भिलाई नगर 06 जून 2022:- अपने उत्पाद की बिक्री बढा़ने के लिए बहुत सी कंपनियां अपने वितरक, थोक व फुटकर कारोबारियों को उपहार देती हैं। इसी तरह दवा कंपनियां भी अपनी दवाओं की बिक्री बढ़ाने के लिए डाक्टरों को अक्सर बड़े-बड़े उपहार देती हैं। कंपनियां इस खर्च को सेल्स प्रमोशन के मद में डालकर आयकर का लाभ ले लेती हैं लेकिन उपहार पाने वाला इन्हें ना तो अपनी आय में शामिल करता है न अपने रिटर्न में उसका कोई जिक्र करता है।लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। सीए पीयूष जैन ने बताया कि टैक्स डिडेक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) के नए नियमों के चलते उपहार पाने वाले को इसे अपनी आय में शामिल करना होगा। यह प्रावधान एक जुलाई 2022 से लागू होने जा रहा है। हालांकि 20 हजार रुपये तक के उपहार देने पर यह नियम लागू नहीं होगा। श्री जैन ने बताया कि इस नए नियम का उद्देश्य सभी प्रकार के व्यापारिक लाभों या अनुलाभों को टीडीएस के जरिए कर योग्य आय की श्रेणी में लाना है। इससे महंगे उपहार लेने के बाद भी जो लोग उस पर टैक्स नहीं देते हैं, उन्हें उस पर कर चुकाना होगा।सीए श्री जैन ने बताया कि आयकर कानून में टीडीएस के प्रावधानों को बढ़ाते हुए धारा 194आर को जोड़ा गया है। इसके अनुसार इस तरह के उपहार देने वाली कंपनी उपहार पाने वाले से 10 प्रतिशत टीडीएस वसूलेगी। टीडीएस काटने के बाद ही उपहार या वह वस्तु दी जाएगी। इसके बाद कंपनी आयकर विभाग के टीडीएस रिटर्न में भी इसका उल्लेख करेगी और वसूली हुई राशि को जमा भी करेगी।उन्होंने बताया कि टीडीएस रिटर्न फाइल होने से आयकर विभाग को पता चल जाएगा कि वह उपहार किसे दिया गया और उसकी कीमत क्या थी। इसके साथ ही उपहार पाने वाले के आयकर पोर्टल में 26 एएस में यह अपने आप दिखने लगेगा। इसलिए उपहार लेने वालों को भी अपनी आय में इस उपहार की कीमत को जोड़ना होगा। वे इसे छिपा नहीं सकेंगे।इन पर नियम लागू नहीं होगा
सीए पीयूष जैन ने बताया कि एकल स्वामित्व वाली फर्म, हिंदू अभिविभाजित परिवार जिनकी व्यापार से बिक्री एक करोड़ रुपये से कम या पिछले वित्तीय वर्ष में पेशे से प्राप्तियां 50 लाख रुपये से कम हों। साथ ही यदि लाभ या अनुलाभ प्राप्त करने वाला भारत का नागरिक न हों तो उस पर भी यह नियम लागू नहीं होगा।