रायपुर 22 जून 2022:- आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव उत्तम जायसवाल ने कड़े शब्दों में सरकार से सवाल किया है कि खुले आम लूट चल रही है और कोई सवाल नही हो रहे है। रायपुर में ही सड़कों पर लगा दिए गए नियम विरुद्ध ‘दैत्याकार’ यूनिपोल और बड़े बड़े होर्डिंग लेकिन कोई आवाज उठाने वाला नही है।
नियम दरकिनार करके नगर निगम को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान और आमजन पर हादसे का भी मंडरा रहा है लेकिन न भूपेशसरकार को दिख रहा न भाजपा के नेताओं को ही दिख रहा क्योंकि खेल खुला चल रहा है लूट सके तो लूट । आम जनता को समय समय पर अग्नि और ED में उलझकर बड़ी बड़ी लूट बदस्तूर जारी है।
रायपुर शहर में नियमों के विपरीत सड़कों पर 201 यूनिपोल लगा दिए गए हैं। उन पर विज्ञापन लगाने के एवज में विज्ञापन एजेंसियों ने मनमाने तरीके से काम किया है। यूनिपोल स्थापित करने से पहले एजेंसियों को आम नागरिकों को सुविधा देने के लिए स्मार्ट शौचालय बनाना था, लेकिन शहर में 12 शौचालय बनाए बगैर ही यूनिपोल खड़ाकर बड़ी कंपनियों के विज्ञापन लगाकर प्रचार-प्रसार का किरायावसूलना शुरू कर दिया है।
नियमानुसार फुटपाथ और सड़क से तीन मीटर की दूरी और बिजली लाइन से दूरी पर ही यूनिपोल लगाने का प्रविधान है, लेकिन इसके ठीक विपरीत आंबेडकर अस्पताल चौक, शास्त्री चौक, एसआरपी जैसी प्राइम लोकेशन पर जगह-जगह स्थापित वैत्याकार यूनिपोल और शहर में कई स्थानों पर नियमों के विपरीत होडिंग की साइज बढ़ाकर विभिन्न बड़ी कंपनियों के विज्ञापन के बैनर, पोस्टर लगा कर एजेंसियों द्वारा तगड़ा किराया वसूला जा रहा है।
उत्तम जायसवाल ने आगे कहा कि इन यूनीपोल से लगातार हादसे का भी खतरा मंडरा रहा है। शहर में जनप्रतिनिधि चुप्पी साधकर बैठे हुए हैं। डिवाइडर, बिजली खंभों पर अवैध तरीके से लगे होर्डिंग, पोस्टर जहां खूबसूरती बिगाड़ रहे हैं, वहीं अधिकारियों की मिलीभगत से नियमों के विपरीत स्थापित वैत्याकार यूनिपोल हर माह निगम प्रशासन को लाखों की चपत भी लगा रहे हैं। एड एजेंसियों ने अनुमति से अधिक बढ़ाई साइज जैसे यदि 40फुट x 30 फुट की आकार की है लेकिन यहां पर विज्ञापन एजेंसी ने हर्डिंग का आकार बनकर 50फुट x 30 फुट का लगाया है। प्रदेश के नगर निगम लगातार होडिंग मामले को लेकर आरोपों से घिरा रहता है। वैध होर्डिंग के नाम पर अवैध होर्डिंग लगवाए जाते हैं। नाम न छापने की शर्त पर नगर निगम से कोई अनुमति नहीं दी जाती है। निगम के एक जिम्मेवार अधिकारी का कहना है कि शहर में अवैध होर्डिंगबैनर, पोस्टर अनुमति के बिना धडल्ले से लगाए जा रहे और हादसा कभी भी हो सकता है। शहर में कई जगह लगाए गए यूनिपोल होडिंग जानलेवा भी हो सकते हैं।


यूनिपोल लगाने की शर्तें है


