भिलाईनगर 01 जुलाई 2022 :- लोकशक्ति पार्टी (रामविलास)के प्रदेश महासचिव वह चिराग पासवान समर्थक मुकेश वर्मा ने अपने बयान में कहा कि सेल का उपक्रम भिलाई इस्पात संयंत्र एक राष्ट्रीय संपत्ति है पूरे भारत वर्ष में भिलाई इस्पात संयंत्र की अपनी अलग पहचान है भिलाई इस्पात संयंत्र के खाली पड़े आवास एवं भूमि एक राष्ट्रीय संपत्ति है इसकी देखरेख एवं सुरक्षा के लिए भिलाई नगर सेवा विभाग का गठन किया गया है।इस विभाग के अंतर्गत तोड़फोड़ विभाग भूमि अथवा आवास विभाग साथ हि अलग से सम्पदा विभाग और सम्पदा न्यायालय भी घटित है इन विभागों का उत्तरदायित्व है कि संयंत्र आवासों में बढ़ रहे बेजा कब्जा एवं संयंत्र की बेशकीमती जमीनों को कब्जा मुक्त कराएं और वर्षों से राष्ट्रीय संपत्ति बचाने करोड़ों रुपए नगर सेवा विभाग और संपदा विभाग में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों पर वेतन एवं विद्युत उपकरण व संसाधन में करोड़ों रुपए खर्च किया जाता है
इसके बाद भी पूरे संयंत्र क्षेत्र की खाली पड़ी भूमि पर अवैध कब्जा कर अनाधिकृत निर्माण कर संयंत्र के प्रत्येक सेक्टरों में अवैध रूप से बेजा कब्जा कर भूमि पर व्यापार कर रहे हैं इन बेजा कब्जों को खाली कराने एवं हटाने नगर सेवा विभाग सम्पदा विभाग द्वारा राष्ट्रीय संपत्ति बचाने समय-समय पर इन कब्जा धारियों को नोटिस के माध्यम से हटाने का प्रयास किया जा रहा है
खेद का विषय है की इन अवैध कब्जा धारियों विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के बीच कई बार राष्ट्रीय संपत्ति को बचाने विवाद उत्पन्न होता रहा है और कई बार विवाद इतना बड़ा हो जाता है कि अधिकारियों व कर्मचारियों से मारपीट तक हो जाती है और मारपीट के कई प्रकरण दर्ज हैं आज भी बेजा कब्जाधारियों के साथ विवाद निरंतर जारी है और विभाग के द्वारा राष्ट्रीय संपत्ति बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते रहें हैं और कर रहे हैं कई बार विवाद के बाद राजनीतिक जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप से इन कब्जा धारियों को समय-समय पर खाली कराना तो दूर उन्हें व्यवस्थापन दुकान आवंटित किया जा रहा है।मुकेश वर्मा ने कहा संयंत्र प्रबंधन द्वारा जनप्रतिनिधि राजनीतिक लोगों के दबाव में आकर स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड ( सेल) के किस नियम शर्तों के तहत संयंत्र को राजस्व की क्षति पहुंचाने वालों को संयंत्र की भूमि व्यवस्थापन के नाम से आवंटित किया जा रहा है जो अनुचित है कब्जाधारियों को व्यवस्थापन करने की प्रकिया के कारण अन्य अवैध कब्जाधारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है जिससे आने वाले समय में संयंत्र को करोड़ों रुपये की क्षति उठाना पड़ सकता है।