भिलाईनगर। शहर के खुर्सीपार क्षेत्र में खुले मैदानों पर शराबखोरी से अनहोनी की आशंका उभरने लगी है। शाम ढलने के साथ ही यहां का आईटीआई मैदान ओपन अहाता में तब्दील हो जाता है। नौजवानों के समूह में बैठकर शराबए गांजा सहित नशीली दवाइयों का सेवन करने से आपसी विवाद की संभावना से हत्या जैसी वारदातों के पुनरावृत्ति से इंकार नहीं किया जा रहा है।
खुर्सीपार में स्थित भिलाई शासकीय आईटीआई का लंबा चौड़ा मैदान फिर से नशाखोरी का अड्डा बन गया है। कुछ महीने पहले यहां पर मोनू नामक युवक की हत्या के बाद पुलिस की बरती गई सख्ती से इस आईटीआई मैदान सहित अन्य मैदानों में नशाखोरी पर कुछ हद तक अंकुश लगा था। लेकिन पुलिस प्रशासन की सख्ती गायब होते ही न केवल आईटीआई मैदान बल्कि खुर्सीपार क्षेत्र के अन्य खेल मैदान और सड़कों पर बैखौफ अंदाज में शराबए गांजा सहित अन्य तरीके से नशाखोरी हो रही है।
गौरतलब रहे कि खुर्सीपार क्षेत्र अपराध के मामले में हमेशा से संवेदनशील रहा है। इसके लिए काफी हद तक नशाखोरी जिम्मेदार रही है। शराबए गांजा और नशीली दवाइयों का अवैध कारोबार इस इलाके में हमेशा फलता फूलता रहा है। इसके चलते ही पूरे खुर्सीपार क्षेत्र में नशा करने वालों की तादाद काफी ज्यादा है। नौजवान पीढ़ी खुले मैदान में देर रात तक नशा करते आसानी से देखे जा सकते हैं। इस दौरान आपसी विवाद के बढऩे पर खून खराबा से लेकर हत्या जैसी वारदातें पूर्व में पेश आ चुकी है।
यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि आईटीआई मैदान में आसपास के खिलाड़ी सुबह और शाम को अभ्यास के लिए आते हैं। इसमें लड़कियों की भी संख्या काफी अधिक रहती है। इसके अलावा मॉर्निंग व इवनिंग वॉक के लिए भी सुबह-शाम महिला-पुरुष की भीड़ जुटती है। मैदान में शराबए सोडा व पानी की खाली बोतलए पानी पाउचए नमकीन आदि के बेतरतीब बिखरे खाली रैपर के चलते लोगों को छोटे बच्चे साथ होने पर शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ता है।
पुलिस की अपील का कोई असर नहीं
खुले में नशाखोरी रोकने कुछ महीने पहले खुर्सीपार पुलिस ने एक खास अभियान चलाया था। इसके तहत खेल मैदानों के आसपास की दीवारों पर नशाखोरी रोकने स्लोगन लेखन कर नौजवानों से अपील की गई थी। इसके साथ ही पुलिस की पेट्रोलिंग टीम के द्वारा भी रात के वक्त खुले मैदानों की निगरानी की जा रही थी। लेकिन अब पुलिस में पहले जैसी गंभीरता खुले में नशाखोरी रोकने को लेकर दिख नहीं रही है। लिहाजा खुर्सीपार क्षेत्र के खेल मैदान शाम ढलने के साथ ही मयखाने में तब्दील हो जाता है। इससे घटना-दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।