छत्तीसगढ के DGP को अवमानना का नोटिस, सहायक उपनिरीक्षक को नौकरी पर नहीं किया बहाल

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बिलासपुर 15 जुलाई 2022:- हाईकोर्ट ने अवमानना मामले में छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक जुनेजा को नोटिस जारी किया है। पुलिस विभाग ने एक एएसआई को दोषमुक्त होने के बाद भी बहाल नहीं किया। न्यायालय ने छत्तीसगढ़ पुलिस को 60 दिन के भीतर एएसआई के बहाली का आदेश दिया था, लेकिन तय समय बाद भी नौकरी में ज्वाइनिंग नहीं दी गई। पीडि़त ने डीजीपी के सामने नौकरी ज्वाइन करने का आग्रह भी किया था, लेकिन उसे दरिकनार कर दिया गया। इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा। याचिका की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी की अदालत में हुई।बीजापुर जिले के भैरमगढ़ निवासी आनंद जाटव सुकमा जिले में एएसआई के रूप में पदस्थ था। एक शिकायत के बाद एएसआई पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था। विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर उसे बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद यह मामला कोर्ट पहुंचा।सुकमा जिला न्यायालय ने 13 अप्रैल 2021 को इस मामले में एएसआई को दोषमुक्त कर दिया। दोषमुक्त होने के बाद एएसआई ने वापस नौकरी ज्वाइन करने पुलिस महानिदेशक के सामने अपील की थी, जिसे डीजीपी ने खारिज कर दिया। एएसआई ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने एएसआई के पक्ष में निर्णय देते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस को आदेश दिया कि 60 दिन के भीतर उसकी नौकरी वापस दी जाए।हाईकोर्ट द्वारा नौकरी बहाली का आदेश जारी करने के बाद भी छत्तीसगढ़ पुलिस ने पीडि़त एएसआई को 60 दिन के भीतर नौकरी नहीं दी। एएसआई आनंद जाटव ने अपने वकील के माध्यम से फिर हाईकोर्ट में एक और याचिका लगाई। इस याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस पी सैम कोशी ने डीजीपी अशोक जुनेजा को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।हाईकोर्ट में कहा कि पुलिस रेगुलेशन 1861 के पैरा 241 में यह उल्लेखित है कि अगर कोई शासकीय सेवक के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले में वह पूर्ण रूप से दोषमुक्त हो जाता है तो वह फिर से सेवा में बहाली का पात्र है।


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