लखनऊ 12 मई 2022:- उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक यानी DGP मुकुल गोयल को योगी सरकार ने पद से हटा दिया है। उन पर शासन के कामों में लापरवाही और क्राइम कंट्रोल न कर पाने का आरोप लगा है। गोयल को सिविल डिफेंस का DG बनाया गया है। शामली के रहने वाले मुकुल गोयल 1987 बैच के IPS अफसर हैं और एक जुलाई को यूपी पुलिस के मुखिया बनाए गए थे। अखिलेश यादव के शासन में मुकुल गोयल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर रहे हैं। नए अफसर के चयन तक एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार डीजीपी का काम संभालेंगे। चर्चा है कि नया DGP दिल्ली से आ सकता है। हालांकि वरिष्ठता के आधार पर DGP बनने की रेस में 4 IPS के नाम हैं। इनमें आरपी सिंह, जीएल मीणा और आरके विश्वकर्मा और डीएस चौहान शामिल हैं। डीएस चौहान अभी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। अभी उनका कार्यकाल 3 साल बाकी है।
डीजीपी मुकुल गोयल को हटाए जाने के बाद नई तैनाती को लेकर अटकलों का बाजार गरम हो गया है। वरिष्ठता में चार आईपीएस अफसरों से नीचे होने के बावजूद डीजी इंटेलीजेंस डॉ. डीएस चौहान को डीजीपी पद की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। वह 1988 बैच के आईपीएस हैं और 15 फरवरी 2020 से डीजी इंटेलीजेंस के पद पर कार्यरत हैं।डॉ. चौहान के पास उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विलेंलेंस) के निदेशक का भी कार्यभार है। डीजीपी पद से हटाए गए मुकुल गोयल 1987 बैच के आईपीएस हैं। डीजी प्रशिक्षण डॉ. आरपी सिंह, डीजी नागरिक सुरक्षा बिश्वजीत महापात्रा, डीजी सीबीसीआईडी गोपाल लाल मीना भी वर्ष 1987 बैच के हैं। इसके बाद वर्ष 1988 बैच में पांच आईपीएस हैं, जिसमें वरिष्ठता क्रमांक में डॉ. राज कुमार विश्वकर्मा सबसे ऊपर हैं। वह उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष हैं। इसके बाद वरिष्ठता क्रमांक में डीजी इंटेलीजेंस डॉ. देवेन्द्र सिंह चौहान हैं। इसी बैच के तीन अन्य अफसरों में से अनिल कुमार अग्रवाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, जबकि आनंद कुमार डीजी जेल और विजय कुमार डीजी होमगार्ड के पद पर तैनात है।मुकुल गोयल को 30 जून, 2021 को बनाया गया था DGP
मुकुल गोयल को 30 जून, 2021 को DGP नियुक्त किया गया था। मुकुल गोयल गेलेंट्री अवार्ड और ग्रह मंत्रालय से अति उत्कृष्ट सेवा पदक सहित कई अवॉर्ड भी प्राप्त कर चुके हैं। मुकुल गोयल इसके पहले केंद्र में तैनात थे। यूपी चुनाव से पहले उनको उत्तर प्रदेश लाया गया था। मगर, योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल के 11 महीने बाद ही उन्हें हटा दिया गया माना जा रहा है कि CM योगी उनके काम से खुश नहीं थे। यही वजह है कि मुकुल गोयल को हटाने की काफी समय से यह चर्चा चल रही थी। दरअसल, यूपी में आपराधिक घटनाएं बढ़ने को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे।IPS मुकुल का विवादों से भी है गहरा नाता बात 2000 की है। तब मुकुल गोयल सहारनपुर में SSP थे। वहां भाजपा नेता निर्भय पाल शर्मा की हत्या हो गई। इसके बाद मुकुल गोयल को सस्पेंड कर दिया गया था। आरोप लगा था कि निर्भय पाल ने जान-माल अंदेशा जताते हुए मदद मांगी थी। लेकिन समय पर पुलिस नहीं पहुंची। साल 2005-06 में कथित पुलिस भर्ती घोटाले में 25 IPS अधिकारियों के नाम सामने आए थे, उनमें एक मुकुल गोयल भी थे।
DGP बनाने के खिलाफ हाईकोर्ट में लगाई गई थी याचिकाDGP नियुक्त होने के बाद मुकुल गोयल के खिलाफ हाईकोर्ट ने मामला दर्ज कराया गया था। हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह याचिका अविनाश प्रकाश पाठक की ओर से दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि मुकुल गोयल पर 2005-06 में यूपी पुलिस भर्ती में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इस मामले में उनके खिलाफ लखनऊ के महानगर थाने में केस भी दर्ज हुआ था।याचिकाकर्ता मुकेश साहनी ने कहा है कि इस मामले में 2007 में तत्कालीन राज्य सरकार ने जांच के आदेश भी दिए थे। तत्कालीन DGP विक्रम सिंह ने केस की जांच एंटी करप्शन डिपार्टमेंट को सौंपी थी। इस केस में 23 फरवरी 2018 को गृह मंत्रालय में IPS सेक्शन सचिव मुकेश साहनी ने भ्रष्टाचार की जांच के लिए यूपी के तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह को पत्र भी लिखा था।