निविदाकार किसी भी शासकीय, अर्थशासकीय या नगरीय निकाय आदि में काली सूची में दर्जन हो। किसी भी विवाद की स्थिति में नगर निगम आयुक्त का निर्णय मान्य होगा।यूनिपोल आंधी-तूफान या अन्य किसी कारण से आंशिक या पूरीतरह से ध्वस्त होने से जन-धन की हानि होने पर स्वयं जिम्मेदार होने के संबंध में निविदाकार को निर्धारित प्रारूप में 50 रुपये के गैर न्यायिक स्टाप पत्र पर हस्ताक्षर कर नोटराइज कराकर अनुबंध के पूर्व पेश करना होगा।यूनिपोल में बिजली कनेक्शन के लिए निविदाकार एजेंसी को अनापत्ति प्रमाण-पत्र दिया जा सकेगा। वह उदासीन है। स्वयं के व्यय पर कनेक्शन लेने के साथ बिल का भुगतान भी करेगा।निविदा प्राप्तकर्ता एजेंसी यूनिपाल स्थापित करने व उस पर प्रचार- प्रसार करने के अधिकार को बिना सक्षम स्वीकृति के किसी अन्य व्यक्ति, एजेंसी को हस्तातरण नहीं करेगा।शहर में ऐसा कोईचौक चौराहा नहीं, जहां अवैध होर्डिग्स की भरमार न हो। सड़क किनारे, डिवाइडर और बिजली सभी पर लगाए गए अवैध होर्डिंग, बैनर, पोस्टर और यूनिपोल लगातार हादसों का कारण बन रहे है। सड़कों पर सिर्फ निजी कंपनियों का ही नहीं, बल्कि राजनीतिक पार्टियों का भी अवैध तरीके से खूब प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। हद तो इस बात की है कि नगर निगम की तरफ से बनाए गए शौचालय को भी नहीं छोड़ा गया है। उन पर भी होर्डिंग टांग दिए गए है। बावजूद इसके निगम प्रशासन अवैध यूनियोल, होर्डिंग को लेकर चुप्पी साधे है। बीच सड़क पर होर्डिंग लगा दिए गए हैं। कभी भी यात्री उससे घायल भी सकते हैं इन होर्डिंग को लेकर नगर निगम में शिकायतें की जाती हैं, मगर संज्ञान नहीं लिया जाता।
जानकारों ने बताया कि नियमानुसार चौराहे से 220 मीटर की दूरी तक यूनिपोल नहीं लगाए जा सकते, मगर शहर के मुख्य चौराहों शास्वी चौक, रेरा आफिस से लगे स्थान आंबेडकर अस्पताल चौक, देवेंद्रनगर चौक, रेलवे स्टेशन रोड, एसआरपी चौक आदि पर नियम को ठेंगा दिखाकर लगाए गए है। सईया भए कोतवाल तो डर काहे बर।निगम खजाने में लगातार सेंध की बात और मजेदार है ।निगम को 25 से 36 लाख की जगह मिल रहा सिर्फ चार-पांच लाख रुपये किराया ।शहर में यूनिपोल होडिंग लगाने के नाम पर करोड़ों का खेल हो रहा है।
विज्ञापन एजेंसियों को फायदा पहुंचाने के लिए निगम के अधिकारियों ने सारे नियमों की अनदेखी कर दी। एक यूनिपोल का सालाना किराया 25 से 36 लाख रुपये तक निगम को मिलना चाहिए, लेकिन केवल चार से पांच लाख रुपये लिया जा रहा है। निगम के जिम्मेदार ही विज्ञापन एजेंसियों को संरक्षण देकर निगम को हर महीने लाखों के राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं। इधर मुख्य मार्ग पर लगे यूनिपोल पर मल्टीनेशनल कंपनियों के होडिंग, बैनर लगाकर एजेंसियां मोटी रकम वसूल रही हैं।
