भाजपा ने नकवी को नहीं बनाया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार, जानें अब कौन सी जिम्मेदारी मिल सकती है?

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नई दिल्ली 17 जुलाई 2022:- मुख्तार अब्बास नकवी का नाम उपराष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों में आगे था, लेकिन अंतिम समय में जगदीप धनखड़ के नाम पर मुहर लग गई।मुख्तार अब्बास नकवी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ को कैंडिडेट बनाया है। ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि नकवी को भाजपा में कौन सी जिम्मेदारी मिलेगी। नकवी तीन बार राज्य सभा के सांसद रह चुके हैं। दो बार उत्तर प्रदेश और एक बार झारखंड की राज्य सभा सीट से संसद पहुंचे नकवी ने लगभग तीनों कार्यकाल पूरे किए। केवल दूसरे कार्यकाल में नकवी ने 11 दिन पहले इस्तीफा दिया था। कबड्डी, शतरंज और वॉलीबॉल में रुचि लेने वाले नकवी सियासी तौर पर किस भूमिका में दिखेंगे, इस पर राजनीतिक पंडितों के बीच अटकलें लगाई जा रही हैं।भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी को भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार नहीं बनाया है। वे इस रेस में सबसे आगे बताया जा रहे थे। हालांकि, पार्टी ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के नाम का एलान किया। ऐसे सवाल उठता है कि अब ही में केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले नकवी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा? राज्यसभा सदस्यता खत्म होने के बाद से ही उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।उपराष्ट्रपति के प्रबल दावेदार बताए जा रहे थे

मुख्तार अब्बास नकवी का नाम उपराष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों में आगे था, लेकिन अंतिम समय में जगदीप धनखड़ के नाम पर मुहर लग गई। कहा जा रहा था कि भाजपा इस पद पर उम्मीदवार के रूप में किसी पसमांदा मुस्लिम समाज के व्यक्ति को अवसर देने पर विचार किया जा रहा है।नकवी को क्या जिम्मेदारी मिलेगी?

. संगठन में मिल सकती है जिम्मेदारी

इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2024 में लोकसभा चुनाव भी है। ऐसे में मुख्तार अब्बास नकवी को संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इससे पहले भी कई वरिष्ठ मंत्रियों को मोदी कैबिनेट से हटाकर संगठन में जिम्मेदारियां दी गई हैं। भाजपा के दिग्गज नेता रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर इसके बड़े उदाहरण हैं। ऐसे में संभव है कि संगठन में मुख्तार को बड़ी भूमिका में लाया जा सकता है। 2. किसी बड़े राज्य का राज्यपाल बनाए जा सकते हैं

मुख्तार अब्बास नकवी को लेकर एक चर्चा ये भी है कि उन्हें किसी बड़े राज्य का नया राज्यपाल बनाया जा सकता है। अभी केरल के आरिफ मोहम्मद खान ही इकलौते मुस्लिम राज्यपाल हैं। संवैधानिक पद दिए जाने से भाजपा पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोप भी कमजोर पड़ जाएंगे।मुख्तार अब्बास नकवी को जानें

मुख्तार अब्बास नकवी का जन्म 15 अक्टूबर 1957 को प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में हुआ था। नकवी के पिता का नाम एएच नकवी और मां शकीना बेगम हैं। मुख्तार ने पत्रकारिता की पढ़ाई की है। उन्होंने आठ जून 1983 को सीमा से शादी की। अब दोनों का एक बेटा भी है। कब शुरू हुआ राजनीतिक सफर

मुख्तार अब्बास नकवी के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1975 से हुई थी। तब उन्होंने देश में लागू किए गए आपातकाल का विरोध किया था और इसके लिए जेल भी गए थे। छात्रनेता रहते हुए वह जनता पार्टी के कार्यक्रमों और आंदोलनों में शामिल होते थे। 1980 में उन्होंने जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। इसके बाद अयोध्या से 1980 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव निर्दलीय लड़ा, लेकिन हार गए।जब पहली बार चुनाव जीते

1998 में रामपुर से भारतीय जनता पार्टी ने मुख्तार अब्बास नकवी को टिकट दिया और वह चुनाव जीत गए। तब उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनाया गया था। 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो मुख्तार अब्बास नकवी को अल्पसंख्यक राज्यमंत्री बनाया गया था, 2016 में कैबिनेट का दर्जा मिल गया। 2019 में फिर से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली तो मुख्तार अब्बास नकवी को फिर से केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री बनाया गया।मुख्तार अब्बास नकवी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ को कैंडिडेट बनाया है। ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि नकवी को भाजपा में कौन सी जिम्मेदारी मिलेगी। नकवी तीन बार राज्य सभा के सांसद रह चुके हैं। दो बार उत्तर प्रदेश और एक बार झारखंड की राज्य सभा सीट से संसद पहुंचे नकवी ने लगभग तीनों कार्यकाल पूरे किए। केवल दूसरे कार्यकाल में नकवी ने 11 दिन पहले इस्तीफा दिया था। कबड्डी, शतरंज और वॉलीबॉल में रुचि लेने वाले नकवी सियासी तौर पर किस भूमिका में दिखेंगे, इस पर राजनीतिक पंडितों के बीच अटकलें लगाई जा रही हैं।


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