बाजार में रौनक बढ़ गई है। लोग देर रात तक सेवईं, मेवे, कपड़े और दीगर सामान खरीदते रहे। ईदुल फित्र की खास नमाज शहर की तमाम मस्जिदों और ईदगाहों में सुबह 9 बजे तक करवाने की तैयारी है। तमाम मस्जिद कमेटियां एक दिन पहले तैयारियों मं जुटी रही। शहर की सभी मस्जिदों में ईद उल फितर को देखते हुए शानदार रोशनी की गई है।


जामा मस्जिद सेक्टर-6 के ईदगाह मैदान में नमाज-ए-ईदुल फित्र सुबह 8:30 पढ़ाई जाएगी। जिनकी नमाज यहां छूट जाएगी उनके लिए जामा मस्जिद सेक्टर-6 में सुबह 9 बजे अलग से नमाज (जमात-ए-सानी) का एहतमाम किया जाएगा। इनके अलावा ईदगाह रिसाली में सुबह 7:30 बजे, ईदगाह फरीद नगर में सुबह 8 बजे, रजा जामा मस्जिद कैम्प-2 पावर हाउस में सुबह 9 बजे, गौसिया मस्जिद कैम्प-1 में सुबह 8 बजे, हाउसिंग शेरे खुदा मस्जिद ईदगाह में सुबह 8 बजे और अशरफी मस्जिद जोन-3 खुर्सीपार में सुबह 7:45 बजे नमाजे ईदुल फित्र होगी। इसके पहले खुर्सीपार मस्जिद में तकरीर सुबह 7:10 बजे से होगी।


इनके अलावा ईदुल फितर की तैयारियां शहर की दूसरी मस्जिदों ओर शहर की ईदगाहो में कर ली गई है। मर्कजी मस्जिद पावर हाऊस कैम्प 2 की ओर से सैयद असलम ने बताया कि यहां हाफिज कासिम बस्तवी ईद की नमाज सुबह 8.30 पढ़ाएंगे। वही मर्कज मस्जिद नूर सुपेला मे मौलाना शकील सुबह 8.45 बजे, जामा मस्जिद हुडको में सुबह 7.30 बजे, मस्जिद भिलाई-3 पेट्रोल पंप के पीछे सुबह 9.30 बजे हाफिज अताउल्लाह और चरोदा में मौलाना मुजीब सुबह 8.30 बजे ईद की नमाज पढ़ाएंगे।
कोविड काल के दो साल बाद यह पहला मौका है जब ईदगाह और मस्जिदों में ईद की नमाज होगी। बीते दो साल में गिनती के 5 लोगों ने ईद की नमाज अदा की थी और बाकी लोगों ने घरों में ही नमाज अदा की। अब कोरोना पाबंदियां हटने के बाद हो रही सार्वजनिक नमाज को लेकर लोगों में उत्साह का माहौल है। वहीं मस्जिदों व ईदगाह के बाद लोग कब्रिस्तान जाकर अपने दिवंगत परिजनों की कब्र पर दुआएं करेंगे। ऐसे में कब्रिस्तान में भी इंतजाम किए गए हैं।


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