टीडीएस रिफंड क्लेम किया तो रखिए डिडक्शन का प्रूफ, आ रहे हैं नोटिस

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  • HRA की छूट यदि ले रहे है जो अपने नियोक्ता (एम्प्लॉयर) को पहले से डिक्लेयर नही किये
  • धारा 80 के विभिन्न प्रावधानों में जिन्होंने छूट ली है, नोटिस ऐसे वेतनभोगी और छोटे व्यापारियों को भेजे जा रहे
  • वेतन का एरियर मिला है और धारा 89(1) में नियम से ज्यादा रिलीफ ली गयी हो

भिलाई नगर। कर में और विशेषकर टीडीएस में छूट पाने के लिए करदाताओं द्वारा लगाए गए डिडक्शन को एक बार फिर देखने-परखने और उससे संबंधी साक्ष्य जुटाकर रखने के लिए आयकर विभाग का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर करदाताओं को एक ईमेल नोटिस के माध्यम से अलर्ट कर रहा है। भिलाई सीए ब्रांच के पूर्व चेयरमैन सीए पियूष जैन ने बताया कि 31 जुलाई तक भरे गए आयकर रिटर्न की प्रोसेसिंग में विभाग द्वारा इस साल एआई (सॉफ्टवेयर द्वारा) के आधार पर यह पता लगाया जा रहा है कि जिन करदाताओं का टीडीएस कट रहा था, उनके द्वारा इस राशि को रिफंड के रूप में प्राप्त करने के लिए जो डिडक्शन क्लेम किए गए हैं, वे सही हैं या नहीं। भिलाई के कई हज़ार वेतनभोगी कुछ वर्ष पहले इसी प्रकार की भूल का खामियाजा पेनाल्टी और ब्याज सहित भुगत चुके है, इस बार फिर विभाग अग्रिम नोटिस के माध्यम से सचेत कर रहा है अन्यथा फेसलेस स्क्रूटनी में केस खुलता है तो कई प्रकार की दिक्कतों का सामना कर पड़ सकता है क्योंकि अब सारे स्क्रूटनी ऑनलाइन होंगे और भिलाई के आयकर अधिकारियों के कार्यक्षेत्र के बाहर होंगे। कुछ छोटी पॉलीटिकल पार्टियां (कुछ तो ऐसी है जिनका सिर्फ नाम रजिस्टर्ड है पर काम शून्य है) भी आयकर के राडार में है जो चंदा लेकर सही उपयोग नहीं कर रही यदि उनपर कार्यवाही हुई तो ऐसे करदाता जो इनको चन्दा दिए है वो भी भविष्य में दिक्कत में आ सकते है।

यदि किसी करदाता ने अलग-अलग धाराओं में बहुत सारा रिफंड क्लेम कर लिया है तो संभव है कि उसे इस प्रकार का नोटिस प्राप्त हो रहा हो। इस बारे में कई करदाताओं को एक मेल आ रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि यदि करदाता के पास इन्वेस्टमेंट के साक्ष्य नहीं हैं या करदाता ने गलत छूट रिटर्न में ले ली है, तो उसका तुरंत सत्यापन करें और रिटर्न को संशोधित करें। इन नोटिस के पीछे उद्देश्य है टैक्स सही कैलक्यूलेट कर रिफंड को कम या करेक्ट करवाना।

रिटर्न में क्लेम डिडक्शन का सत्यापन कर लें

नोटिस में कारण बताया जा रहा है कि डिडक्शन फॉर्म 16 की तुलना में कहीं ज्यादा है, इसीलिए रिटर्न में क्लेम डिडक्शन का सत्यापन कर लें और फॉर्म 16 के साथ सही मिलान कर लें। व्यवसायी को भेजे जा रहे नोटिस में लिखा आ रहा है, ‘आपके द्वारा घोषित ग्रॉस टोटल इनकम (यानी कुल आय) में कमी दर्ज की गई है, इसका सत्यापन कर लें। यह भी लिखा गया है कि इस ईमेल का उद्देश्य है आपको किसी भी गलत क्लेम को लेकर चेतावनी देना है और आप इसका मिलान एआईएस में दर्शाई हुई आय के साथ भी कर सकते हैं।

इन मामलों में आ रहे नोटिस

भिलाई सीए ब्रांच के पूर्व चेयरमैन सीए पियूष जैन ने बताया नोटिस ऐसे वेतनभोगी और छोटे व्यापारियों को भेजे जा रहे हैं, जिन्होंने धारा 80 के अंतर्गत छूट ली है। साथ ही ऐसे भी करदाताओं को नोटिस आ रहे हैं, जिन्होंने एलआईसी के तहत छूट ली है। घर के लोन पर ब्याज की छूट, किराए की छूट, मेडिकल ख़र्च की छूट आदि अन्य किसी टैक्स फ्री निवेश के रूप में ली हुई छूट भी चिह्नित कर करदाता को नोटिस भेजा जा रहा है। साथ ही ऐसी कोई आय जो एआईएस में दर्शाई है परंतु रिटर्न्स में नही ली गयी जैसे शेयर मार्केट, म्यूच्यूअल फण्ड आदि की बिक्री, डिविडेंड, पोस्ट आफिस या अन्य खातों से ब्याज आदि। यदि आपकी सकल आय 2.50 लाख से ज्यादा है तो आयकर रिटर्न्स भरना जरूरी है इसलिए वेतन के अलावा भी जितने स्तोत्र से आय है सभी को रिटर्न्स में सही तरीके से दर्शाना ज़रूरी है।

ऐसे करदाता जिन्हें इस प्रकार के नोटिस आ रहे हैं, उन्हें सबसे पहले अपने द्वारा क्लेम किए गए सभी निवेशों के साक्ष्य जुटाकर रखना चाहिए तथा AIS की जानकारी अपने रिटर्न्स से मिलान कर लेना चाहिए। जिन्होंने एरियर का रिलीफ लिया है वो स्वयं अपने पूर्व में दाखिल रिटर्न्स से रिलीफ की गणना कर ले तथा नियोक्ता द्वारा दिये गए फॉर्म से मिलान करे, विभाग द्वारा जवाब के लिए करदाता को नोटिस जारी होने से 15 दिन का समय है। छूट से संबंधित साक्ष्य करदाता के पास नहीं है, तो भी रिटर्न को रिवाइज करना बेहतर होगा अन्यथा असेसमेंट में एडिशन होने पर अतिरिक्त ब्याज और 300% तक पेनल्टी लग सकती है। नोटिस आते ही या गलती की जानकारी होते ही तुरंत रिटर्न को रिवाइज कर पेनल्टी से बचा जा सकता है।


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