शौचालय और बस स्टाप बनाने की शर्त पर अधिकांश जगह नहीं बनाए गए और ठेका एजेंसियों को यूनिपोल लगाने के बदले वहां पर आम नागरिकों की सुविधा के लिए चार लाख की लागत से सार्वजिनक स्मार्ट शौचालय, एसी बस स्टाप बनाना है। एजेंसियों ने शहर के आंबेडकर अस्पताल, शास्त्री चौक, देवेंद्रनगर चौक, एसआरपी चौक गांधी उद्यान, घड़ी चौक, जय स्तंभ चौक समेत अन्य प्रमुख स्थानों पर 20 यूनिपोल होर्डिंग तो लगा दिए, लेकिन अधिकांश जगहों पर न तो स्मार्ट शौचालय बनाया न ही एसी बस स्टाप नियमों के विपरीत मोहल्ले, वस्तियों में शौचालय बना दिए, वह भी मानकों के अनुरूप नहीं हैं। दूसरी ओर, होर्डिंग का आकार भी कई जगहों पर मनमाने ढंग से बढ़ा दिया गया है।
भ्रष्टाचार की साजिश पहले ही रची जा चुकी थी । शहर में यूनिपोल लगाने के लिए टेंडर होने से पहले ही करोड़ों के खेल की साजिश पहले ही रच ली गई थी। बताया जा रहा है कि ग्रेसफुल, एवन फोर और एएसए ने टेंडर में भाग लिया एड एजेंसियों ने यूनिपोल होर्डिंग लगाने के लिए टेंडर भरा था। इनमें से न्यूनतम दर भरने वाली एवन फोर एजेंसी के टेंडर को तकनीकी खामी बताकर रद कर दिया गया और चांदी काटी जा सके और विज्ञापन देने वाली बड़ी कंपनियों से हर महीने लाखों वसूला जा सके। इस भ्रष्टाचार को लेकर भी निगम के जिम्मेदार अनजान बने हुए हैं।
अधिकतर यूनिपोल सड़क पर सड़क से तीन मीटर और बिजली लाइन से दूर यूनिपोल लगाने का प्रविधान है लेकिन सब कानून कागजी है।यूनिपोल पर विज्ञापन लगाकर एजेसियां प्रति यूनिपोल हर माह करीब चार लाख रुपये किराया ले रही है। इस तरह एक यूनिपोल से सालाना 48 लाख रुपये और 20 यूनिपोल सै 9 करोड़ 60 लाख रुपये की कमाई की जा रही है। लेकिन एजेंसी व अधिकारियों की मिलीभगत से निगम के खाते में मात्र पाच से छह करोड़ का ही राजस्व जमा हो रहा है। जानकारों का दावा है कि निगम को हर साल 14 करोड़ रुपये की चपत लगाई जा रही है।
उत्तम जायसवाल ने कहा कि यूनिपोल पर कंपनियों के विज्ञापन और होर्डिंग लगाने वाली ठेका एजेंसियों को ही अपने खर्च पर शहर में 18 स्थानों पर स्मार्ट शौचालय बनाने है। 12 जगहों पर शौचालय बनाने का काम चल रहा है। बाकी जगहों से पार्षदों और जोन से कोई मांग नहीं आई है। निगम अफसरों का कहना है कि अभी तक टेका एजेंसियों के खिलाफ किसी तरह की शिकायत नहीं मिली है। शिकायत आने पर जांच कर कार्रवाई करेंगे। रायपुर में अधिकांश यूनिपोल सड़क पर ही लगाए गए हैं। आंबेडकर अस्पताल, एनआइटी के सामने, डीकेएस अस्पताल के पास आधी सड़क को घेरकर यूनिपोल लगा दिए गए हैं। इनसे कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। कुछ जगह तो लोगों को चलने में समस्या हो रही है।
आम आदमी पार्टी जनमानस से आवाह्न करती है की इस तरह के बेतरतीब भ्रष्टाचार युक्त कार्यों के विरोध में आम आदमी पार्टी की आवाज बुलंद कर इन्हे रोके और सरकार से संज्ञान लेकर भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसकर पैसे की बरबादी और नियम विरुद्ध कार्य पर लगाम लगाए।