भिलाईनगर 30 मई 2022:- सुहागिनों ने आज वट सावित्री की पूजा कर अखंड सौभाग्य की कामना की। सोलह श्रृंगार में सजी सुहागिन महिलाओं ने पारम्परिक विधि विधान के साथ बरगद वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना कर उसकी परिक्रमा की। नव विवाहित महिलाओं में इस पर्व को लेकर उत्साह देखते बना।सर्वार्थ सिद्धि योग, सोमवती अमावस्या और शनि जयंती के विशेष संयोग में वट सावित्री पूजन के लिए सुबह से ही बरगद पेड़ के नीचे सुहागिन महिलाएं परिजनों के साथ जुटने लगी। नव विवाहित महिलाओं में व्रत को लेकर खासा उत्साह दिखा। व्रती महिलाओं ने उपवास रखकर विधि विधान पूर्वक बरगद वृक्ष का पूजन किया। अपने पतियों के दीर्घायु के लिए महिलाओं ने कच्चे सूत से बरगद के तने को लपेट कर 108 बार परिक्रमा लगाई। इसके बाद हलवा, पूड़ी, आटा के बने बरगद व खरबूजा चढ़ाकर सुहागिनों ने पूजन कर पति की लंबी उम्र की कामना की। पर्व पर भिलाई शहर में सुपेला, वैशाली नगर, राधिका नोगर, नेहरू नगर, राम नगर, केम्प, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी व खुर्सीपार सहित टाउनशिप के विभिन्न सेक्टर में वट अर्थात बरगद वृक्ष के नीचे सावित्री माता के पूजन के लिए महिलाओं की भीड़ जुटी रही। इस दौरान पति की दीर्घायु के लिए व्रती सुहागिनों ने माता को सोलहों श्रृंगार की वस्तुएं, फल और प्रसाद चढ़ाकर वट वृक्ष पर मौली लपेटी और परिक्रमा कर अखंड सौभाग्य का वरदान मांगा। भिलाई-3 चरोदा, जामुल, कुम्हारी सहित पूरे जिले भर में वट सावित्री पूजन श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया।पर्व को लेकर यह है पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि भद्र देश के राजा की पुत्री सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए वट वृक्ष के नीचे ही पति का शव रख पूजन किया था। जब पति के प्राण लेकर यमराज जाने लगे तो सावित्री उनके पीछे -पीछे चल दी । सावित्री के पतिव्रता धर्म के आगे बेबस यमराज ने उनसे वरदान मांगने को कहा। इस पर सावित्री ने यमराज से कहा पहला वरदान सास-ससुर को नेत्र ज्योति देने और दूसरा वरदान पुत्रवती होने का मांगा। यमराज तथास्तु कह सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे तो सावित्री उनके पीछे-पीछे फिर चल दी ।
यमराज ने मुड़कर देखा कि वरदान देने के बाद भी सावित्री पीछे आ रही है तो उन्होंने पुन: पूछा अब क्या तो सावित्री ने पति को आप ले जा रहे हैं तो मै पुत्रवती कैसे होऊंगी। यह सुन यमराज को गलती का एहसास हुआ और उन्होंने सत्यावान के प्राण वापस कर दिए। ऐसी मान्यता है कि सावित्री ने वटवृक्ष के नीचे ही पति का शव रख पूजन कर उनके प्राणों को वापस पाया था । इसी मान्यता के तहत वट सावित्री पूजन किया जाता है।