भिलाई-3 चरोदा को टाटा-इतवारी ट्रेन की सुविधा नहीं.. पैसेंजर से एक्सप्रेस बनते ही खत्म कर दिया स्टापेज.. जनप्रतिनिधि कर रहे पहल न ही जनता में कोई विरोध

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भिलाईनगर। कोरोना काल में राहत के बाद मिली टाटानगर-इतवारी ट्रेन की सुविधा
भिलाई-3 और चरोदा के लोगों को नहीं मिल पा रही है। पैसेंजर श्रेणी की इस लोकप्रिय ट्रेन को लगभग दो साल बाद एक्सप्रेस बनाकर शुरू किया गया है। इसके साथ ही भिलाई-3 स्टेशन पर इसका स्टापेज खत्म कर दिया गया है। बावजूद इसके न तो जनप्रतिनिधि फिर से स्टापेज बहाल करने में किसी तरह का पहल कर रहे हैं और न ही आम जनता की ओर से कोई विरोध का स्वर उभर कर सामने आया है।
5 मई से रेलवे ने टाटानगर से इतवारी के बीच चलने वाली पुरानी पैसेंजर ट्रेन को एक्सप्रेस का तमगा देकर फिर से परिचालन शुरू कर दिया है। भिलाई-दुर्ग के लिए यह दोनों दिशा में आवाजाही का पसंदीदा ट्रेन रहा है। लेकिन एक्सप्रेस ट्रेन का दर्जा देकर इसके पुराने छह स्टापेज को खत्म कर दिया गया है। इसका सबसे ज्यादा नकारात्मक असर भिलाई.3 और चरोदा में देखा जा रहा है। पहले पैसेंजर रहते इस ट्रेन का स्टापेज भिलाई.3, चरोदा व देवबलोदा के समीपस्थ अलग अलग केबिन में थी। लेकिन एक्सप्रेस बनते ही दुर्ग के बाद भिलाई नगर और पावरहाउस के बाद इस ट्रेन का अगला स्टापेज सीधे रायपुर में दिया गया है।


भिलाई-चरोदा के किसी भी स्टेशन पर स्टापेज नहीं दिए जाने के बावजूद स्थानीय लोगों में न तो किसी तरह का आक्रोश दिख रहा है और न ही विरोध प्रदर्शन की कोई रुपरेखा तय हो सकी है। पक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों की खामोशी भी जनहित से जुड़े इस मामले में रहस्यमयी बनी हुई है। ऐसे में इस ट्रेन की सुविधा भिलाई-चरोदा के लोगों को मिलने में सवालिया निशान लग गया है। आने वाले दिनों में कुछ नई ट्रेनों की सौगात से ही भिलाई- चरोदा के वंचित रहने क संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।
गौरतलब रहे कि भिलाई-3 और चरोदा की पहचान रेलवे के नक्शे में काफी उत्कृष्ट है। इसके बाद भी रेलवे प्रशासन इस क्षेत्र को सुविधा देने में हमेशा कंजूसी दिखाता रहा है। यहां के लोगों को एक्सप्रेस ट्रेन से यात्रा शुरू करने के लिए भिलाई पावरहाउस या फिर रायपुर व दुर्ग जैसे स्टेशन पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके लिए समय और धन का अतिरिक्त बोझ पड़ता है। सारनाथ, अमरकंटक व साऊथ बिहार जैसे कुछ एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टापेज भिलाई-3 में दिए जाने की मांग पुरानी है। अब जब टाटानगर-इतवारी का स्टापेज खत्म कर दिया गया है तो फिर एक्सप्रेस स्टापेज की पुरानी मांगों के पूरे होने पर संदेह उभर आया है।


सुपरफास्ट बनाकर इसी तरह बढ़ाया था राजस्व
इससे पहले भी इसी तरह के एक निर्णय में रेलवे ने देश भर की कई ट्रेनों को एक साथ सुपरफास्ट बना दिया था। तब भी बिना किसी बदलाव के ट्रेन के किराया में सुपरफास्ट चार्ज जोड़ दिया गया और यात्रियों से अधिक वसूली की जाने लगी। इस तरह एक बार फिर से बिना किसी सुविधा अथवा बदलाव के पैसेंजर ट्रेनों को एक्सप्रेस का नाम देकर रेलवे ने अतिरिक्त राजस्व जुटाने का इंतजाम कर लिया है। टाटानगर-इतवारी पैसेंजर को एक्सप्रेस का दर्जा देकर परिचालन शुरू करना इसका ताजा उदाहरण है। कई यात्रियों ने इस संबंध में जानकारी लेने के बाद कहा कि रेलवे ने बिना किसी अतिरिक्त सुविधा के यात्रियों पर किराया का अतिरिक्त बोझ डाल दिया और कहने के लिए ट्रेन चलाकर सुविधा देने के नाम पर वाहवाही पाने का प्रयास किया जा रहा है।


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