राजनांदगांव 13 जुलाई 2022:- साहू समाज के परिक्षेत्र सुरगी निवासी रैन सिंह साहू ने अपनी विधवा बहू की दूसरी शादी कराकर समाज में मिसाल पेश की है। पिता की तरह बहू का कन्यादान किया। इस पहल की समाज की ओर से सराहना की जा रही है। बेटे के निधन के बाद रैन सिंह बहू के भविष्य को लेकर चिंतित थे। इसलिए परिवार के सभी सदस्यों की सहमति लेने के बाद दूसरी शादी कराने का निर्णय लिया और इस प्रयास में जुटे रहे।आखिरकार रैन सिंह का यह प्रयास सफल हुआ और बहू के लिए एक दूल्हा भी तलाश कर लिए। पुत्र वधु उदिया बाई पति के निधन के बाद से उदास रहती थी और हमेशा चिंता में डूबे होने से परिवार के सदस्यों को उसके भविष्य को लेकर चिंता होने लगी थी। बताया कि योग्य दूल्हा मिलने पर 11 जुलाई को आदर्श विवाह कराया गया। राजनांदगांव निवासी राम साहू के साथ दुलिया बाई की शादी कराई गई।बहू ने बेटी का फर्ज निभाया इस ज्यादा सम्मान दिया।
मौके पर समाज के पदाधिकारी बड़ी संख्या में मौजूद रहे और नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया। समाज की ओर से रैन सिंह के इस फैसले का स्वागत किया गया। वहीं इसे समाज के लिए एक नया संदेश बताया गया। रैन सिंह ने बताया कि मेरी दो बेटियां हैं पर बहू ने मुझे सगे पिता से भी ज्यादा मान सम्मान दिया है।पोते को अपने पास रखा
रैन सिंह ने 8 साल के पोते को अपने पास रखा है। शादी कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहे वधु और वर पक्ष के सदस्यों ने रैन सिंह की ओर से की गई इस पहल की सराहना करते हुए तालियां बजाई। परिक्षेत्रीय साहू समाज कुमरदा के अध्यक्ष देवेन्द्र साहू, परिक्षेत्रीय साहू समाज सुरगी के अध्यक्ष जीवन लाल साहू, उपाध्यक्ष इंद्रकुमार, सचिव हेमंत साहू, कोषाध्यक्ष गोपाल साहू, उप कोषाध्यक्ष हरिनारायण, मोहन साहू, रामलाल साहू तारस साहू, राजेश साहू सहित आसपास के सामाजिक सदस्यों एवं ग्रामीणों ने कार्यक्रम में शिरकत की और इसकी सराहना की।समाज को एक नया संदेश
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने कहा कि पति के निधन के बाद पत्नी को कई समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसे वक्त में रैन सिंह ने समाज को एक नया संदेश दिया है। परिक्षेत्रीय साहू समाज के अध्यक्ष जीवन लाल साहू ने कहा कि रैन सिंह ने समाज को उजड़ी हुई जिंदगी कैसे बसाई जाती है। समाज में ऐसी जागरूकता जरूरी है ताकि अन्य लोग भी इससे प्रेरित होकर पिता बनकर फर्ज अदा करें। नए जीवन की शुरुआत करने वाली दुलिया बाई ने कि मैं खुश किस्मत हूं कि मुझे ससुर की जगह पर एक पिता मिले, जिन्होंने यह नेक पहल की।